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अब इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सामने आई ये जानकारी, जिसे रद्द कर चुका है सुप्रीम कोर्ट
2017 में चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए इस स्कीम को लाया गया था. इस स्कीम में बॉन्ड के जरिए चंदा देने पर एक नंबर दिया जाता है जो बता देता है कि किसने किसे चंदा दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा लेने वाली सरकार की योजना को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध करार दे दिया. लेकिन अब जानकारी निकलकर सामने आई है कि आखिर योजना को सुप्रीम कोर्ट के अवैध दिए जाने के दो दिन पहले ही सरकार की ओर से 10 हजार इलेक्टोरल बॉन्ड छापने को स्वीकृति दी गई थी. इनमें हर बॉन्ड की कीमत 1 करोड़ रुपये है. अब सवाल यही उठ रहा है कि आखिर उन 10 हजार बॉन्ड का क्या होगा.
क्या है ये पूरा मामला?
देश की सर्वोच्च अदालत ने 15 फरवरी 2024 को एनडीए सरकार द्वारा लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ये पूरी तरह से अनुचित है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब खबर ये निकलकर सामने आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट के इस योजना को रद्द किए जाने के कुछ दिन पहले ही केन्द्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड छापने वाली यूनिट SPMCIL (भारतीय सुरक्षा मुद्रण और मुद्रा निगम) द्वारा 10 हजार इलेक्टोरल बॉन्ड छापने को अंतिम मंजूरी दी थी. इस बॉन्ड में हर एक की कीमत 1 करोड़ रुपये है. वित्त मंत्रालय ने अदालत का आदेश आने के दो हफ्ते के बाद उसकी छपाई पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया था.
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15 फरवरी को दिया गया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की इस स्कीम पर सुनवाई करते हुए इसे रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसे रद्द करने के साथ पिछले कुछ सालों के बॉन्ड की डिटेल को चुनाव आयोग को देने को कहा था जिससे देश के वोटरों के सामने ये आ सके कि आखिर किस कंपनी ने किस पार्टी को चंदा दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद एसबीआई ने जानकारी तो दी लेकिन पूरी जानकारी नहीं दी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि बैंक बॉन्ड का नंबर भी जारी करे.
2017 में एनडीए सरकार लाई थी इस योजना को
देश में चुनावी चंदे की पारदर्शी बनाते हुए तत्कालीन एनडीए सरकार इस इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर आई थी. इस स्कीम में कोई भी शख्स एसबीआई के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है. हालांकि ये नंबर को हर कोई प्राप्त नहीं कर सकता था.
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