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देश की एक ऐसी जेल जहां कैदियों को मिलता है 5 स्टार जैसा खाना, FSSAI ने भी की तारीफ
हालांकि भारत में एक जेल ऐसी भी है, जिसका खाना खाने के लिए आपका भी जी ललचाएगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः आमतौर पर कहा जाता है कि जेल की रोटी खाने से अच्छा है इज्जत की जिंदगी जीना, क्योंकि सबको मालूम है कि जेलों में सजायाफ्ता कैदियों को कैसा खाना मिलता है. हालांकि भारत में एक जेल ऐसी भी है, जिसका खाना खाने के लिए आपका भी जी ललचाएगा. इस जेल में मिलने वाले खाने को 5 स्टार रेटिंग मिली है, इसका मतलब यह है कि यहां पर सजा पा रहे कैदियों को किसी 5 सितारा होटल की टक्कर का भोजन तीन वक्त मिलता है.
यूपी के फर्रुखाबाद में है ये जेल
यह जेल यूपी के फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ में स्तिथ एक सेंट्रल जेल है. भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India : FSSAI) ने वहां कैदियों को परोसे जाने वाले खाने की क्वालिटी के लिए फाइव स्टार रेटिंग दी है. एफएसएसएआई की ओर से पैनल में शामिल थर्ड पार्टी के ऑडिट ने जेल को फाइव स्टार 'इट राइट सर्टिफिकेट' दिया. यह वहां की जेल के खाने की क्वालिटी और सफाई का सबूत है और सरल शब्दों में समझें तो जेल में कैदियों के लिए क्वालिटी वाली खाने-पीने का सामान तैयार कराया जा रहा है.
1144 कैदी इस वक्त इस जेल में
इस जेल में फिलहाल 1144 कैदी रह रहे हैं. FSSAI ने अपने सर्टिफिकेट में लिखा है, “सेंट्रल जेल फतेहगढ़, फर्रुखाबाद को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा स्थापित दिशानिर्देशों के अनुसार ईट राइट कैंपस के रूप में प्रमाणित किया गया है." स्टेटमेंट के बाद 5-स्टार रेटिंग और सर्टिफिकेट पर “excellent” लिखा हुआ है.
अगस्त में मिला सर्टिफिकेट
फतेहगढ़ सेंट्रल जेल के जेलर, अखिलेश कुमार ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को बताया, "मार्च में हमें एफएसएसएआई लाइसेंस मिला, फिर मई में थर्ड पार्टी ऑडिट हुआ और अगस्त में हमें सर्टिफिकेट मिला. जिन मापदंडों के आधार पर हमें सर्टिफिकेट मिला है, उन्हें बनाए रखा जाएगा."
रोज बदलता है मेन्यू
कुमार ने कहा, "हर दिन कैदियों को अलग-अलग तरह का खाना परोसा जाता है. दालों में अरहर, मसूर, चना और उड़द बारी-बारी से कैदियों को परोसा जाता है.नाश्ते में दो दिन चना परोसा जाता है, दो दिन पाव-रोटी दी जाती है और तीन दिन दलिया प्लान में रखा गया है. वहीं भोजन में जहां तक रविवार का सवाल है, पहले, तीसरे और आखिरी दिन शाम को पूरी, सब्जी और हलवा दिया जाता है. दूसरे रविवार को कढ़ी-चावल को मेन्यू में शामिल किया गया है."
एप्रन पहनकर बनाते हैं खाना, मशीनों से काम हुआ आसान
जेलर ने कहा, "खाना पकाने के पारंपरिक तरीकों की जगह रोटी मशीन, आटा गूंथने की मशीन और सब्जी काटने की मशीन के आने से काम आसान हो गया है. खाना बनाने में लगे कैदी एप्रन पहनकर खाना बनाते हैं, जैसा कि विभिन्न रेस्तरां में देखा जाता है. यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि जो खाना पकाते हैं, उनके नाखून और बाल कटे हों."
6 घंटे का काम तीन घंटे में होता है पूरा
जेल प्रशासन ने बताया कि रसोई घर को आधुनिक करने से काफी समय बच गया है. अब जहां रोटी बनाने के लिए दो बड़ी रोटी मेकर मशीनें लगा दी गई है. इसके साथ ही आटा गूंथने की मशीन भी लगा दी गई है. जहां पहले खाना बनाने में छह घंटे लगते थे, अब सिर्फ 3 घंटे में बन जाता है, वही पहले शाम का खाना बनाने के लिए दोपहर से खाना बनाने का काम शुरू करना पड़ता था.
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