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कितने दिनों तक कायम रहेगी पेट्रोल-डीजल पर मिली राई जैसी राहत? सता रहा है ये डर
चुनावी मौसम में कुछ दिन पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 रुपए की कटौती की गई थी.
नीरज नैयर 1 month ago
एक लंबे इंतजार के बाद हाल ही में पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में कमी हुई है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने करीब 22 महीने के इंतजार के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम में 2 रुपए की कटौती की थी. हालांकि, माना जा रहा था कि कंपनियां कम से कम 10 रुपए की कमी करेंगी, क्योंकि वह जिस घाटे की दुहाई देती आ रहीं थीं वो अब मुनाफे में तब्दील हो गया है. ऊपर से मौसम भी चुनावी है. लेकिन दिल खोलकर आम आदमी की जेब काटने वालीं कंपनियों ने राहत देने में कंजूसी दिखाई. अब सवाल ये है कि जनता को मिली राई जैसी राहत कितने दिन रहेगी? क्या चुनावी मौसम बीतने के बाद पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी का सिलसिला फिर से शुरू हो जाएगा?
इस वजह से बढ़ सकते हैं दाम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि रूस (Russia) की तरफ से क्रूड ऑयल (Crude Oil) उत्पादन में की गई कटौती से सितंबर तक ग्लोबल बेंचमार्क क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच सकती हैं. इसके अलावा ओपेक+ (OPEC+) के कई देशों ने भी तेल बाजार में जारी उठापटक को रोकने के इरादे से प्रति दिन 2.2 मिलियन बैरल की स्वैच्छिक उत्पादन कटौती साल के अंत तक जारी रखने का फैसला लिया है. जाहिर है इससे भी कीमतें प्रभावित होंगी. क्रूड ऑयल के महंगा होने की खबर हमारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को अलर्ट कर देती है. ऐसे में यदि आने वाले दिनों में कच्चा तेल महंगा होता है, तो घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल महंगा होने से इंकार नहीं किया जा सकता.
फिलहाल इतने चल रहे हैं दाम
क्रूड ऑयल की कीमतें अभी 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रही हैं. इसके बावजूद भारतीय कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम में केवल 2 रुपए की कटौती की है. यदि जेपी मॉर्गन का अनुमान सही साबित होता है और कच्चे तेल की कीमतें चढ़ती हैं, तो हमारे यहां भी पेट्रोल-डीजल के दाम फिर बढ़ाये जा सकते हैं. लिहाजा, चुनावी मौसम बीतते ही अगर पेट्रोल-डीजल महंगा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. पूर्व में भी ऐसा कई बार हो चुका है कि चुनाव बीतते ही तेल के दाम बढ़ जाते हैं.
रूस से भारत ने खरीदा काफी तेल
रिपोर्ट्स बताती हैं कि मौजूदा साल की दूसरी तिमाही में रूस ने कच्चे तेल के उत्पादन और निर्यात में प्रति दिन 471,000 बैरल कटौती के साथ-साथ प्रति दिन 500,000 बैरल की स्वैच्छिक कटौती का फैसला किया है. रूस के इस फैसले से कीमतें प्रभावित हो सकती हैं. इसके अलावा ओपेक+ की ओर से तेल उत्पादन में कटौती को साल के अंत तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इससे भी कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. गौरतलब है कि भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. बीते कुछ समय में उसने रूस से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीदा है.
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