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किर्लोस्कर केस में ट्रिब्यूनल ने SEBI के आदेशों को किया रद्द, जानें क्या है मामला
अतुल और राहुल किर्लोस्कर की तरफ से कहा गया है कि SAT का फैसला हमें इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों से मुक्त करता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 years ago
किर्लोस्कर ग्रुप के प्रमोटर्स को सिक्योरिटीज एपीलेट ट्रिब्यूनल (सैट) ने राहत प्रदान की है. SAT ने किर्लोस्कर ग्रुप ऑफ कंपनीज में इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के कथित उल्लंघन के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा पारित आदेशों को रद्द कर दिया है. अतुल और राहुल किर्लोस्कर ने SAT के इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि सिक्योरिटीज एपीलेट ट्रिब्यूनल ने इस आधार पर सेबी के आदेशों को रद्द कर दिया है कि कोई अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी (UPSI) नहीं थी और फलस्वरूप किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड के शेयर किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 2010 में बेचते समय हमने कोई इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं की थी.
31 करोड़ का लगा था जुर्माना
कंपनी द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में अतुल और राहुल किर्लोस्कर की तरफ से कहा गया है कि SAT का फैसला हमें इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों से मुक्त करता है. ट्रिब्यूनल का ये फैसला भारतीय न्याय प्रणाली में हमारे विश्वास को मजबूत करता है. गौरतलब है कि अक्टूबर 2020 में, सेबी ने समूह से संबंधित एक दर्जन से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले में अलग-अलग आदेश पारित किए थे और 31 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था.
भाइयों में चल रहा विवाद
SAT की तीन सदस्यीय बेंच ने सेबी के इस तर्क को खारिज कर दिया कि कुछ संस्थाओं ने यूपीएसआई का अनुचित लाभ उठाया. SAT ने माना कि कोई UPSI नहीं था और इसलिए इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. बता दें कि राहुल और अतुल किर्लोस्कर का किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड (KBL) के प्रमुख और उनके भाई संजय किर्लोस्कर के साथ मतभेद चल रहा है. किर्लोस्कर इंडस्ट्री की कमान राहुल और अतुल किर्लोस्कर के पास है.
ये है पूरा मामला
SAT ने प्रतिद्वंद्वी संजय किर्लोस्कर खेमे की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अतुल और राहुल पर लगाए गए जुर्माने और डिस्गॉर्ज्मन्ट अमाउंट को बढ़ाने की मांग की गई थी. ट्रिब्यूनल ने कहा कि संजय के नेतृत्व वाली KBL सेबी के फैसले से प्रभावित नहीं होती है, इसलिए उसके पास अपील दायर करने का कोई अधिकार नहीं था. यह मामला 2010 का है, जब किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज को फैमिली होल्डिंग्स के पुनर्गठन के एक हिस्से के रूप में केबीएल के शेयर खरीदने के लिए कहा गया था. यह आरोप लगाया गया था कि इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन करते हुए परिवार के कुछ सदस्यों ने यूपीएसआई के कब्जे में रहते हुए केबीएल के शेयर बेचे थे.
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