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RBI से आई ये राहत भरी खबर, फिलहाल नहीं बढ़ेगी आपकी EMI
RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक समाप्त हो गई है. RBI ने रेपो रेट में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट (Repo Rate) में कोई इजाफा नहीं किया है. RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक की समाप्ति पर गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. सर्वसमत्ति से रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. बता दें कि लगातार छह बार नीतिगत ब्याज दरों में इजाफे के बाद यह पहली बार जब RBI ने इस मोर्चे पर राहत दी है.
अनुमान के उलट फैसला
RBI पिछले साल मई से लेकर अब तक रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है. माना जा रहा था कि इस बार भी रेपो रेट में इजाफा हो सकता है, क्योंकि महंगाई संतोषजनक लेवल से ज्यादा है. लेकिन RBI ने यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला लिया. यानी न रेपो रेट बढ़ाई गई और न ही इसे कम किया गया. केंद्रीय बैंक के इस फैसले से न कर्ज महंगा होगा और न ही आपकी EMI बढ़ेगी.
'जरूरत के मुताबिक उठाएंगे कदम'
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हमने अर्थव्यवस्था में जारी सुधार को बरकरार रखते हुए आम सहमति से नीतिगत दर को बरकरार रखने का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने स्थिति के मुताबिक कदम उठाएंगे. रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं होने से बैंक भी कर्ज की ब्याज दरें नहीं बढ़ाएंगे. इसका मतलब है कि आप पर कर्ज को बोझ फिलहाल नहीं बढ़ेगा. गौरतलब है कि Repo Rate बढ़ने से बैंकों को आरबीआई को पहले से ज्यादा ब्याज देना होता है और इसके भरपाई के लिए वह कर्ज महंगा कर देते हैं.
ये है RBI की जिम्मेदारी
मालूम ही कि RBI के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उसे महंगाई को नियंत्रित करने में अपनी असफलता पर सरकार को स्पष्टीकरण देने पड़ा है. दरअसल, रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर महंगाई के लिए तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया जाता, तो RBI को केंद्र सरकार के समक्ष स्पष्टीकरण देना होता है. मौद्रिक नीति रूपरेखा के 2016 में प्रभाव में आने के बाद से यह पहली बार हुआ है जब RBI को इस संबंध में केंद्र को रिपोर्ट भेजनी पड़ी. आरबीआई को केंद्र की तरफ से खुदरा महंगाई दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में नाकाम रहा है.
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