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BW Class: PMI क्या है, अर्थव्यवस्था पर कैसे डालता है असर, कैसे होती है इसकी गणना?
पीएमआई इंडेक्स किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण सूचकांक होता है. पीएमआई नंबर 50 से ऊपर होना उस सेक्टर में बढ़ोतरी को दिखाता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को समझने के लिए उसके पीएमआई (PMI) पर गौर फरमाना होता है. पीएमआई मतलब पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स. साफ शब्दों में कहें तो यह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की आर्थिक सेहत को मापने का एक इंडिकेटर है, जिसके जरिए किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का आकलन करना विशेषज्ञों के लिए आसान हो जाता है. पीएमआई का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था के बारे में पुष्ट जानकारी को आधिकारिक आंकड़ों से भी पहले उपलब्ध कराना है, जिससे उसके इकोनॉमी के बारे में सटीक संकेत पहले ही मिल जाते हैं.
5 प्रमुख कारकों पर आधारित होता है PMI
आम तौर पर किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का पीएमआई 5 प्रमुख कारकों पर आधारित होता है, जिनमें नए ऑर्डर, इन्वेंटरी स्तर, प्रोडक्शन, सप्लाई डिलिवरी और रोजगार वातावरण शामिल हैं. अमूमन, बिजनेस और मैन्युफैक्चरिंग माहौल का पता लगाने के लिए ही पीएमआई का सहारा लिया जाता है. बता दें कि पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स को 1948 में अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सप्लाई मैनेजमेंट यानी आईएसएम ने शुरू किया, जो कि सिर्फ अमेरिका के लिए काम करती है. जबकि इससे जुड़ा मार्किट ग्रुप दुनिया के अन्य देशों के लिए भी काम करती है. इस प्रकार यह 30 से भी ज्यादा देशों में काम करती है.
कैसे काम करता है पीएमआई?
PMI मिश्रित सूचकांक है जिसे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की स्थिति का आंकलन करने के लिए उपयोग में लाया जाता है. पीएमआई आंकड़ों में 50 को आधार माना गया है. पीएमआई आंकड़े अगर 50 से ऊपर हैं तो इसे कारोबारी गतिविधियों के विस्तार के तौर पर देखा जाएगा और अगर 50 से नीचे के आंकड़े हैं तो कारोबारी गतिविधियों में गिरावट के तौर पर देखा जाता है. PMI हर माह जारी किया जाता है.
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ऐसे निकालते हैं पीएमआई
भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के पीएमआई के आंकड़े किए जाते हैं. दोनों का आंकलन अलग-अलग तरीकों से किया जाता है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के पीएमआई डेटा का निकालने के लिए 500 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के पर्चेजिंग मैनेजरों को प्रश्नवली भेजी जाती है. इसमें उनसे न्यू ऑर्डर, रोजगार, आउटपुट और इनपुट कॉस्ट और मौजूदा स्टॉक से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. सर्विस सेक्टर का पीएमआई निकालने के लिए छह सेक्टरों ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन, फाइनेंशियल, आईटी, होटल इंडस्ट्री, बिजनेस और पर्सनल सर्विसेज को शामिल किया जाता है. मैन्युफैक्चरिंग की तरह इसमें भी परचेजिंग मैनेजरों को प्रश्नवली भेजी जाती है.
क्या है पीएमआई?
पीएमआई (PMI) की प्रासंगिकता यही है कि पीएमआई सूचकांक (PMI INDEX) को ही मुख्य सूचकांक माना जाता है. यह किसी खास सेक्टर में आगे की स्थिति का संकेत हमें देता है. चूंकि यह सर्वे मासिक आधार पर होता है, लिहाजा इससे आय में बढ़ोत्तरी का अंदाजा भी लगाया जा सकता है. इससे यह भी पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों में उछाल आएगा या नहीं. देखा जाए तो पीएमआई हमारी अर्थव्यवस्था में सेंटिमेंट को भी दर्शाता है. लिहाजा, इसका बेहतर होना हमारी अर्थव्यवस्था में उत्साह का संचार करता है. वाकई, अर्थव्यवस्था पर इसका असर आमतौर पर महीने की शुरुआत में ही होता है, जब पीएमआई आंकड़ा जारी होता है, जिसे जीडीपी वृद्धि दर से पहले जारी किया जाता है.
बताते चलें कि कई देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर फैसला करने के लिए भी शीर्ष अधिकारी इस सूचकांक की मदद लेते हैं। क्योंकि अच्छे पीएमआई आंकड़े बताते हैं कि सम्बन्धित देश में आर्थिक हालात सुधर रहे हैं और अर्थव्यवस्था में मांग निरंतर बढ़ रही है, जिसकी वजह से कंपनियों को ज्यादा सामान बनाने के ऑर्डर मिलते हैं। इस प्रकार यदि कंपनियों का उत्पादन बढ़ता है तो लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं।
PMI का इकोनॉमी पर सकारात्मक प्रभाव
पीएमआई (PMI) का देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है. इसलिए अर्थशास्त्री भी पीएमआई आंकड़ों को मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ का अच्छा संकेतक मानते हैं. वहीं, वित्तीय बाजार में भी पीएमआई की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है. क्योंकि, परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स ही वह आंकड़ा होता है जो कंपनियों की आय का स्पष्ट संकेत देता है. इसी वजह से बॉन्ड बाजार और निवेशक दोनों ही इस सूचकांक पर लगातार नजर रखते हैं. वास्तव में, इसके आधार पर ही निवेशक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं में निवेश करने का फैसला करते हैं.
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