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बड़े चालबाज हैं कुंद्रा, 80 करोड़ का फ्लैट Shilpa को इसलिए 38 करोड़ में बेचा!
ED का कहना है कि राज कुंद्रा के पास अभी भी 285 बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत वर्तमान में 150 करोड़ रुपए से अधिक है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 weeks ago
बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले (Bitcoin Ponzi Scam) से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में राज कुंद्रा और उनकी एक्ट्रेस वाइफ शिल्पा शेट्टी की 97.79 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की थी. इसमें शिल्पा का जुहू वाला फ्लैट, राज के नाम पर पुणे में रजिस्टर्ड बंगला और इक्विटी शेयर शामिल हैं. अब इस पूरे मामले में राज कुंद्रा की एक नई चालबाजी भी सामने आई है. हालांकि, इसके पुख्ता सबूत नहीं है, लेकिन ED को पूरा शक है कि राज ने ऐसा किया होगा.
शिल्पा को बुलाएगी ED
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले (Money Laundering Case) में ED की जांच शुरू होते ही बिजनेसमैन राज कुंद्रा ने 2022 में अपना जुहू वाला फ्लैट पत्नी शिल्पा शेट्टी को बेच दिया था. फ्लैट की वैल्यू करीब 80 करोड़ रुपए थी, लेकिन राज ने शिल्पा इसे केवल 38 करोड़ रुपए में बेच दिया. ED को शक है कि पति-पत्नी ने सोची-समझी रणनीति के तहत ऐसा किया होगा, ताकि फ्लैट को कुर्की की कार्रवाई से बचाया जा सके. प्रवर्तन निदेशालय को यह भी लगता है कि राज अभी भी इस फ्लैट के असली मालिक हैं. ईडी शिल्पा शेट्टी को उनका बयान दर्ज करने के लिए जल्द बुला सकती है.
इनके खिलाफ हुई FIR
बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाला तब सामने आया जब महाराष्ट्र और दिल्ली पुलिस द्वारा 2017 में 'गेन बिटकॉइन' नामक योजना में पैसा लगाने वाले निवेशकों की शिकायत पर FIR दर्ज की गईं. बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम के प्रमोटर अजय और महेंद्र भारद्वाज ने निवेशकों को बिटकॉइन के रूप में प्रति माह 10 प्रतिशत रिटर्न का वादा किया था, लेकिन ये वादा कभी पूरा नहीं हुआ. इस मामले में वेरिएबल टेक पीटीई लिमिटेड नामक कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई थीं. इस कंपनी के प्रमोटर्स अमित भारद्वाज, अजय भारद्वाज, विवेक भारद्वाज, सिम्पी भारद्वाज और महेंद्र भारद्वाज का भी नाम एफआईआर में शामिल था.
ऑनलाइन वॉलेट में छिपाई बिटकॉइन
FIR के मुताबिक, आरोपियों ने 2017 में अपने निवेशकों से 6,600 करोड़ रुपए जुटाए थे. कथित तौर पर निवेशकों को शुरुआत में नए निवेश से भुगतान किया गया था. लेकिन, पेमेंट तब रुक गया जब भारद्वाज समूह नए निवेशकों को स्कीम में पैसा लगाने के लिए आकर्षित नहीं कर पाया. इसके बाद आरोपियों ने बचे हुए पैसे से बिटकॉइन खरीदे और उन्हें ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया. दरअसल, इन बिटकॉइन का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग में होना था, लेकिन प्रमोटरों ने निवेशकों को धोखा दिया, उन्होंने गलत तरीके से अर्जित बिटकॉइन को ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया.
अभी और होगी कार्रवाई
ED का कहना है कि राज कुंद्रा को यूक्रेन में बिटकॉइन माइनिंग फर्म स्थापित करने के लिए बिटकॉइन पॉन्जी स्कीम घोटाले के मास्टरमाइंड और प्रमोटर अमित भारद्वाज से 285 बिटकॉइन मिले थे. ईडी के अनुसार, कुंद्रा के पास अभी भी 285 बिटकॉइन हैं, जिनकी कीमत वर्तमान में 150 करोड़ रुपए से अधिक है. हालांकि, राज कुंद्रा इस मामले में मुख्य आरोपी नहीं हैं. प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कुंद्रा बिटकॉइन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. इसलिए उसे बिजनेसमैन की प्रॉपर्टी को अटैच करना पड़ा है. ED कुंद्रा की अन्य संपत्तियों के बारे में भी जानकारी हासिल कर रही है, ताकि बिटकॉइन के मूल्य की प्रॉपर्टी अटैच की जा सके.
प्रापर्टी अटैचमेंट क्या होता है?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) किसी संपत्ति को प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अटैच करता है. प्रापर्टी अटैच करने के बाद ED को पर्याप्त सबूतों के साथ मामले को अदालत में पेश करना पड़ता है. कोर्ट का फैसला होने तक प्रापर्टी ईडी के पास अटैच ही रहती है. हालांकि, ED की इस कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती भी दी जा सकती है. यदि अदालत को लगता है कि ई़डी अपनी कार्रवाई के पक्ष में उचित दस्तावेज नहीं दे पा रही है, तो अटैच की गई प्रापर्टी उसके मालिक को वापस लौटा दी जाती है.
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