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RBI ने रेपो रेट को लेकर लिया ये फैसला, जनता को मिली बड़ी राहत
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेस करते हुए एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों की समीक्षा करने के बाद रेपो रेट में कोई इजाफा नहीं किया है. 8 अगस्त से शुरू हुई रिजर्व बैंक की बैठक आज खत्म हो गई. उसके बाद ब्याज दरों का ऐलान करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने उसमें कोई इजाफा नहीं किया. एमपीसी की 6 सदस्यों की समिति में सभी ने इसे स्थिर रखने का निर्णय लिया है. रेपो रेट पहले की तरह 6.50% बनी रहेगी.
आरबीआई गवर्नर ने क्या कही 5 बातें
- सबसे अहम ये है कि दुनिया भर की अनिश्चिताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.
- मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर ही स्थिर रखा है.
- मौजूदा वित्तीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ रेट 6.50 प्रतिशत बने रहने की संभावना है.
- RBI को उम्मीद है कि जीडीपी की ग्रोथ रेट पहली तिमाही में 8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में ये 5.7 प्रतिशत बनी रहेगी.
-RBI ने महंगाई दर को लेकर भी अनुमान जताया है और उसने खुदरा महंगाई के अनुमान में कमी कर दी है. पहले उसने ये 5.2 प्रतिशत उससे 5.1 प्रतिशत कर दी है.
जुलाई में बढ़ सकती है महंगाई दर
देश के कुछ इलाकों में कमजोर मानसून और बाढ़ के कारण खानेपीने की चीजों की कीमत में बढ़ोतरी हुई है. टमाटर, सब्जियों से लेकर दाल-चावल के दाम भी पिछले कुछ वक्त में तेजी से बढ़े हैं. जून में खुदरा महंगाई 4.81 प्रतिशत रही, जो इसका तीन महीने का उच्चतम स्तर है. माना जा रहा है कि जुलाई में महंगाई की दर रिजर्व बैंक की टारगेट रेंज से ऊपर पहुंच गई है.
अर्थशास्त्रियों ने क्या जताया था अनुमान
ब्लूमबर्ग के एक सर्वे के मुताबिक, 42 अर्थशास्त्रियों का अनुमान जताया था कि आरबीआई रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर बनाए रख सकता है. RBI पहले ही महंगाई के नाम पर कई बार कर्ज महंगा कर चुका है, जिसकी वजह से लोन लेने वालों पर EMI का बोझ काफी बढ़ चुका है. इसके साथ ही नए लोन भी महंगे हो गए हैं. बता दें कि RBI पर महंगाई को एक निश्चित सीमा के नीचे रखने की जिम्मेदारी होती है और इसके लिए वह (Repo Rate) में इजाफा करता रहता है. पिछले साल मई से अब तक रेपो रेट में 2.5% की बढ़ोतरी हुई है. रेपो रेट की बात करें तो यह वो दर होती है, जिस पर RBI बैंकों को लोन देता है. लिहाजा, जब इसमें इजाफा होता है, तो बैंक अपना कर्ज महंगा करके ग्राहकों से उसकी वसूली कर लेते हैं. वहीं, रिवर्स रेपो रेट वो दर होती है, जिस पर RBI बैंकों को रुपए रखने के लिए ब्याज देता है.
ये है RBI की जिम्मेदारी
मालूम ही कि RBI के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उसे महंगाई को नियंत्रित करने में अपनी असफलता पर सरकार को स्पष्टीकरण देने पड़ा है. दरअसल, रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर महंगाई के लिए तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया जाता, तो RBI को केंद्र सरकार के समक्ष स्पष्टीकरण देना होता है. मौद्रिक नीति रूपरेखा के 2016 में प्रभाव में आने के बाद से यह पहली बार हुआ है जब RBI को इस संबंध में केंद्र को रिपोर्ट भेजनी पड़ी. आरबीआई को केंद्र की तरफ से खुदरा महंगाई दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में नाकाम रहा था.
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