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अब UNDP ने बताई सच्चाई, खतरे में दुनिया के आधे सबसे गरीब लोगों का जीवन
UNDP ने मंगलवार को कहा कि 54 विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया के आधे से अधिक सबसे गरीब लोग अभी बहुत बुरी हालत में हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
संयुक्त राष्ट्र: पूरी दुनिया इस वक्त आर्थिक संकट की चपेट में है. आने वाले समय और बुरे होने वाले हैं. अमेरिका जैसे विकसित देश में तो मंदी शुरू हो चुकी है, हालांकि सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही, लेकिन जिस तरह से वहां छंटनी शुरू हुई है, इस बात के साफ संकेत हैं कि कंपनियां आर्थिक संकट से जूझ रही हैं और कॉस्ट कटिंग के नाम पर कर्मचारियों को बाहर का रास्त दिखा रही हैं. अब संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने भी दुनिया को एक डराने वाली बात कही है.
आधे से अधिक सबसे गरीब लोग अभी बहुत बुरी हालत में
UNDP ने मंगलवार को कहा कि 54 विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया के आधे से अधिक सबसे गरीब लोग अभी बहुत बुरी हालत में हैं. उन्हें 'वैश्विक संकट' के परिणामस्वरूप तत्काल ऋण राहत की आवश्यकता है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अगर इन देशों को प्रभावी ऋण समय रहते नहीं मिली, तो गरीबी और तेजी से बढ़ेगी. इससे इन लोगों का जीवन-यापन और कठिन हो जाएगा.
ब्याज दरें कम होने का नहीं करना चाहिए इंतजार
रिपोर्ट के अनुसार UNDP ने कहा है, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तब तक इंतजार नहीं करना चाहिए जब तक कि ब्याज दरें कम न हों या वैश्विक मंदी कार्रवाई करने के लिए शुरू न हो जाए. लंबे समय तक विकास संकट को टालने का समय अब आ चुका है, इसलिए ब्याज दरें कम होने का इंतजार नहीं करना चाहिए."
अब बहुत देर नहीं कर सकते
प्रोग्राम के प्रशासक अचिम स्टेनर ने कहा कि अमीर देश ऋण राहत पैकेज को 'एक छोटी सी गोली' की तरह आसानी से निगल सकते हैं, पर दुनिया के सबसे गरीब लोगों के लिए उनकी निष्क्रियता की कीमत क्रूरता होगी. उन्होंने एक बयान में कहा, "हम विकासशील अर्थव्यवस्था के कर्ज के बोझ के प्रबंधन में बहुत देर से और बहुत कम राहत देने की गलती को दोहराने का जोखिम नहीं उठा सकते. इसलिए समय रहते उनकी मदद करनी होगी."
कई छोटे देशों की आर्थिक हालत ठीक नहीं
गौरतलब है कि कई छोटे देशों की आर्थिक हालत काफी खराब हो चुकी है. अमीर देशों की मदद के बिना वे इस हालत में नहीं हैं कि खुद को खड़ा कर सकें. हाल में ही श्रीलंका की बुरी स्थिति हम देख चुके हैं. उधर, अमेरिका जैसे विकसित देश में भी कंपनियां कॉस्ट कटिंग में जुट गई हैं. फेसबुक भी 12 हजार कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी कर रहा है और वह ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट तैयार कर रहा है, जिनका परफॉर्मेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं था.
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