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TATA की होने वाली थी Bisleri, लेकिन अब फंस गया ये पेंच
TATA और बिसलेरी के बीच फिर से नए सिरे से बातचीत शुरू हो सकती है. साथ ही Bisleri को अपना बनाने के लिए दूसरे संभावित दावेदार भी सामने आ सकते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
बोतल बंद पानी की पहचान बन चुकी बिसलेरी (Bisleri) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि कंपनी की टाटा ग्रुप (TATA Group) के साथ डील अटक गई है. दोनों कंपनियों में डील की वैल्यूएशन को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. बता दें कि पिछले साल बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक रमेश चौहान (Ramesh Chauhan) ने कंपनी को बेचने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि उनकी बेटी जयंती चौहान कंपनी यह जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं हैं, इसलिए उत्तराधिकारी के अभाव में वह Bisleri को बेच रहे हैं.
चौहान की ये है डिमांड
बिसलेरी (Bisleri) को खरीदने वालों की दौड़ में टाटा ग्रुप सबसे आगे चल रहा था. दोनों पक्षों में डील फाइनल करने के लिए बातचीत भी शुरू हो गई थी, लेकिन अब खबर है कि मामला अटक गया है. बताया जा रहा है कि दोनों कंपनियों में डील की वैल्यूएशन को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. दरअसल रमेश चौहान इस डील के जरिए 1 अरब डॉलर हासिल करना चाहते हैं, लेकिन टाटा ग्रुप इतनी वैल्यूएशन देने का इच्छुक नहीं है. लिहाजा, बातचीत एडवांस स्टेज में पहुंचने के बाद अटक गई है.
फिर शुरू होगी बातचीत
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि TATA और बिसलेरी के बीच फिर से नए सिरे से बातचीत शुरू हो सकती है. साथ ही Bisleri को अपना बनाने के लिए दूसरे संभावित दावेदार भी सामने आ सकते हैं. यानी अब ये जरूरी नहीं है कि Bisleri पर टाटा का ही कब्जा हो. वैसे, टाटा समूह के लिए ये डील फायदे का सौदा हो सकती है. इससे बोतलबंद पानी के कारोबार में टाटा की पकड़ और मजबूत हो जाएगी. टाटा समूह के पास पहले से हिमायलन नेचुरल मिनिरल वॉटर और टाटा वॉटर प्लस जैसे ब्रैंड हैं, लेकिन बिसलेरी का अपना एक अलग ही मार्केट है.
कितना बड़ा है बाजार?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में भारतीय बोतलबंद पानी का बाजार 2.43 बिलियन डॉलर (लगभग 19,315 करोड़ रुपए) से अधिक था, जिसके अगले कुछ सालों में और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. सिंतबर 2022 में जब बिसलेरी के बिकने की खबर आई थी, तब इक्विटी रिसर्च फर्म नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में कहा गया था कि यदि बिसलेरी का अधिग्रहण होता है, तो यह टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (TCPL) के लिए फायदे का सौदा होगा. नुवामा का अनुमान था कि वित्तवर्ष 23 में बिसलेरी को 2,500 करोड़ रुपए का राजस्व (Revenue) और टैक्स काटने के बाद 220 करोड़ रुपए का प्रॉफिट हो सकता है. बिसलेरी के अधिग्रहण से TCPL के राजस्व और मुनाफे में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.
टाटा के लिए जरूरी है डील
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि टाटा समूह बेहद कारगर रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है. कंपनी सोच-समझकर चुनिंदा कंपनियों का अधिग्रहण कर रही है. टाटा समूह ने Himalayan नेचुरल मिनरल वॉटर ब्रैंड खरीदा था, इसके बाद FY22 में Himalayan के खाते में प्रॉफिट आया. इससे पता चलता है कि टाटा समूह किस ढंग से किसी कंपनी को प्रॉफिटेबल कंपनी बनाने में माहिर है. ऐसे में पहले से ही अच्छी स्थिति में चल रही बिसलेरी को समूह और ऊंचाई पर पहुंचा सकता है और इसका सीधा फायदा उसे ही होगा. यानी बिसलेरी खरीदना TATA के लिए विन-विन सिचुएशन होगी. ऐसे में टाटा ग्रुप नहीं चाहेगा कि ये डील उसके हाथों से फिसले.
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