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Movie Review: 'Rocketry: The Nambi Effect' देख आंसू निकल जाएंगे
Rocketry: The Nambi Effect : 'कोई देश तबतक महान नहीं हो सकता, जबतक उसे महान बनाने वालों की कद्र न की जाए.
चंदन कुमार 1 year ago
फिल्म का नाम : रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट
मुख्य कलाकार : आर माधवन, सिमरन, रजित कपूर और शाहरुख खान
लेखक : आर माधवन
निर्देशक : आर माधवन
निर्माता : आर माधवन, सरिता माधवन, वर्गीज मूलन और विजय मूलन
स्टार रेटिंग : 3.5
'कोई देश तबतक महान नहीं हो सकता, जबतक उसे महान बनाने वालों की कद्र न की जाए.' Rocketry - The Nambi Effect फिल्म के आखिरी में महान वैज्ञानिक नांबी नारायणन की यह बात बताने के लिए काफी है कि उन्हें अपने जीवन में देशभक्ति की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. पद्म भूषण से सम्मानित ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन के जीवन पर आधारित यह फिल्म दिल को छू जाती है. फिल्म में नांबी नारायणन की भूमिका में आर. माधवन ने अलग-अलग इमोशंस को जिस अंदाज में प्ले किया है, वो काबिलेतारीफ है.
फिल्म की शुरुआत एक इंटरव्यू से होती है, जिसे शाहरुख खान ले रहे होते हैं. इसी इंटरव्यू के जरिए पूरी फिल्म आगे बढ़ती है. नांबी नारायणन की जिंदगी कितनी सादगी भरी है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे इंटरव्यू देने भी चप्पल पहनकर आते हैं. इसी इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी के हर दर्द को बयां किया. लिक्विड इंजन बनाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नांबी ने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया. लिक्विड इंजन की तकनीक समझने नांबी प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी जाते हैं. कम समय में ज्यादा सीख सकें, उसके लिए वे प्रोफेसर के घर की साफ-सफाई करते हैं, खाना बनाते हैं, उनकी बीमार बीवी की सेवा करते हैं. जो 4 साल से मुस्कुरा नहीं पाई, उसके चेहरे पर हंसी लाते हैं. उनके टैलेंट को देखकर नासा उन्हें जॉब ऑफर करता है. उन्हें कई तरह के प्रलोभन देता है, लेकिन नांबी में देशभक्ति इतनी कूट-कूटकर भरी हुई कि उन्होंने वो ऑफर ठुकरा दिया और काफी कम सैलरी और सुविधाओं के साथ ISRO के साथ ही जुड़े रहे. देश के लिए कई बार अपने जीवन को खतरे में डालने वाले नांबी 52 वैज्ञानिकों के साथ बड़ी चालाकी से फ्रांस में उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले रॉकेट की तकनीक सीखी और अपने देश में काफी कम बजट में दुनिया का बेस्ट रॉकेट बनाया, जिसका नाम उन्होंने विकास (VIKAS) रखा. आज इसी रॉकेट के जरिए ISRO से सभी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं.
सबकुछ ठीक चल रहा होता है, तभी उनके जीवन में एक ऐसा भूचाल आता है, जिसके बारे में उन्हें जरा भी खबर नहीं थी. उनपर पाकिस्तान को तकनीक बेचने और देश के साथ गद्दारी करने का झूठा आरोप लगाया गया. उन्हें बिना किसी जानकारी के गिरफ्तार किया गया, थर्ड डिग्री टॉर्चर का इस्तेमाल किया गया, परिवार को समाज से दरकिनार कर दिया गया, घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया. देखते ही देखते देशभक्त नांबी की जिंदगी बदतर बना दी गई. आलम यह था कि उनका हाल पूछने रिश्तेदार तो दूर ISRO से भी कोई नहीं आया, जिसके लिए उन्होंने NASA के ऐशो-आराम वाला जॉब ऑफर ठुकरा दिया था. काफी दिन बीत जाने के बाद उनकी मदद करने वो शख्स आता है, जो उनसे सबसे अधिक नफरत करता था. केस CBI के पास जाता है और अंत में सुप्रीम कोर्ट उन्हें निर्दोष साबित कर देता है. लेकिन आखिरी में एक सवाल रह ही जाता है, जिसका जवाब नांबी नारायणन आज भी ढ़ूंढ रहे हैं.
अभिनय कितना दमदार : नांबी नारायणन की भूमिका में आर. माधवन परिपक्व नजर आ रहे हैं. उन्होंने इस रोल को बखूबी निभाया है. माधवन का डायरेक्शन कमाल का है. फिल्म में नांबी नारायणन की पत्नी मीना नांबी का रोल निभा रहीं सिमरन ने भी काबिलेतारीफ एक्टिंग की है, खासकर जब वो मानसिक रूप से बीमार हो जाती हैं. विक्रम साराभाई के रूप में रजित कपूर की भी दमदार एक्टिंग है.
कहां बोझिल लग सकती है फिल्म : यह फिल्म नांबी नारायणन के जीवन पर आधारित है. बायोपिक होने के कारण सबकुछ ओरिजिनल दिखाने की कोशिश की गई है. इसलिए लगभग आधी फिल्म में वार्तालाप इंग्लिश में होती है. सब्टाइटल भी इंग्लिश में चल रहा होता है. यह उन दर्शकों के लिए बोझिल हो सकता है, जिनकी इंग्लिश भाषा तंग है. ऐसे में कम से कम सब्टाइटल हिंदी में दी जा सकती थी, जिससे जिनकी इंग्लिश कमजोर है, वो इसे आसानी से समझ सकें. हालांकि अभिनय इतना शानदार है कि आप सब समझ जाएंगे, पर दिमाग पर जोर डालना पड़ेगा.
क्यों देखनी चाहिए ये फिल्म : यदि आप यह देखना चाहते हैं कि आगे बढ़ते हुए लोगों को नीचे कैसे खींचा जाता है, कैसे एक सच्चे देशभक्त की निष्ठा पर सवाल उठाया गया, कैसे कम संसाधनों के बावजूद हमारे वैज्ञानिक दुनिया जीतने का हौसला रखते हैं, कैसे देश के लिए परिवार को भी दांव पर लगाया जाता है, तो आपको ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए. फिल्म देखते देखते आपकी आंखों से आंसू भी निकल सकते हैं और भ्रष्ट सिस्टम पर गुस्सा भी आ सकता है.
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