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कानपुर को क्यों हो रही है गुरुग्राम जैसा बनाने की तैयारी? 

उत्तर प्रदेश को सुरक्षित निवेश गंतव्य के रूप में पेश किया जा रहा है. अधिकारी कानून व्यवस्था और भू-माफिया से मुक्ति का उदाहरण दे रहे हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

  • विवेक शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार

यूपी सरकार कानपुर को दूसरा नोएडा या गुरुग्राम बनाने की इच्छुक है. ऐसा संभव भी है, क्योंकि कानपुर में इन शहरों की तरह विकास की पूरी संभावना मौजूद है. कानपुर का समृद्ध कारोबारी इतिहास रहा है और अब इसके पास बड़े मेट्रो शहरों की तरह एक सुदृढ़ बुनियादी ढांचा भी मौजूद है. कुछ दशक पहले तक कानपुर एक जीवंत औद्योगिक शहर था. जहां कारखानों की अधिकता थी. शहर में बड़ी संख्या में श्रमिक दिखते थे. पूर्व का मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर में सूती कपड़े की कई मिले थीं, जो चौबीसों घंटे चलती थीं. इन कारखानों पर 70 के दशक की शुरुआत में बंद होने का खतरा मंडराने लगा. बाद के वर्षों में विभिन्न कारणों से ये कारखाने एक-एक कर बंद हो गए, और इस तरह कानपुर बेरोजगार श्रमिकों का एक शहर बनकर रह गया. दरअसल देश के उन सभी शहरों को फिर नए सिरे से खड़ा करने की आवश्यकता है, जो कभी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हुआ करते थे.

कानपुर को बदलना चाहते हैं CM 
कानपुर में उद्योगों के पतन पर शोध करने वाले अजॉय आशीर्वाद महाप्रशस्त्र कहते हैं कि कानपुर के कपड़ा मिलों की कहानी पूर्व-उदारीकरण युग में नौकरशाही, राजनीतिक असंवेदनशीलता एवं उदारीकरण युग में लूट की कहानी है. यह शहर के परिवर्तन का महत्वपूर्ण उदाहरण है, जिसे एक समय पूर्व का मैनचेस्टर कहा जाता था और जो बाद में सांप्रदायिक और श्रम विरोधी राजनीति के चलते गंदे डंपिग यार्ड में तब्दील हो गया. कहते हैं, बुरे वक्त के बाद अच्छा समय शुरू होता है. कानपुर भी अब विकास के विभिन्न चरणों की गतिविधियां देखने के लिए तैयार है. इसे दुनिया के बड़े कार्पोरेट घरानों का पसंदीदा ठिकाना बनना चाहिए. यहां परिवहन की व्यवस्था जैसे सड़क, मेट्रो, हवाई अड्डा तो उपलब्ध है ही स्कूल, कालेज, अस्पताल सरीखी सुविधाएं भी सुगम हैं. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंगा तट पर स्थित कानपुर शहर के रूपांतरण के लिए दृढ संकल्पित हैं. यूपी के अन्य शहरों की भांति यहां भी कानून व्यवस्था की स्थिति निवेशकों के अनुकूल हैं. हंगामा करने के बारे में तो कोई सोच भी नहीं सकता. राज्य सरकार असमाजिक तत्वों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति अपनाए हुए है.

UP में अब कानून का राज
उत्तर प्रदेश को सुरक्षित निवेश गंतव्य के रूप में पेश किया जा रहा है. अधिकारी कानून व्यवस्था और भू-माफिया से मुक्ति का उदाहरण दे रहे हैं. 2017 से पहले राज्य में आए दिन दंगे होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधर गई है. सरकार ने पुलिस सुधारों के जरिए कानून व्यवस्था की स्थिति दुरुस्त की है तो वहीं भू-माफिया पर नकेल के लिए टॉस्कफोर्स का गठन कर 64,000 हेक्टेयर से अधिक की जमीन मुक्त कराई है. सच तो यह है कि उत्तर प्रदेश में आज कोई भी गुंडा किसी व्यापारी या ठेकेदार से गुंडा टैक्स नहीं वसूल सकता और न ही उन्हें परेशान कर सकता है. यहां तक की राजनीतिक चंदा भी जबरदस्ती नहीं लिया जा सकता.

निवेश में दिखाई दिलचस्पी 
योगी आदित्यनाथ राज्य में निवेश के अवसरों की तलाश कर रही दो दर्जन से अधिक अमेरिकी कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिल चुके हैं और उन्हें निवेश के माकूल माहौल प्रदान करने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता जता चुके हैं. बोइंग के नेतृत्व में जिस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, उसमें फेसबुक, एडोब, कोका कोला, मास्टर कार्ड, मोनसेंटो, उबर, हनीवेल, पीएंडजी, ओरेकल और जीई हेल्थ जैसी प्रमुख अमेरिकी कंपनियां शामिल थीं. इन कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में निवेश करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. अब यह उत्तर प्रदेश के अधिकारियों पर है कि वे राज्य में निवेशकों की सुविधा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से उन्हें अवगत कराएं.

ऐसे शहर करते हैं आकर्षित
निवेशक किसी भी शहर, राज्य या देश में निवेश के प्रति तभी आकर्षित होते हैं जब उन्हें वहां पैसा बनाने या मुनाफे का अवसर दिखता हैं. वे अपने संभावित लाभ का अनुमान लगाकर ही किसी शहर में निवेश के अवसरों का आंकलन करते हैं और उन्हीं शहरों की तरफ आकर्षित होते हैं जो बिजनेस स्केल, रिस्क और मुनाफे का अच्छा तालमेल या संयोजन प्रदान करते हैं. किसी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि शहर जटिल अर्थव्यवस्थाओं वाला होता है, इसलिए एक से अधिक कारक व्यवसायी लाभ को प्रभावित करते हैं. नतीजन, निवेश के अवसरों का आंकलन करते समय निवेशक शहर को औद्योगिक विकास दर, नुकसान से बचाव के लिए आर्थिक लचीलापन, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और सामर्थ्य, पेशेवरों की स्किल, शिक्षा की गुणवत्ता और शोध, शहर के पर्यावरण, जनसंख्या, रहन सहन का स्तर, नौकरियों की संख्या, भूमि/परिसंपत्तियों की राशि और प्रकार, कराधान प्रोत्साहन, निर्माण लागत आदि पैमाने पर भी परखता है. 

क्या ये कर सकते हैं निवेश?
दिल्ली के प्रसिद्ध चार्टर्ड एकाउंटेंट राजन धवन कहते हैं कि निवेशक विशेष रूप से अत्यधिक कुशल श्रमिकों वाले शहरों जैसे कानपुर, चेन्नई और नोएडा की तरफ आकर्षित होते हैं, क्योंकि इन शहरों में बेहतरीन नौकरियों और ज्ञान आधारित इंडस्ट्री को आकर्षित करने की क्षमता होती है. अकुशल कार्यबल के मुकाबले ग्रहण करने की अपनी क्षमता के कारण शिक्षित कार्यबल अर्थव्यवस्था में आ रहे बदलावों के अनुकूल कार्य करते हैं. जो किसी भी कंपनी के लिए फायदेमंद साबित होता है. अब जबकि 10-12 फरवरी को लखनऊ में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट की तारीख नजदीक आती जा रही है, तो किसी को आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए यदि आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र नारायण मूर्ति निवेश करें. यही नहीं बड़े सीईओ जैसे आईबीएम के अरविंद कृष्णा, माइक्रोसाफ्ट इंडिया के सीईओ मुकेश बंसल, मिंत्रा के संस्थापक सोम मित्तल, नैसकॉम के पूर्व अध्यक्ष संगीत पॉल, प्लेटफॉर्मेशन लैब्स के संस्थापक ललित जालान, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के सीईओ और कनाडा के बिजनेस डेवलपमेंट बैंक की निवेश समिति के अध्यक्ष प्रशांत पाठक और एकाग्रता इंक के सीईओ भी आईआईटी कानपुर के छात्र थे. कौन जानता है कि ये सभी सीईओ समेत अन्य निवेशक कानपुर में निवेश करना चाह रहे हों. 


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