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भारत में दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक व्हीकल हब बनाएगा Ola
बैंगलोर स्थित इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी ओला, 7610 करोड़ रुपयों की इन्वेस्टमेंट से भारत में दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक व्हीकल हब बनाना चाहती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
भारतीय कंपनी ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड 7610 करोड़ रुपयों की इन्वेस्टमेंट की बदौलत भारत में दुनिया सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक व्हीकल हब बनाना चाहती है ताकि वह परिवहन के ज्यादा बेहतर और साफ़ विकल्प उपलब्ध करवा पाए. दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में 2000 एकड़ के क्षेत्र में बना यह हब दोपहिया वाहनों और चारों की मैन्युफैक्चरिंग के साथ साथ बैटरी सेल बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा.
जल्द शुरू होगा प्रोडक्शन
कुछ समय के बाद ही ओला इस नए हब में सेल की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर देगा. इलेक्ट्रिक वाहनों की सप्लाई चेन के प्रमुख पदार्थ जैसे बैटरियों को लोकल बनाने से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत में कमी आएगी. लिथियम-आयन बैटरी की घरेलु मांग को पूरा करने के लिए भारत के पास कच्चे माल का बस कुछ हिस्सा ही उपलब्ध है. ओला के अलावा अरबपति मुकेश अम्बानी की कंपनी RIL (रिलायंस इंडिया लिमिटेड) और राजेश एक्सपोर्ट्स लिमिटेड को भी एडवांस्ड बैटरी सेल विकसित करने के 2.3 बिलियन डॉलर्स की कीमत वाले सरकारी प्रोग्राम के अंतर्गत इंसेंटिव दिया जाएगा.
लोकल सप्लाई चैन है बहुत जरुरी
एक विश्वसनीय सप्लाई चैन बनाकर ओला इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग की दिक्कतों को दूर कर सकती है. एक बैच में बनाये गए स्कूटर्स में से एक के आग पकड़ लेने के बाद बैंगलोर स्थित कंपनी ने 1441 इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को वापस मंगवा लिया था. इतना ही नहीं, ओला को अपने स्कूटर्स की डिलीवरी के लिए भी कस्टमर्स को अच्छा ख़ासा इंतजार करवाना पड़ा था क्योंकि भारत अधिकतर पार्ट्स के लिए आयातों पर निर्भर है और एक ग्लोबल चिप की कमी की वजह से इन पार्ट्स की सप्लाई में काफी दिक्कत आ गयी थी.
500 मिलियन डॉलर्स का मिला है इन्वेस्टमेंट
ओला ने पिछले साल बैंगलोर स्थित अपने बैटरी इन्नोवेशन सेंटर द्वारा विकसित लिथियम-आयन सेल को प्रदर्शित किया था. जिसके बाद इस स्टार्टअप को 500 मिलियन डॉलर्स का इन्वेस्टमेंट भी प्राप्त हुआ. आने वाले दशक में ओला अपना पूरा ध्यान एक स्थानीय सप्लाई चैन को बनाने में लगाएगा जिससे मोटर्स, रेयर अर्थ मैग्नेट्स, सेमी कंडक्टर्स, लिथियम आयन प्रोसेसिंग और ग्रेफाइट, निकेल जैसे मिनरल्स के द्वारा इलेक्ट्रोड प्रोडक्शन जैसे जरुरी हिस्सों की मांग को वह पूरा कर सके.
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