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जानिये वेस्ट से Bio-Fuel के भविष्य को कैसे मिलेगा आकार, हाल ही में हुआ ये समझौता!
इस बायो-CNG गैस का इस्तेमाल ट्रकों और हैवी-ड्यूटी वाहनों में किया जाएगा और साथ ही औद्योगिक कामों में भी किया जाएगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
शुद्ध रूप से वॉटर टेक्नोलॉजी पर आधारित भारतीय मल्टीनेशनल ग्रुप VA टेक WABAG लिमिटेड (WABAG) ने हाल ही में पीक सस्टेनिबिलिटी वेंचर्स (PEAK) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं और इस समझौते के अनुसार कंपनी द्वारा भारत, GCC, अफ्रीका और यूरोपीय देशों में मौजूद 100 से अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स पर बायो-CNG (Bio-CNG) प्लांट्स की स्थापना की जाएगी.
क्या है पूरा मामला?
कंपनियां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमताओं का इस्तेमाल करना चाहते हैं और बायो-CNG (Bio-CNG) बनाना चाहते हैं. इस बायो-CNG गैस का इस्तेमाल ट्रकों और हैवी-ड्यूटी वाहनों में किया जाएगा और साथ ही इस बायो-CNG गैस का इस्तेमाल औद्योगिक कामों में भी किया जाएगा और साथ ही इस बायो-CNG गैस की बदौलत फॉसिल-फ्यूल के इस्तेमाल में कमी भी देखने को मिलेगी. कंपनी द्वारा उठाये गए इस कदम से न सिर्फ एनर्जी की बढ़ती मांग से निपटने का एक जिम्मेदार और इको-फ्रेंडली तरीका सामने आएगा बल्कि यह एक कदम भारत द्वारा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के निश्चय को भी मजबूती प्रदान करेगा.
WABAG और PEAK
आपको बता दें कि WABAG दुनिया भर में मौजूद तीसरा सबसे बड़ा निजी प्राइवेट ऑपरेटर है और कंपनी द्वारा लगभग दुनिया भर में मौजूद 88.8 मिलियन लोगों को साफ एवं सुरक्षित पीने योग्य पानी उपलब्ध करवाया जाता है. इस रणनीतिक समझौते से WABAG द्वारा ज्यादा साफ और हरित वातावरण के वादे को मजबूती भी मिलेगी. WABAG ने दुनिया भर में मौजूद अपने विभिन्न प्रोजेक्टों के माध्यम से लगभग 40 बड़े बायोगैस निर्माता प्लांट्स की स्थापना की है. PEAK एक वैकल्पिक इन्वेस्टमेंट फंड (AIF) को मैनेज करता है और इस फंड द्वारा 4 विभिन्न वर्टिकल्स में इन्वेस्टमेंट की जाती है जिनमें सतत एवं सकारात्मक लक्ष्यों से संबंधित न्यू एनर्जी, खाद्य सिस्टम, पानी और जलवायु संबंधित अन्य मामले मौजूद हैं.
बेहतर भविष्य का समझौता
इस मौके पर WABAG इंडिया के CEO शैलेश कुमार ने कहा कि सतत एवं सकारात्मक सोल्यूशंस को लागू करने और ग्रीन एनर्जी का निर्माण करने में WABAG हमेशा अग्रणी रहा है. WABAG पहले से मौजूद अपने प्लांट्स की मदद से ही 40MWh जितनी ऊर्जा का निर्माण कर रहा है और इस समझौते से हम ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में अपना अगला कदम रखने जा रहे हैं ताकि हम ज्यादा हरित और साफ फ्यूल का निर्माण कर सकें और आत्मनिर्भर भारत को मजबूती मिल सके.
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