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हायरिंग को कैसे ले जाएं हायर लेवल पर? BW इवेंट में मिला जवाब

BW बिजनेसवर्ल्ड द्वारा दिल्ली में आयोजित किए जा रहे इवेंट में इंडस्ट्री दिग्गज अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago

BW बिजनेसवर्ल्ड द्वारा दिल्ली में BW People Nurturing Talent for Future Conclave के चौथे संस्करण का आयोजन किया जा रहा है. इंडस्ट्री के दिग्गज इस आयोजन का गवाह बन रहे हैं और अपने विचार साझा कर रहे हैं. इस दौरान Strategic HR in Education: Aligning Programs with Future Workforce Needs विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में Novus Hitech के CHRO बिरेन अंशु, Tenon Group के ग्रुप हेड HR दीपनारायण त्रिपाठी, Myntra Designs Private Limited की CHRO नुपुर नागपाल और MassMutual India के ह्यूमन रिसोर्स प्रमुख यदु किशोर नंदिकोला ने हिस्सा लिया. जबकि सेशन चेयर की भूमिका BW बिजनेसवर्ल्ड की सीनियर एसोसिएट एडिटर मेहा माथुर ने निभाई.  

कैंपस आउटरीच कमेटी कारगर
पैनल डिस्कशन की शुरुआत मेहा माथुर करिकुलम अलाइनमेंट और सॉफ्ट स्किलिंग से जुड़े सवाल के साथ की. उन्होंने जानना चाहा कि कंपनियां इनके लिए क्या करती हैं. इसके जवाब में MassMutual India के ह्यूमन रिसोर्स प्रमुख यदु किशोर नंदिकोला ने अपने अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि उनका जोर कैंपस आउटरीच कमेटी पर रहा है. पिछले 2 संस्थानों में उन्होंने ऐसी समितियां बनाई हैं. ये कर्मचारियों द्वारा कर्मचारियों के लिए चलाई जाने वाली समितियां हैं. इसके अध्यक्ष की भूमिका में बिजनेस लीडर होते हैं, ताकि वो कैंपस हायरिंग की प्रक्रिया के प्रायोजक बन सकें. इसके तहत छात्रों को केस स्टडी उपलब्ध कराई जाती है, उन्हें बिजनेस से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया जाता है, उनका मेंटर बना जाता है. यह पूरे साल की प्रक्रिया है, न केवल खास किसी अवधि की. कैंपस आउटरीच कमेटी कॉलेज के स्टाफ और फैकल्टी को शॉर्ट असाइनमेंट पर कॉर्पोरेट भी लेकर आती है, उन्हें कॉर्पोरेट प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाया जाता है. ताकि वो ज्ञान अर्जित कर सकें और वापस जाकर छात्रों को उससे अवगत करा सकें. इससे छात्रों को कॉर्पोरेट ईकोसिस्टम के करीब लाने में मदद मिलती है. 

टियर 2 शहरों में पर्याप्त टैलेंट पूल
इसके बाद मेहा माथुर ने कैंपस इंगेजमेंट से जुडी समस्याओं पर Tenon Group के ग्रुप हेड HR दीपनारायण त्रिपाठी से सवाल पूछा. इस पर उन्होंने कहा कैंपस हायरिंग में हमें लंबा समय हो गया है. जहां तक समस्याओं की बात है, तो वो भी हमारे साथ-साथ विकसित हो रही हैं. जब आप मैनेजमेंट ट्रेनी, कॉलेज से फ्रेशर को हायर करते हैं, तो एक जोखिम रहता है कि क्या वे कंपनी के कल्चर में फिट हो पाएंगे या नहीं. इसे दूर करने के लिए मैंने पिछले दो और वर्तमान संस्थान में कुछ काम किए हैं. मेरा मानना है कि कैंपस के समय स्क्रीनिंग को आपकी कंपनी की संस्कृति के अनुसार ही पिच किया जाना चाहिए. उदाहरण के तौर पर, आजकल लोग वर्क-लाइफ बैलेंस, वर्क फॉर होम की बात करते हैं और यदि आपको कंपनी इसमें सहज नहीं है, तो शुरुआत में ही सबकुछ स्पष्ट कर देना चाहिए. छात्रों को बताना चाहिए कि यदि आप ज्वाइन करते हैं, तो आपको ये मिलेगा लेकिन ये हम प्रदान नहीं कर पाएंगे. जब आप फ्रेशर्स, कॉलेज या फैकल्टी से इस तरह का संवाद करते हैं, तो उन्हें पता होता है कि आप कैसा टैलेंट चाहते हैं. दीपनारायण त्रिपाठी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आजकल टियर 2, टियर 3 शहरों में पर्याप्त टैलेंट पूल है, यहां ऐसे सैकड़ों लोग है जो वास्तव में कुछ बड़ा करना चाहते हैं. इसलिए हमारी अप्रोच इन शहरों में जाने की होनी चाहिए, ऐसे लोगों को नियुक्त करना चाहिए जिनमें कुछ बड़ा करने की भूख हो और जो कंपनी के साथ बने रहना चाहते हों. क्योंकि आजकल कर्मचारियों को लम्बे समय तक जोड़े रखना सबसे बड़ी चुनौती है. होता ये है कि आप उन्हें ट्रेंड करते हैं और एक-डेढ़ साल बाद कोई और ज्यादा सैलरी पर उन्हें अपने साथ ले जाता है. 

सही कोर्स बनाने की कोशिश 
क्या 8 से 10 वीक की इंटर्नशिप कंपनी के वर्क कल्चर को समझने के लिए पर्याप्त है या क्या इस अवधि में संस्थान इंटर्न का अच्छे से मूल्यांकन कर सकता है? इस पर Novus Hitech के CHRO बिरेन अंशु ने अपनी कंपनी के बारे में बताते हुए कहा कि जब आप इस डोमन में हायरिंग के लिए कैंपस जाते हैं, तो अधिकांश बीटेक ग्रेजुएट्स के पास उस टास्क को पूरा करने के लिए स्किल नहीं होती, जिसके लिए उन्हें हायर किया जा रहा है. ये सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने आगे कहा कि संस्थानों के साथ हमारा जुड़ाव काफी ज्यादा है. हम कई दिग्गज संस्थानों के साथ काम कर रहे हैं, ताकि इंजीनियरिंग पूल के लिए सही कोर्स बनाए जा सकें और फिर हम वहां से लोगों को हायर कर सकें. बिरेन ने कहा कि 3 महीने की नहीं बल्कि छह से एक साल का इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाते हैं, और कोई भी परमानेंट हायरिंग इसी के आधार पर होती है. 

कैंपस हायरिंग में विविधिता जरूरी 
Myntra Designs Private Limited की CHRO नुपुर नागपाल ने कहा कि हम विभिन्न जॉब फैमिली के लिए हायरिंग करते हैं. कैंपस हायरिंग हमारे लिए विन-विन सिचुएशन की तरह है. क्योंकि हमें इससे बहुत कुछ मिला है. इसी तरह, ये स्टूडेंट्स के लिए भी विन-विन सिचुएशन है, क्योंकि उन्हें अपने सपने पूरे करने के लिए चुनौतीपूर्ण नौकरियों का हिस्सा बनने का मौका मिलता है. हम मुख्यतौर पर डिजाइन, सोर्सिंग, एलालेटिक्स में हायरिंग करते हैं. नागपाल ने आगे कहा कि हमने के मेकेनिज्म डेवलप किया हुआ है. जो स्टूडेंट हमारे यहां इंटर्नशिप के लिए आते है, वो हमारे कल्चर, संस्थान की जरूरतों को अच्छे से समझते हैं और वापस जाकर स्ट्रांग फीडबैक देते हैं. ये हमारे लिए बहुत अच्छे से काम कर रहा है. इसके अलावा, हम ऐप के माध्यम से Gen Z ट्रेंड, फैशन को केटर करते हैं, उनके इनपुट से हमें विकसित होने में मदद मिलती है. साथ ही वार्षिक पार्टनरशिप से भी हमें मदद मिलती ही. जिसके तहत हम कुछ प्रोजेक्ट बनाते हैं. उदाहरण के लिए हमारा वर्चुअल साइजिंग प्रोजेक्ट हाल ही में लाइव हुआ है और कई Gen Z टूल्स पर मौजूद है. इसका आईडिया हमें कैंपस सिलेक्शन के दौरान आया था. नुपुर नागपाल ने कहा कि हम कैंपस हायरिंग में विविधिता ला रहे हैं, हम Codeathon और Ideathon आयोजित करते हैं. हम किसी एक कैंपस में नहीं जाते, हम इसे राष्ट्रीय स्तर पर वर्चुअली आयोजित करते हैं. इसमें किसी भी संस्थान के छात्र हिस्सा ले सकते हैं. इसमें कुल 5 राउंड होते हैं. यहां से शॉर्टलिस्ट होने वालों को इंटर्नशिप करनी होती है और फिर उनका परमानेंट सिलेक्शन होता है. 


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