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आज से घर में ही परखी जाएगी कारों की सुरक्षा, सबसे पहले इन्हें मिलेगी सेफ्टी रेटिंग
केंद्रीय सड़क-परिवहन राज्यमंत्री नितिन गडकरी ने इसी साल 22 अगस्त को एक इवेंट में भारत NCAP को लॉन्च किया था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
भारत की सड़कों पर दौड़ने वाली कारों का आज से देश में ही क्रैश टेस्ट किया जाएगा. कारों का क्रैश टेस्ट करके उन्हें सेफ्टी रेटिंग देने वाले भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP या BNCAP) की आज यानी 15 दिसंबर से आधिकारिक तौर पर शुरुआत होने जा रही है. भारत NCAP की वेबसाइट लाइव हो गई है. इस वेबसाइट पर कुछ तस्वीरें हैं, जिनसे प्रतीत होता है कि पहले ही कुछ कारों का क्रैश टेस्ट हो चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि किआ सोनेट फेसलिफ्ट (Kia Sonet Facelift) और टाटा पंच (Tata Punch) पहले बैच में शामिल हैं, जिनका BNCAP में क्रैश टेस्ट किया गया है. हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
3 दर्जन कारों का पंजीकरण
BNCAP को लेकर कार निर्माताओं में भी उत्साह है. अब तक करीब 3 दर्जन से ज्यादा कारों के मॉडल को टेस्ट के लिए रजिस्टर करवाया गया है. क्रैश टेस्ट के पहले बैच में Kia, Tata Motors के अलावा, Maruti Suzuki, Hyundai और Mahindra जैसी कंपनियां भाग लेंगी. टाटा मोटर्स अपनी कारों को रजिस्टर कराने वाली पहली कंपनी बन गई है. वहीं, भारत में मौजूद रेनो, स्कोडा और फॉक्सवैगन जैसी यूरोपीय कंपनियों ने अभी तक इस टेस्ट के लिए पंजीकरण नहीं करवाया है.
इस वजह से हो गई देरी
क्रैश टेस्ट की शुरुआत पहले एक अक्टूबर से होनी थी, लेकिन फेस्टिव सीजन के कारण ऐसा नहीं हो सका. बता दें कि केंद्रीय सड़क-परिवहन राज्यमंत्री नितिन गडकरी ने इसी साल 22 अगस्त को दिल्ली में आयोजित एक इवेंट में BNCAP को लॉन्च किया था. इसके बाद 18 सितंबर को पुणे के चाकन स्थित केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (CIRT) में इसके लिए कमांड और कंट्रोल सेंटर की ओपनिंग हुई थी. यहीं पर कारों की टेस्टिंग होनी है. इस केंद्र में भारतीय परिस्थितियों के अनुसार तय मानदंडों पर कारों का क्रैश टेस्ट कर उन्हें सेफ्टी रेटिंग दी जाएगी. कारों को 0 से 5 स्टार तक की रेटिंग मिलेगी. जहां 0 स्टार का मतलब अनसेफ और 5 स्टार का मतलब पूरी तरफ सेफ है.
कैसे होता है क्रैश टेस्ट?
क्रैश टेस्ट के लिए कार में इंसान जैसी 4-5 डमी बैठाई जाती हैं. बैक सीट पर बच्चे की डमी भी होती है, ताकि यह भी पता लगाया जा सके कि संबंधित कार बच्चों के लिए कितनी सेफ है. इसके बाद गाड़ी को निर्धारित स्पीड पर ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर यानी किसी हार्ड ऑब्जेक्ट से टकराकर देखा जाता है कि कार और डमी को कितना नुकसान पहुंचा है. ऐसा तीन तरह से किया जाता है. फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट में कार को 64 kmph की रफ्तार पर बैरियर से टकराते हैं. साइड इम्पैक्ट टेस्ट में 50 kmph की स्पीड पर कार को बैरियर से टकराया जाता है. जबकि पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट में कार को फिक्स स्पीड पर पोल से टकराया जाता है. टेस्ट पूरा होने के बाद इम्पैक्ट से कार और डमी के नुकसान को देखा जाता है. साथ ही यह भी कि एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स ने काम किया या नहीं. इन्हीं के आधार पर रेटिंग दी जाती है.
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