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भारत ने इस चीनी कंपनी के 1 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को किया खारिज, ये रही वजह
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस कंपनी को भारत सरकार ने चीन से होने वाले निवेश में सुरक्षा संबंधी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ये बड़ा कदम उठाया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
एक ओर जहां भारत में अलग-अलग देशों की कई कंपनियां निवेश कर रही हैं और भारत सरकार उनका आगे बढ़कर स्वागत कर रही हैं वहीं दूसरी ओर अब सरकार की ओर से चीन की एक कंपनी को लेकर सख्त कदम उठाया गया है. सरकार की ओर से चीन की ऑटोमोबाइल कंपनी BYD के 1 मिलियन डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है. ये कंपनी भारत के हैदराबाद में स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ साझेदारी कर 1 अरब डॉलर का कारखाना स्थापित करना चाह रही थी. लेकिन सरकार ने चीनी निवेश के साथ सुरक्षा से जुड़ी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
स्थाानीय कंपनी के साथ साझेदारी का दिया था प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, BYD ने एक स्थानीय कंपनी के साथ साझेदारी में भारत में इलेक्ट्रिक कारों और बैटरी बनाने के लिए 1 बिलियन डॉलर का निवेश प्रस्ताव भारत सरकार के सामने पेश किया था. हालांकि इस खबर की पुष्टि नहीं हो सकी है. लेकिन इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के वाणिज्य विभाग, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने निवेश प्रस्ताव पर अन्य विभागों से राय मांगी थी. मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि कंपनी से बातचीत के दौरान भारत में चीनी निवेश के संबंध में सुरक्षा चिंताओं को सामने रखा गया है.
क्या था कंपनी का प्लान
मीडिया रिपोर्ट कहती है कि BYD कंपनी का प्लान था कि वो भारत में हर साल 10 हजार से 15 हजार तक इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करती. BYD इससे पहले भारत में अपनी दो कारों को पेश कर चुकी है. इसके अलावा ये कंपनी अपनी इलेक्ट्रिक बसों के लिए MEIL की सहायक कंपनी ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक को टेक्निकल सहायता दे रहा है. ओलेक्ट्रा को 2000 बसों का ऑर्डर मिला है, जिसकी कीमत 3500 करोड़ रुपये तक हो सकती है. कंपनी को अपना ये ऑर्डर अगले 1 साल में पूरा करना है.
भारत ने कानून में किया है बदलाव
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत ने उन देशों के लिए सरकार की मंजूरी को अनिवार्य कर दिया है जिनकी सीमा उससे मिलती है. गृह सचिव की समिति ऐसे मामलों पर अपना आखिरी निर्णय लेती है. इसका मतलब ये है कि चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार नेपाल, भूटान जैसे देशों से अगर कोई निवेश आता है तो उसको ये समिति अपनी मंजूरी देगी तभी कंपनी निवेश कर पाएगी.
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