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पूर्व CVC को मिली इस जांच कमेटी की जिम्मेदारी, अब नहीं बच पाएंगे बैंक धोखाधड़ी के आरोपी
जिस समिति का गठन किया गया है उसमें पूर्व केन्द्रीय सतर्कता आयोग के अध्यक्ष के साथ 5 अन्य लोग शामिल हैं. इस समिति का कार्यकाल 2 सालों का होगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
बैंकों में होने वाली धोखाधड़ी में शीर्ष अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक समिति बनाई गई है. इस समिति की कमान पूर्व केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त सुरेश एन पटेल को दी गई है. इस समिति में उनके अलावा 5 अन्य लोगों को रखा गया है. इस समिति का कार्यकाल दो साल होगा. इस दौरान ये समिति बैंकों में होने वाली धोखाधड़ी के मामलों में उच्च अधिकारियों की मिलीभगत की जांच करेगी.
कौन-कौन शामिल रहेंगे इस समिति में?
सरकार की ओर से बनाई गई इस समिति में सुरेश एन पटेल के अलावा पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के पूर्व सचिव रविकांत, सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक रजनी कांत मिश्र, एक्जिम बैंक के पूर्व एमडी डेविड रसकिन्हा और इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ पार्थ प्रतिम सेनगुप्ता शामिल हैं. इस समिति ने 21 अगस्त से अपना काम करना शुरू कर दिया है. समिति का कार्यकाल दो साल का है. ये समिति पब्लिक सेक्टर बैंकों,पब्लिक सेक्टर की बीमा कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के सभी अधिकारियों और फुल टाइम निदेशकों की जांच करेगी. जिन पब्लिक सेक्टर के बैंकों और बीमा कंपनियों में 3 करोड़ या उससे ज्यादा के फ्रॉड हुए, ये समिति उसकी जांच करेगी.
समिति की सलाह आवश्यक होगी
सरकार की ओर से बनाई गई इस समिति को विशेष अधिकार दिए गए हैं. आज के बाद कोई भी बैंक जब 3 करोड़ या उससे ज्यादा के धोखाधड़ी के मामलों की जांच करेगा तो उसे उस मामले में बोर्ड की सलाह लेनी होगी. बैंक अगर इस मामले में आखिरी कार्रवाई करेंगे तो उन्हें समिति की सलाह का पूरा ध्यान रखना होगा. बोर्ड के अधिकारों को यहां तक बढ़ाया गया है कि अगर ऐसे किसी भी धोखाधड़ी के मामले की जांच सीबीआई या सीवीसी कर रहे हों तो वो भी सलाह ले सकते हैं.
सलाह के लिए तय किया गया है समय
सरकार की ओर से बनाए गए इस समिति के लिए किसी भी मामले में सलाह देने के लिए समय निश्चित किया गया है. बोर्ड किसी भी मामले में 1 महीने के भीतर अपनी सलाह देगा. बशर्ते उसे मंत्रालयों, विभागों, सीवीसी और सीबीआई से मूल रिफरेंस प्राप्त हो गया हो.
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