होम / बिजनेस / नकली दवाओं का धंधा होगा मंदा, सरकार के इस कदम से पलभर में हो जाएगी फेक मेडिसिन की पहचान
नकली दवाओं का धंधा होगा मंदा, सरकार के इस कदम से पलभर में हो जाएगी फेक मेडिसिन की पहचान
सरकार दवा की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उस पर QR Code छापने का नियम बना चुकी है, जिस पर जल्द अमल शुरू हो जाएगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
जिस तरह से नकली घी या पनीर बाजार में मौजूद है, उसी तरह से नकली दवाइयां भी मार्केट में आती रहती हैं. फूड आइटम्स के असली या नकली होने की पहचान कुछ हद तक उसके टेस्ट से की जा सकती है, लेकिन दवाओं के मामले में ऐसा नहीं है. लिहाजा यह सवाल बड़ा हो जाता है कि आप और हम दो दवाएं ले रहे हैं वो असली हैं या नहीं? हालांकि, जल्द ही इस सवाल का जवाब आसानी से खोजा जा सकेगा. दरअसल, सरकार दवा की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उस पर QR Code छापने का नियम बना चुकी है और आने वाले कुछ महीनों में इस पर अमल भी शुरू हो जाएगा.
पहले चरण में ये होगा
सरकार ने इस संबंध में जून में ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसे अब फाइनल कर दिया गया है. इसके पहले चरण में दवा की बोतल, जार, कैन, ट्यूब या पत्ते पर QR Code छापा जाएगा. इस QR कोड की मदद से आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि कोई दवा असली है या नहीं. इसके अलावा, कई अन्य तरह की जानकारी भी कोड स्कैन करते ही आपके मोबाइल पर आ जाएंगी.
300 मेडिसिन का चयन
फिलहाल, सरकार ने 300 कॉमन ट्रेंड की दवाओं पर QR कोड लगाने का फैसला किया है. इसमें विटामिन, मधुमेह, हाइपरटेंशन और कैंसर आदि की कॉमन दवाएं शामिल हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, दवा कंपनियों ने इसके लिए कुछ समय मांगा है. ये समयावधि फाइनल ड्राफ्ट वाले दिन से 18 महीनों की होगी. इसके बाद उन्हें दवाओं के पैकेट पर QR कोड प्रिंट करना होगा. माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से डोलो, सेरेडोन, कोरेक्स, एलेग्रा जैसे बड़े ब्रैंड पर असर पड़ सकता है.
ये ब्रैंड हुए शॉर्टलिस्ट
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने QR कोड के नियम को लागू करने के लिए औषधि नियम 1945 में कई संशोधन किए हैं. मार्च में स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मा विभाग (DoP) को 300 दवाओं की सूची जारी करने के लिए कहा था, जिन्हें क्यूआर कोड लागू करने की पहली लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. इसके बाद National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) ने इन दवाओं की लिस्ट तैयार की थी, जिसमें इसमें पेन किलर, विटामिन, डायबिटीज़, गर्भनिरोधक और ब्लड प्रेशर जैसी दवाएं शामिल हैं. NPPA ने Dolo, Allegra, Asthalin, Augmentin, Saridon, Limcee, Calpol, Corex, Thyronorm, Unwanted 72 जैसे ब्रैंड को उनके वार्षिक टर्नओवर के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया है.
ये है कंपनियों का तर्क
QR कोड स्कैन करते ही मेडिसिन के बारे में कई तरह की जानकारी सामने आ जाएगी. उदाहरण के लिए., विशिष्ट उत्पाद पहचान कोड, दवा का प्रॉपर और जेनेरिक नाम, ब्रैंड का नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच नंबर, निर्माण की तारीख, समाप्ति की तारीख और विनिर्माण लाइसेंस संख्या आदि. दवा कंपनियों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उनका कहना है कि इससे छोटी कंपनियों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक पुराने अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में बिकने वालीं करीब 35% नकली दवाएं भारत से आती हैं.
टैग्स