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लर्निंग प्रोसेस ऐसी पूंजी है जो एट्रीशन रेट को काफी कम कर सकता है
इस सेशन में मौजूद कई लोगों ने लर्निंग प्रोसेस की अहमियत के बारे में बताते हुए कहा कि ये एक ऐसी पूंजी है जो कंपनी के एट्रीशन रेट को कम सकती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
BW People के 40Under40 अवॉर्ड इवेंट में हुए एक सेशन में लर्निंग को लेकर पैनल में मौजूद सभी लोगों ने कई अहम बातें कहीं. किसी ने जहां लर्निंग को सबसे अहम बताया तो पैनल में मौजूद कई लोगों ने बताया कि उनकी कंपनी में सभी के लिए ये स्पेशल लेवल की ट्रेनिंग लेना बेहद जरूरी है. इस सेशन में चर्चा के दौरान ये बात भी निकलकर सामने आई कि अगर किसी कंपनी में इस लर्निंग प्रोसेस को ठीक से किया जाता है तो वो कंपनी के एट्रीशन रेट को काफी कम कर सकता है.
ये एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है
इस सेशन में अपनी बात रखते हुए Birlasoft के Senior Vice President, Talent Management and Corporate HR, Deepak Dorbiyal, ने कहा कि अगर हम इनोवेशन और टैलेंट को लेकर बात करते हैं तो उसमें सबसे अहम ये है कि हम उससे क्या समाधान चाहते हैं. ेेक्या हम बिजनेस प्रॉब्लम की समस्याओं को खत्म करना चाह रहे हैं. क्या वो इसमें कंपनी की मदद कर सकते हैं. उन्होंने ये भी कहा क्योंकि मैं एक टेक्नोलॉजी फील्ड से आता हूं ऐसे में मैं कहना चाहूंगा कि ये एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है. कोई एक बार होने वाला काम नहीं है.
दूसरा ये भी है कि आप जिन लोगों के लिए इस समस्या को सुलझा रहे हैं उसकी इफेक्टिवनेस क्या है. लेकिन सवाल ये है कि क्या तकनीक हमें ये समझने में मदद कर सकती है कि किसी भी टैलेंट में कितनी कॉम्पटिवनेस है. क्या तकनीक हमें ये भी समझने में मदद कर सकती है हमें अपने बिजनेस को आगे ले जाने में हमें ये बता सके कि मौजूदा स्किल्स में कहां कमी है. आखिर तकनीक कैसे हर आदमी की समझ के स्तर को सुधार सकती है. उन्होंने कहा कि हाल ही में ओरेकल के द्वारा एक सर्वे किया गया था जिसमें पता चला कि 65 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो ह्यूमन फीडबैक की जगह एआई जनरेटेड फीडबैक को ज्यादा पसंद करेंगे. इसी तरह 85 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो एआई पावर्ड ह्यूमन इंटरवेशन को ज्यादा पसंद करेंगे.
बिजनेस हाउस और HR में काफी गैप दिखता है
Deloitte के Director, Agniwesh Thakur ने अपनी बात कहते हुए कहा कि मान लीजिए मेरे पास किसी तरह का टैलेंट है और उसे मुझे किसी प्रोजेक्ट में लगाना है. लेकिन जब मैने उसे किसी प्रोजेक्ट में लगाना चाहा तो मुझे पता चलता है कि उसमें काफी गैप है और वो उस प्रोजेक्ट के बारे में बेसिक्स भी नहीं जानता है. अब ऐसी स्थिति में मैं क्या करूंगा या तो मैं कहूंगा कि मुझे ये आदमी नहीं चाहिए मुझे कोई दूसरा आदमी दिया जाए. या फिर मुझे उस आदमी को वो चीज सिखानी होगी. मुझे उसके लिए एक टैलेंट क्रिएटर बनना होगा. अब ऐसी स्थिति में तकनीक कैसे हमारी मदद कर सकती है.
अब ऐसी स्थिति में या तो मुझे उसे सिखाने में कुछ दिन बिताने पड़ेंगे या अगर ऐसी कोई तकनीक है तो वो उसे कुछ घंटे में उसे करना सिखा सकती है. कई कंपनियों में इस तरह के मामले देखे जाते हैं कि वहां बिजनेस और एचआर के बीच में काफी गैप देखने को मिलता है. आज तकनीक हर हफ्ते बदल रही है. आज मुझे अपने प्रोजेक्ट के लिए किसी जावा को जानने वाले आदमी की जरूरत होती है तो कल मुझे किसी दूसरी स्किल को जानने वाले की जरूरत होती है. आप देख सकते हैं कि आपको कितनी तरह के चैलेंज का सामना करना पड़ता है. मैं आपको अपनी पिछले आर्गनाइजेशन के बारे में बताना चाहता हूं जहां कंपनी के हर कर्मचारी को न्यू तकनीक की लर्निंग लेनी पड़ती थी. उसके बाद जब हमने सर्वे किया तो देखा पूरी आर्गनाइजेशन का लर्निंग लेवल बहुत हाई था. उन्होंने कहा कि मुझे लगता कि बहुत जल्दी देश की टॉप कंपनियां कैंपस में जाएंगी और उनसे कहेंगी कि आप इन्हें ये पढ़ाइए.
कुछ टैलेंट ऐसे होते हैं जो बड़ी जिम्मेदारी संभालते हैं
HPCL Mittal Energy Limited- HMEL के Head- OD, Talent and Diversity, Rubi Khan ने कंपनी के टैलेंट को लेकर अपनी बात कहते हुए कहा कि जहां तक बात टैलेंट की है तो मैं देखती हूं कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी कंपनी के बिजनेस की बड़ी जिम्मेदारी को देखते हैं वहां मैं उसे नहीं जाने दूंगी. मुझे लगता है कि अगर कॉम्पीटेंसी की बात आती है तो मैं टैलेंट को खरीदने के लिए जाना ज्यादा पसंद करूंगी ना कि उसे ट्रेन करना. मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे ग्रोथ माइंडेड कल्चर में काम करती हूं. उन्होंने ये भी कहा कि बाजार में कई तरह का टैलेंट मौजूद है लेकिन सवाल ये है कि क्या आप उसे जानते हैं.
हर इंप्लाई को पांच चीजें सीखना बेहद जरूरी
Ericsson Global Services के Head of People, Abhishek Kumar, ने कहा कि एरिक्शन एक टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन देने वाली कंपनी है. 2जी, 3जी, 4जी और 5जी 6जी की तकनीक दुनिया में एरिक्शन, सैमसंग और नोकिया के पास है. वहीं भारती, वोडाफोन और जियो ये टेलीकॉम ऑपरेटर हैं जो टॉक टाइम सेल कर करते हैं. आज सभी लोग 2जी 3जी और 4जी के बारे में बात करते हैं. लेकिन इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि वन जी , टेक्नोलॉजी हमारी पल्स की तरह है. ये हमारे लिए बेहद अहम है और ये हमारे कोर सिस्टम में होती है. हम लोग 6 जी के साथ प्रयोग कर रहे हैं और हमारी लैब स्टॉकहोम में है. हम रिसर्च एंड एनालिसिस पर 22 प्रतिशत से ज्यादा फंड खर्च करते हैं. हम एक ऐसी कंपनी हैं जो तकनीक पर निवेश करते हैं.
हमारी 2030 के लिए हमारी रणनीति बहुत स्पष्ट है. हम अपनी बिजनेस की रणनीति और कर्मचारी की रणनीति को साथ में लेकर चलते हैं. जहां तक लर्निंग की बात करें तो उनमें पांच चीजें ऐसी हैं जो हमारे टारगेट में तय हैं. क्लाउड नेटिव, सिक्योरिटी, एआईए एमएल, पॉवर स्किल शामिल हैं. हमारे वहां एक डिग्री नाम से प्रोग्राम चलता है जो पूरी तरह से एआई इनेबल है. उन्होंने कहा कि हमारे वहां के हर इंप्लाई को इन पांच चीजों को सीखना बेहद जरूरी है. ये बिजनेस के लिए बेहद अहम है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर लर्निंग प्रोसेस को किया जाता है तो ये कंपनी के एट्रीशन रेट को भी काफी कम करता है.
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