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आपको फिर से साइन करना पड़ सकता है Revised Bank Locker Agreement, ये है वजह
रिजर्व बैंक के एक लेटेस्ट सर्कुलर के चलते आपको संशोधित बैंक लॉकर एग्रीमेंट फिर से साइन करना पड़ सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
यदि आपका बैंक में लॉकर है, तो आपको संशोधित बैंक लॉकर एग्रीमेंट पर फिर से साइन करके उसे जमा करना होगा. भले ही आपने 31 दिसंबर, 2022 को या उससे पहले ऐसा क्यों न किया हो. दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जमा किए गए लॉकर एग्रीमेंट भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा समीक्षा किए गए संशोधित मॉडल समझौतों पर आधारित हैं. लिहाजा, बैंक आपको फिर से एग्रीमेंट साइन करके सबमिट करने को कह सकते हैं.
RBI को मिली ये गड़बड़
आरबीआई ने यह पाया है कि कई बैंकों ने ग्राहकों से साइन करवाए गए नए संशोधित बैंक लॉकर एग्रीमेंट में आग, चोरी या सेंधमारी जैसे कुछ मामलों में बैंकों की क्षतिपूर्ति नीति या देयता का उल्लेख नहीं किया था. इसलिए उसने सर्कुलर जारी करते हुए बैंकों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि नया लॉकर एग्रीमेंट भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा समीक्षा किए गए संशोधित मॉडल समझौतों पर आधारित हो.
बैंकों की जिम्मेदारी
RBI के 18 अगस्त 2021 के नोटीफिकेशन में कहा गया था कि जहां भी ग्राहक को बैंकों की लापरवाही के कारण नुकसान का सामना करना पड़ता है, बैंक प्रचलित वार्षिक लॉकर किराए के 100 गुना मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होते हैं. हालांकि, बैंक प्राकृतिक आपदाओं या भूकंप या बाढ़ जैसी ईश्वरीय गतिविधियों के कारण मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं.
ये है नया सर्कुलर
अगस्त 2021 के RBI सर्कुलर में कहा गया था कि नए लॉकर समझौते में ऐसी कोई धारा नहीं होनी चाहिए जो ग्राहकों के लिए अनुचित हो. रिजर्व बैंक के लेटेस्ट सर्कुलर के अनुसार, आईबीए को अलग से सलाह दी जा रही है कि वह मॉडल एग्रीमेंट की समीक्षा करे और यह सुनिश्चित करने के लिए संशोधन करे कि समझौता 18 अगस्त, 2021 के सर्कुलर की आवश्यकताओं का अनुपालन करता है. लिहाजा, संभव है कि बैंक आपको फिर से संशोधित बैंक लॉकर एग्रीमेंट साइन करने के लिए बुलाएं.
क्या होती है पॉलिसी?
बैंकों की लॉकर एग्रीमेंट पॉलिसी के अनुसार, किसी भी कस्टमर को लॉकर देते समय बैंक संबंधित ग्राहक के साथ एक एग्रीमेंट साइन करते हैं. इस एग्रीमेंट के तहत विधिवत मुहर लगे कागज पर दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित लॉकर समझौते की एक प्रति लॉकर धारक को दी जाती है, जिसमें उसके अधिकार और जिम्मेदारियों की जानकारी होती है. जबकि, एग्रीमेंट की मूल प्रति बैंक की उस शाखा के पास रहता है जहां लॉकर की सुविधा ग्राहक को दी गई होती है.
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