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Musk की मुराद पूरी करने में Ambani निभाएंगे बड़ी भूमिका, कुछ ऐसा है प्लान!
एलन मस्क जल्द से जल्द अपनी कंपनी टेस्ला की कारों को भारत में दौड़ते देखना चाहते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
नई EV नीति को मंजूरी मिलने के बाद से एलन मस्क (Elon Musk) की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला (Tesla) की भारत में एंट्री को लेकर लगातार खबरें आ रही हैं. हाल ही में खबर आई थी कि टेस्ला की एक टीम इस महीने भारत आ सकती है. यह टीम भारत में 2 से 3 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के लिए जगह की तलाश करेगी. अब एक रिपोर्ट में बताया गया है कि टेस्ला की EV मैन्युफैक्चरिंग के लिए मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के साथ बातचीत चल रही है. कंपनी भारत में EV निर्माण के लिए जॉइंट वेंचर बनाना चाहती है.
ऐसी होगी रिलायंस की भूमिका
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि टेस्ला और रिलायंस के बीच पिछले एक महीने से बातचीत चल रही है. अभी यह तय नहीं है कि जॉइंट वेंचर में रिलायंस की क्या भूमिका होगी, लेकिन अनुमान है कि वह टेस्ला के लिए मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी और उससे जुड़ा ईको-सिस्टम तैयार करेगी. दोनों कंपनियों की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान अब तक सामने नहीं आया है. बता दें कि एलन मस्क जल्द से जल्द मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना चाहते हैं, ताकि अपनी कारों को भारत की सड़कों पर फर्राटा भरते देखे सकें.
इन राज्यों पर है नजर
वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि महाराष्ट्र और गुजरात ने टेस्ला को फैक्ट्री लगाने के लिए आकर्षक प्रस्ताव दिए हैं. इसके अलावा, कंपनी की तेलंगाना और तमिलनाडु सरकार के साथ भी बातचीत चल रही है. इस फैसिलिटी पर 2 से 3 अरब डॉलर के निवेश की संभावना है. वैसे हरियाणा में भी कुछ कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, लेकिन टेस्ला का फोकस महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु पर ही रहने की उम्मीद है. इसकी प्रमुख वजह यह है इन राज्यों में बंदरगाह हैं, जहां से कारों का एक्सपोर्ट आसानी से हो सकेगा. टेस्ला के भारत में बनने वाले प्लांट में भारतीय और विदेशी बाजारों के लिए कारें बनाई जाएंगी.
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क्या है नई EV पॉलिसी?
भारत की नई EV पॉलिसी की बात करें, तो इसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत किया जा सकता है, यदि उनकी कीमत 35,000 डॉलर (लगभग 29 लाख रुपए) से ज्यादा नहीं है. पहले की व्यवस्था के तहत भारत में लाई जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों पर 70 से 100 प्रतिशत तक इंपोर्ट ड्यूटी लगती थी. हालांकि, ये छूट केवल उन्हीं कंपनियों को मिलेगी जो भारत में प्लांट लगाएंगी और कम से कम 4150 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी. उन्हें बिजनेस शुरू करने के तीन साल के भीतर देश में अपनी मैन्युफैक्चरिंग शुरू करनी होगी.
टाटा को मिलेगी चुनौती
टाटा और महिंद्रा जैसी स्थानीय कंपनियां आयात शुल्क में कटौती के खिलाफ थीं. उन्हें डर था कि इससे भारतीय कंपनियों के हित प्रभावित होंगे. फिलहाल भारत के EV कारों के बाजार में टाटा मोटर्स का दबदबा है. टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (TPEML) की देश के EV मार्केट में 73 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. पिछले वित्त वर्ष में कंपनी 53,000 से अधिक EV बेच चुकी है. वैसे, टाटा मोटर्स के पोर्टफोलियो में ईवी की हिस्सेदारी केवल 12 फीसदी है, लेकिन इसमें तेजी से विस्तार हो रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेस्ला की एंट्री से सबसे ज्यादा चुनौती टाटा को मिलेगी.
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