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BW Disrupt : पिछले कुछ समय में सीएसआर ज्‍यादा व्‍यवस्थित और फोकस्‍ड हुआ है

CSR में अक्‍सर देखा जाता है कि कंपनियां इसमें जितना भी देती हैं, उन्‍हें उसके बदले उतना ही ज्‍यादा हासिल होता है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago

BW Disrupt के सोशल इम्‍पैक्‍ट इवेंट में इस क्षेत्र में काम करने वाले कई नामी लोगों ने भाग लिया. सभी ने सीएसआर को लेकर बताया कि किस तरह इसमें पिछले कुछ सालों में बड़े बदलाव आए हैं. इस कांफ्रेंस में भाग लेने पहुंचे लोगों ने कहा कि इस क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में काफी बदलाव देखने को मिले हैं. सीएसआर पहले के मुकाबले ज्‍यादा फोकस्‍ड और स्‍ट्रक्‍चर्ड हो गया है. 

सिर्फ पैसों के लिए नहीं बल्कि हम वैल्‍यूज के लिए भी काम करते हैं
Dr. Ambika Prasad Nanda, Head - Odisha, Tata Steel Foundation ने इस मौके पर अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं उड़ीसा से आता हूं. मैं टाटा स्‍टील फाउंडेशन के साथ काम कर चुका हूं. हमारे फाउंडर हमेशा कहा करते हैं कि अच्‍छी सोच, अच्‍छे काम और अच्‍छे शब्‍दों पर हमेशा ध्‍यान देने की जरूरत है. आप उससे परे नहीं जा सकते हैं. उन्‍होंने कहा कि मैं टाटा स्‍टील में बहुत पुराना नहीं हूं लेकिन काफी समय हो गया है काम करते हुए. उन्‍होंने कहा कि जब मैंने टाटा ग्रुप ज्‍वॉइन किया तो पाया कि टाटा ग्रुप का मकसद सिर्फ पैसों के लिए काम करना नहीं रहा है बल्कि अपनी वैल्‍यूस का भी सम्‍मान करना हमें हमेशा आता है और इसे आप अपने काम से करके दिखा सकते हैं. हम लोग दो चीजों को हमेशा ही ध्‍यान में रखते हैं.

इसमें पहली है प्राक्सिमिटी डेवलपमेंट, हमारे पास कई तरह की लोकेशन हैं, इसमें प्‍लांट भी है और दूसरी तरह की इंडस्‍ट्री भी हैं. लेकिन हम आदिवासियों के साथ काम करना बेहद सम्‍मानजनक मानते हैं. इसमें दूसरी चीज ये है कि हम हमेशा ही कंपनी के नेशनल एजेंडा को प्रायोरिटी पर रखते हैं. उन्‍होंने कहा कि मैं आपको बताना चाहूंगा कि हाल ही में उड़ीसा सरकार ने अर्बन स्‍लम में काम करने वालों को जमीन का अधिकार दिया है और टाटा स्‍टील फाउंडेशन उसमें पार्टनर है. जब हम लोगों ने उनके साथ काम किया तो हमने उनसे कुछ कठिन सवाल पूछे. हमने ये जानबूझकर किया ताकि वो लोग इसके बारे में सोचें. हम लोग कोई 50 हजार किसानों से साथ काम कर रहे हैं. हमने उनसे पूछा कि क्‍या एक किसान लखपति बन सकता है. हम उनसे इसे लेकर बात करते हैं और उनकी आय को बढ़ाने के तरीकों को लेकर काम करते हैं. 

आप सीएसआर से जो संतोष पाते हो वो बेशकीमती है
Dr. Anusha Srinivasan Iyer, Founder & Mentor, Make Earth Green Again MEGA Foundation ने इस मौके पर कहा कि मैं जानवरों के लिए पिछले 3 दशक से ज्‍यादा समय से काम कर रही हूं. हम एक एजेंसी के जरिए काम करते हैं. हमारी 90 प्रतिशत आय वापस चैरिटी में चली जाती है. उन्‍होंने कहा कि मैं सीएसआर देने वाली सभी कंपनियों से कहना चाहूंगी कि आप जितना भी दोगे उससे ज्‍यादा ही पाओगे. आप उससे जो संतोष पाओगे उससे ज्‍यादा कुछ नहीं हो सकता है. उन्‍होंने कहा कि मैंने देखा है कि जब कभी भी एनिमल वेलफेयर के लिए सीएसआर आता है तो हालांकि वो बहुत कम आता है.

इसलिए हमारी फाउंडेशन को मेक अर्थ ग्रीन अगेन कहा जाता है. क्‍योंकि हम बड़ी समस्‍याओं को लेकर काम करना चाहते थे. जब ये बात ट्री प्‍लांटेशन को लेकर आती है, जब ये बात सीड बॉल को लेकर आती है, ये सभी वो चीजें हैं जो हमारे पास आने वाली हेल्‍प को वापस सोसाइटी को दे देते हैं. उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि सीएसआर को वास्‍तव में सीएसआर होना चाहिए, ताकि हम जिन चीजों को जमीन तक पहुंचाना चाहते हैं उसे वहां तक पहुंचा सकें. इसे मैं आपको एक उदाहरण से समझाना चाहूंगी कि हम पेड़ लगाते हैं, लेकिन हम बड़े पेड़ लगाना चाहते हैं जो 10 फुट से बड़े हों, ताकि वो सर्वाइव कर सकें. केवल पेड़ लगाना मकसद नहीं होना चाहिए.

सबसे ज्‍यादा रोजगार पैदा करती है ऑटोमोबाइल इंडस्‍ट्री  
Arindam Lahiri, Chief Executive Officer, Automotive Skills Development Council (ASDC) ने कहा कि ऑटोमोटिव इंडिया भारत की ऐसी इंडस्‍ट्री है जो सबसे ज्‍यादा रोजगार पैदा करती है. आज इस इंडस्‍ट्री के साथ 30 मिलियन से ज्‍यादा लोग प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं. स्किल हमेशा से ही अहम रही है, लेकिन आज के संदर्भ में ये और भी महत्‍वपूर्ण हो गई है. बड़े स्‍तर पर रोजगार स्‍मॉल साइज या मीडियम साइज एंटरप्राइजेस में होता है. ऐसे में स्किल और भी महत्‍वपूर्ण हो जाती है जब ये युवाओं के लिए एस्‍पीरेसनल जॉब बन गई हो. जब युवा इसमें काम करते हैं तो उन्‍हें कोई बहुत ज्‍यादा रिस्‍पांस नहीं मिलता है.

शुरुआती दौर में स्किल सीखना भी बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. ऐसे में हमारे जैसी संस्‍थाएं उन लोगों के बीच में एक ब्रिज की तरह काम करती हैं. ऐसे में लोकल इंडस्‍ट्री और लोकल एडमिनिसट्रेशन और सरकार के बीच में हम ब्रिज की भूमिका निभाते हैं. मैं इस क्षेत्र में 2007 या 2008 से काम कर रहा हूं जब स्किलिंग की बात शुरू हुई थी. मुझे याद है कि जब मैं राजस्‍थान के हनुमान गढ़ गया था कॉनवोकेशन के लिए वहां मुझे उन लोगों को सर्टिफिकेट बांटने थे जिन्‍हें हमने ट्रेनिंग दी थी. मैंने उनसे पूछा कि तीन महीने की ट्रेनिंग में क्‍या आपने कुछ सीखा? उनमें से एक ने कहा कि ट्रेनिंग ने मुझे जीना सीखा दिया है. ये ट्रेनिंग आपको सस्‍टेनेबल बना सकती है. 

CSR ज्‍यादा स्‍ट्रक्‍चर्ड हो गया है
Chetan Kapoor, Chief Executive Officer, Tech Mahindra Foundation ने कहा मुझे लगता है कि पिछले कुछ समय में  सीएसआर ज्‍यादा स्‍ट्रक्‍चर्ड और ज्‍यादा फोकस्‍ड हो चुका है. इस मामले में मैं अपनी कंपनी को ज्‍यादा भाग्‍यशाली मानता हूं कि जब 2006-07 में हमने इसे लेकर काम करना शुरू किया तो उस वक्‍त हमने शिक्षा के सशक्तिकरण को लेकर काम करना शुरू किया. हमने एजुकेशन के दायरे को बढ़ाते हुए उसमें स्किल डेवलपमेंट को भी शामिल किया.

साथ ही हमने उसमें डिसैबिलिटी को भी बेहद अहम भूमिका में रखा. आज हम यूथ चिल्‍ड्रन और टीचरों के लिए काम कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि कोलैब्रेशन में काम करना बेहद जरूरी है. जब हमने डिसएबल बच्‍चों के साथ काम किया तो देखा कि कुछ बच्‍चे ऐसे होते हैं जो जन्‍मजात ब्‍लाइंड होते हैं लेकिन कुछ जन्‍म के कुछ समय बाद ब्‍लाइंड हो जाते हैं. कुछ कम ब्‍लाइंड होते हैं और कुछ ज्‍यादा ब्‍लाइंड होते हैं. ऐसे में हमें सभी के लिए एक अलग अप्रोच अपनानी पड़ती है. उन्‍होंने कहा कि आज हम 11 बड़े शहरों में काम कर रहे हैं. लेकिन उन सभी शहरों की चुनौतियां अलग हैं. 

पिछले कुछ सालों में लैंडस्‍केप पूरी तरह बदल गया है 
Ashwini Deodeshmukh, Head – Corporate Social Responsibility & Sustainability Reporting, Godrej & Boyce ने इस मौके पर कहा कि हम कुछ वर्टिकल को लेकर सीएसआर में काम कर रहे हैं. इसमें ग्रीनर इंडिया शामिल है, दूसरा जो भी ग्रीन प्रोडक्‍ट ऑफर कर रहे हैं वो कितना बेहतर है. तीसरा  ऐसा क्षेत्र है रोजगार. ये वो एरिया हैं जिन्‍हें लेकर हम काम कर रहे हैं. पिछले कुछ सालों में लैंडस्‍केप काफी बदल गया है. हम इस बात को लेकर सोच रहे हैं कि आखिर जिन क्षेत्रों में हम काम कर रहे हैं उनके लिए हमारी अप्रोच क्‍या होनी चाहिए. पिछले कुछ सालों में नेशनली और इंटरनेशनली काफी बदलाव हुए हैं. कुछ ऐसे बदलाव हुए हैं जिन्होंने हमारी मदद की है. आने वाले समय में हम वाटर क्राइसेस को लेकर भी काम करने की योजना बना रहे हैं. इनमें जैसे पंचकुला और चेन्‍नई वो क्षेत्र हैं जहां काम किया जा सकता है. हम जल संरक्षण को लेकर भी कई प्रोजेक्‍ट पर काम करने की योजना बना रहे हैं.
 


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