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पिछले कुछ सालों में कितना बदल गया है रिटेल वर्ल्ड? BW इवेंट में मिला जवाब
'आज के समय में अधिकांश लोग अपनी जरूरत का सामान Amazon जैसे मार्केटप्लेस से खरीदना पसंद करते हैं'.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
BW Businessworld द्वारा दिल्ली में आयोजित Building Blocks of Retail Summit में रिटेल सेक्टर की दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपने विचार भी व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वक्त में रिटेल में किस तरह से बदलाव आए हैं और भविष्य में इसमें क्या संभावनाएं हैं. इस दौरान अलग-अलग विषयों पर पैनल डिस्कशन भी हुआ.
डिस्कशन में इन्होंने लिया भाग
'Diversity In Retail: Navigating The New Formats Of Retail Spaces' विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में QueueBuster के CEO एवं फाउंडर Varun Tangri, VM Retail ID, Landmark Group, Max Retail के नेशनल हेड Lalit Kumar Jha, Amazon में Emerging FBA, IN Marketplace के निदेशक Ramaswami Lakshman और Capgemini में Consumer Products and Retail –India की इंडस्ट्री प्लेटफॉर्म लीडर Sharmila Senthilraja ने भाग लिया. सेशन चेयर के तौर पर BW Businessworld की सीनियर एसोसिएट एडिटर Jyotsna Sharma मौजूद रहीं.
बदल गई है लाला की दुकान
पैनल डिस्कशन की शुरुआत ज्योत्स्ना ने इस सवाल के साथ की कि 2020 से लेकर अब तक रिटेल फॉर्मेट में किस तरह के बदलाव आए हैं. इसके जवाब में Varun Tangri ने कहा कि पिछले कुछ साल, खासकर कोरोना के बाद से रिटेल स्पेस ने कई उल्लेखनीय बदलाव देखे हैं. रिटेल स्पेस आज ग्राहकों के लिए बाइंग प्लेस से कहीं आगे बढ़ गया है. ये एक्सपीरियंशल स्टोर में तब्दील हो गया है. उदाहरण के लिए आप Hamleys जाते हैं, तो केवल बच्चों के खिलौने खरीदने के लिए ही नहीं जाते, बल्कि कई नई चीजों को देखने भी जाते हैं, जो ब्रैंड ऑफर करता है. पारंपरिक रूप से पिछले कुछ सालों में रिटेल स्पेस में काफी बदलाव आया है. अब ये महज एक बाइंग प्लेस से कहीं ज्यादा है. उन्होंने आगे कहा कि स्टोर्स में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में भी इजाफा हुआ है. पेन-पेपर की जगह आज स्टोर में बहुत सारी टेक लेवल गतिविधियां होती हैं. लोकल नेबरहुड स्टोर भी बेहतर हो रहे हैं. विजुअल क्वालिटी, प्रोडक्ट असोर्टमेंट, टेक्नोलॉजी एडॉप्शन पर उन्होंने काम किया है. उदाहरण के लिए ग्रोसरी, पुरानी लाला की दुकान का रूप अब पूरी तरह से बदल गया है. वहां शेल्फ हैं, सुपरमार्केट जैसी फीलिंग है. वो विजुएल अपील को अपग्रेड कर रहे हैं और आने वाले समय में इसमें तेजी आएगी.
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बाइंग पैटर्न में आया है बदलाव
Ramaswami Lakshman ने कहा कि कोरोना के बाद से डिजिटाइजेशन में काफी तेजी आई है. आज के समय में अधिकांश लोग अपनी जरूरत का सामान Amazon जैसे मार्केटप्लेस से खरीदना पसंद करते हैं. गार्डनिंग के साजोसामान से लेकर फैशन एक्सेसरीज तक सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है. यहां तक कि अब फार्मेसी भी ऑनलाइन हो गई है. जबकि कोरोना से पहले स्थिति अलग थी. कोरोना की वजह से लोगों के व्यवहार में बदलाव आया है. कोरोना से पहले तक ई-कॉमर्स को केवल मेट्रो शहरों तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन हमने देखा है कि कोरोना के बाद टियर-2 टियर-3 शहरों से काफी बिजनेस आया है. देश के जनरल बाइंग पैटर्न में बदलाव आया है और ये महज एक शुरुआत है. डिजिटाइजेशन भी एक महत्वपूर्ण बदलाव है. UPI ने सबकुछ बेहद आसान कर दिया है. अब छुट्टे की कोई टेंशन नहीं होती.
ग्राहकों तक पहले से ज्यादा एक्सेस
Sharmila Senthilraja ने कहा कि वो दिन लद गए जब रिटेल केवल हाई कैपेक्स, स्टोर, लोकेशन के बारे में था. आज कोई भी जिसके पास बेचने के लिए अच्छा उत्पाद या सेवा है, उसके पास ग्राहकों तक एक्सेस है. रिटेल पहले की तुलना में काफी बदला है, उसका फॉर्मेट बदला है. ग्राहकों, कंज्यूमर तक एक्सेस बढ़ा है, जो पहले नहीं था. हमारे पास आज केवल ग्राहक ही नहीं, बल्कि उसके टाइम का भी एक्सेस है. लॉकडाउन के समय ट्रेवल जैसे कैटेगरी, जहां सबसे ज्यादा टाइम स्पेंड किया जाता है, उनका समय दूसरी जगह खर्च हुआ. उस समय रिटेल मनोरंजन का साधन बन गया था. लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे थे. जहां कई कैटेगरी में होने वाले खर्च में कमी आई. वहीं, अपेरल, मनोरंजन, गेमिंग, आदि में खर्च में बढ़ोत्तरी हुई. इससे डायरेक्ट टू कंज्यूमर ट्रेंड में तेजी आई. मेरे ख्याल से ओमनी चैनल के साथ डायरेक्ट टू कंज्यूमर कुछ ऐसा है, जो पिछले पांच सालों में एक्सलरेट हुआ है.
कोरोना ने काफी कुछ सिखाया
Lalit Kumar Jha ने कहा कि कोरोना के दौरान और उसके बाद के समय ने हमें काफी कुछ नया सिखाया है. Gen G, Gen Alpha जैसी टर्म्स से आज सभी परिचित हैं. हर कोई टेक फ्रेंडली बन गया है. रिटेल भी काफी विकसित हुआ है. कोरोना के बाद खुले स्टोर और उससे पहले संचालित स्टोर में काफी बदलाव आया है. आज लगभग सभी स्टोर्स में क्योस्क है. आज ग्राहक के पास कई ऑप्शन हैं, आज ग्राहक लॉयल्टी पर नहीं जाता, लुक्स पर जाता है. वॉर्डरोब चंजिंग स्टाइल में बदलाव आया है. पहले लोग अमूमन छह महीने में वॉर्डरोब बदलते थे, लेकिन अब वो हर महीने कपड़े खरीद रहे हैं. टेक्नोलॉजी ने उनके काम को काफी आसान बना दिया है.
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