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शहर ही नहीं, गांवों में भी बढ़ रही गाड़ियों की भीड़; Auto कंपनियों ने बढ़ाया फोकस
पिछले कुछ सालों में ग्रामीण इलाकों में पैसेंजर वाहनों की बिक्री में तेजी देखने को मिली है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
यदि आपको लगता है कि वाहन खरीदने वालों की संख्या केवल शहरों में ही बढ़ रही है, तो आप पूरी तरह गलत हैं. पिछले कुछ सालों में गांव-देहात में शहरों के मुकाबले ज्यादा पैसेंजर व्हीकल बिके हैं. यही वजह है कि ऑटो कंपनियां ऐसे इलाकों पर अधिक ध्यान देने लगी हैं. अनुमान है कि साल 2024-25 में यात्री वाहनों की बिक्री औसतन 3-5 प्रतिशत बढ़ सकती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, महिंद्रा और हुंडई को गांव-देहात से अच्छे सेल्स फिगर मिले हैं, इसलिए कंपनियां वहां कारोबार को विस्तार देने की योजनाओं पर काम कर रही हैं.
कुल बिक्री में इतनी हिस्सेदारी
एक मीडिया रिपोर्ट में मारुति सुजुकी इंडिया (Maruti Suzuki India) के हवाले से बताया गया है कि बीते कुछ सालों के दौरान ग्रामीण इलाकों में शहरी क्षेत्र की तुलना में यात्री वाहनों की बिक्री ज्यादा रही है. कोरोना महामारी के दौरान जब शहरी इलाकों में वाहनों की बिक्री लगभग थम गई थी, तब गांव-देहात में इनकी बिक्री में तेजी देखने को मिली थी. कंपनी की पैसेंजर व्हीकल की कुल बिक्री में गांव-देहात की हिस्सेदारी लगभग 32-33 प्रतिशत है. इसलिए कंपनी अब इन इलाकों में अपना कारोबार फैलाने पर अब अधिक ध्यान दे रही है.
इतना बढ़ गया आंकड़ा
मौजूदा वक्त में Maruti की करीब 45% कारें गांव-देहात में ही बिकती हैं, 2018-19 में यह आंकड़ा लगभग 38 प्रतिशत था. रिपोर्ट में टाटा मोटर्स के आंकड़ों का भी जिक्र है. वित्त वर्ष 2024 में टाटा मोटर्स की कारों की बिक्री वर्ष 2020 की तुलना में करीब 5 गुना अधिक रही है. इनमें गांव-देहात करीब 40 प्रतिशत बिक्री हुई है. इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ग्रामीण इलाकों में सेल्स और सर्विस जैसी फैसिलिटीज तैयार कर रही है. कंपनी ने ऐसे 800 से आउटलेट स्थापित किए हैं, जो विशेष तौर पर ग्रामीण ग्राहकों को अपनी सेवाएं देते हैं. इसके अलावा, टाटा ने 135 एक्सपीरियंस वैन या मोबाइल शोरूम भी स्थापित किए हैं.
इस वजह से मिल रहा बूस्ट
ग्रामीण इलाकों में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री बढ़ने की एक प्रमुख वजह सड़कों की स्थिति में सुधार भी है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब सड़क सुविधाओं में काफी सुधार हुआ है. पहले जहां पैदल चलना भी मुश्किल था, अब वहां काफी अच्छी सड़कें हो गई हैं. इस वजह से ग्रामीण इलाकों में कार जैसे वाहनों की बिक्री भी बढ़ रही है. महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रामीण इलाकों में कारोबार फैलाने की योजना आगे बढ़ रही है, ताकि ग्राहकों को सभी तरह की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध कराई जा सकें. देश के शहरी इलाकों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी एसयूवी की बिक्री लगातार बढ़ रही है.
अभी इतनी है गुंजाइश
देश में कुल गांवों की संख्या की बात करें, तो Census 2011 के मुताबिक गांव की कुल संख्या 649,481 है. इनमें से करीब 4.10 लाख गांवों में कम से कम एक मारुति कार होने का दावा कंपनी करती है. ऐसे में मारुति के पास अब भी 2.50 लाख गांवों में पहुंचने की गुंजाइश है. पहले ग्रामीण इलाकों में केवल टाटा और महिंद्रा का ही दबदबा होता था, क्योंकि गांवों के कठिन रास्तों पर इन कंपनियों की रफ-टफ गाड़ियां बेहतर प्रदर्शन करती थीं, लेकिन अब गांव-देहात में सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं काफी बेहतर हो गई हैं, तो बाकी कंपनियों के लिए भी रास्ते खुल गए हैं. हालांकि, ग्रामीण इलाकों के लिए ऑटो कंपनियों को एकदम अलग रणनीति पर कम करना पड़ता है.
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