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BW Class: क्या होता है Rights Issue? इससे निवेशकों को क्या फायदा?
राइट्स इश्यू से शेयरधारकों को एक फायदा होता है कि उन्हें कंपनी के शेयर सस्ते भाव पर मिल जाते हैं. राइट्स इश्यू जारी होने से कंपनी के शेयर बेस के ऊपर असर पड़ता है
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
राइट्स इश्यू क्या होता है
जब कोई कंपनी पैसा जुटाने के लिए पहली बार शेयर बाजार में अपने शेयर लेकर आती है, उसे Initial Public Offer या IPO कहा जाता है. इसमें कंपनी अपने शेयरों को बोली के लिए रखती है, निवेशक बोली में हिस्सा लेते हैं और जिन्हें शेयर अलॉट हो जाते हैं वो उस कंपनी के शेयरहोल्डर बन जाते हैं.
अब मान लीजिए उसी कंपनी को IPO लाने के बाद भी पैसों की जरूरत पड़ती है तो वो क्या करेगी. अब चूंकि कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट हो चुकी है. इसलिए उसके पास एक विकल्प होता है कि वो अतिरिक्त शेयरों को जारी करे, लेकिन इसमें एक शर्त ये होती है कि इन शेयरों पर पहला 'RIGHT' मौजूदा शेयरधारकों का होता है, इसलिए इसे राइट्स इश्यू कहते हैं. मतलब ये शेयर सबसे पहले मौजूदा शेयरहोल्डर्स को ऑफर किये जाते हैं, हालांकि शेयरधारकों के लिए इनको खरीदने की कोई बाध्यता नहीं होती है. अगर कंपनी सीधा बाजार में अपने शेयर उतार देगी तो हो सकता है कि शेयरहोल्डर्स इस पर आपत्ति जताएं.
राइट्स इश्यू का गणित
आमतौर पर राइट्स इश्यू को मौजूदा शेयर प्राइस से डिस्काउंट रेट या कम कीमत पर ऑफर किया जाता है, अगर ऐसा नहीं होगा तो कोई इसमें हिस्सा ही क्यों लेगा. मान लीजिए किसी कंपनी ABC का मौजूदा शेयर प्राइस 100 रुपये है तो वो कंपनी राइट्स इश्यू के लिए 85 रुपये का भाव तय कर सकती है. ये राइट्स इश्यू एक तय अवधि के लिए ही लाये जाते हैं. इसी अवधि में ही शेयरधारकों को इसमें हिस्सा लेना होता है.
राइट्स इश्यू का अनुपात
अब समझिये कि राइट्स इश्यू लाया कैसे जाता है. देखिए ये एक अनुपात में लाया जाता है, जैसे बोनस शेयर या स्टॉक स्प्लिट अनुपात में होता. मान लीजिए कि कंपनी ABC ने 1:5 के राइट्स इश्यू का ऐलान किया है. मतलब ये कि किसी शेयर धारक के पास अगर पहले से शेयर हैं तो उसके हर 5 शेयर पर 1 शेयर मिलेगा. मतलब अगर किसी के पास 20 शेयर हैं, तो राइट्स के जरिए वो 4 अतिरिक्त शेयर ले सकता है, वो भी डिस्काउंट रेट पर.
राइट्स इश्यू क्यों लाती हैं कंपनियां?
कंपनियां राइट्स इश्यू लाती हैं अतिरिक्त पूंजी जुटाने के लिए, अब इस पूंजी जुटाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे -
1- अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कंपनी को पैसों की जरूरत होती है.
2- कंपनियों का डेट-इक्विटी रेश्यो बहुत बढ़ गया हो, आसान भाषा में समझें तो कंपनी पर कर्ज का भार बहुत बढ़ गया है
3- कंपनियां अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए भी राइट्स इश्यू लाती हैं, इस पैसे का इस्तेमाल कंपनियां अन्य कंपनियों के अधिग्रहण के लिए करती हैं
4- इसके अलावा अगर कंपनी को नया प्लांट या मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाना चाहती है तो वो राइट्स इश्यू से पैसे जुटाती है
राइट्स इश्यू से निवेशकों का क्या फायदा
राइट्स इश्यू से शेयरधारकों को एक फायदा होता है कि उन्हें कंपनी के शेयर सस्ते भाव पर मिल जाते हैं. राइट्स इश्यू जारी होने से कंपनी के शेयर बेस के ऊपर असर पड़ता है और कंपनी का इक्विटी बेस भी बढ़ जाता है. राइट्स इश्यू जारी होने से स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी के शेयरों की लिक्विडिटी में बढ़ोतरी हो जाती है. हालांकि इससे कंपनी की ओनरशिप में कोई बदलाव नहीं होता है
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