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अगर बात बनी तो नहीं होना होगा मेडिक्लेम के लिए 24 घंटे भर्ती, सरकार करने जा रही है बातचीत
अगर सभी पक्षों के बीच बातचीत बनती है तो ऐसे में अब आप अपने मेडिक्लेम को कुछ घंटे अस्पताल में रहने के बाद भी इस्तेमाल कर पाएंगे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
अगर आपको आज अपने मेडिक्लेम की सुविधा लेनी है तो उसके लिए आपको 24 घंटे अस्पताल में रहना जरुरी होता है. मौजूदा नियम यही कहता है. ये ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियों का नियम है. लेकिन नेशनल कंज्यूमर कमिशन चीफ के द्वारा इस मसले को उठाए जाने के बाद अब सरकार इस मसले को लेकर आईआरडीए (इंश्योरेंस रेग्यूलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) से बात करने जा रही है. अगर बातचीत सफल रहती है तो हो सकता है इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया जाए.
क्या है ये पूरा मामला?
राष्ट्रीय कंज्यूमर अधिकार दिवस पर अपनी बात रखते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि इस क्लॉज की फिर से समीक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि आज मेडिकल क्षेत्र में लगातार हो रही ग्रोथ के चलते कई सर्जरी ऐसी होती हैं जो कुछ घंटो में ही पूरी हो जाती है. उसके लिए मेडिक्लेम कंपनियों ये अनिवार्यता वाजिफ नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर मरीज 24 घंटे अस्पताल में नहीं रहता है तो दावा स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसा तब देखने में आता है जब मेडिक्लेम इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारे कई जिला फोरम ने ये भी आदेश दिया है कि अगर मरीज 23 घंटे और 30 मिनट का समय भी पूरा कर लेता है तो उसे वो दिया जाना चाहिए.
सरकार ने इस पर क्या बात कही
इस पूरे मामले पर महत्वपूर्ण बात के सामने आने के बाद केन्द्रीय कंज्यूमर मंत्रालय के सचिव रोहि कुमार सिंह ने कहा कि वो इस मामले को लेकर DFS (डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज) और आईआरडीए के साथ बातचीत करेंगें और इस मसले का कोई हल निकालने का प्रयास करेंगे. उन्होंने एक बार फिर कहा कि उनका मंत्रालय उपभोक्ताओं की समस्याओं को सुलझाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि हम इससे पहले भी इंश्योरेंस सेक्टर की कई कंपनियों के साथ इस मसले पर बातचीत कर चुके हैं कि कैसे आम आदमी के लिए सुविधाओं में इजाफा किया जा सके और मौजूदा प्रोसेस को और आसान बनाया जा सके.
पंजाब और केरल में सामने आ चुके हैं मामले
जस्टिस अमेश्वर प्रताप साही ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इससे पहले पंजाब और केरल जैसी उपभोक्ता फोरमों से एतिहासिक निर्णय सामने आ चुके हैं. उन्होंने पंजाब के फिरोजपुर के एक केस का जिक्र करते हुए कहा कि वहां की अदालत ने एक 24 घंटे से कम समय तक अस्पताल में रहने वाले एक शख्स को मेडिक्लेम न दिये जाने को पूरी तरह से गलत बताया और क्लेम देने का आदेश दिया.
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