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केन्द्र सरकार ने बढ़ाया PF पर Interest Rate, जानिए कितना हुआ फायदा ?
पीएफ पर अभी तक 8.10 प्रतिशत तक का ब्याज मिल रहा था लेकिन अब केन्द्र सरकार ने इसमें इजाफा कर दिया है. सरकार के इस कदम से करोड़ों लोगों को फाायदा हुआ है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
क्या आपकी कंपनी में भी आपका PF एकाउंट है. अगर है तो आपके लिए खुशखबरी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार PF पर मिलने वाले ब्याज की दर को बढ़ा दिया है. पहले ये 8.10% के अनुसार मिला करता था लेकिन अब इसे बढ़ाकर 8.15 % कर दिया गया है. इससे आपको हर साल में मिलने वाले ब्याज में इजाफा हो जाएगा. PF एक ऐसा एकाउंट है जिस पर आपकी सैलरी से 12 प्रतिशत अंशदान आप देते हैं और उतना ही शेयर कंपनी के द्वारा अदा किया जाता है.
CBT की दो दिवसीय बैठक में हुआ फैसला
दरअसल पिछले दो दिनों से CBT में बैठक हो रही थी जो मंगलवार को खत्म हो गई. मंगलवार को खत्म होने के बाद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीएफ पर ब्याज दर को बढा दिया गया है. पहले ये 8.10 % हुआ करती थी जिसे अब 8.15% कर दिया गया है. अब सीबीटी के निर्णय के बाद इसे वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा. सरकार की मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2022-23 के लिए बढ़ी हुई ब्याज दर का पैसा देश के पांच करोड़ से ज्यादा खातों में डाल दिया जाएगा.
2022 में 8.1 % पर आ गई थी दर
दरअसल कोरोना के बाद मार्च 2022 में देश में ईपीएफओ पर ब्याज दर 8.1% पर आ गई थी. ये दर हमारे देश के पीएफ के इतिहास में 1977-78 में हुआ करती थी. 2020-21 में ये 8.5 प्रतिशत हुआ करती थी. जबकि 2018-19 में ईपीएफओ पर ब्याज दर 8.65 प्रतिशत हुआ करती थी. इस दो दिवसीय बैठक में पीएफ को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर क्या कदम उठाना है इसे लेकर क्या चर्चा हुई. इस पर क्या निर्णय लिया गया अभी इस पर जानकारी नहीं मिल पाई है. ईपीएफओ ने ज्यादा पेंशन पाने को लेकर आवेदन करने के लिए 3 मई 2023 तक का समय दे रखा है.
10 प्रतिशत तक भी रही हैं PF की ब्याज दरें
पीएफ पर भले ही आज सीबीटी ने .5 % का इजाफा किया हो लेकिन मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 2000 से पहले की दरों पर नजर डालें तो ये 10 प्रतिशत तक रही है. ये दरें 90 के दशक में 10 प्रतिशत तक हुआ करती थी. 1985-86 में ये दरें 10 प्रतिशत हुआ करती थी जो 2000-2001 में 12 प्रतिशत तक पहुंच गई थी. लेकिन उसके बाद 2001-2005 तक इस दर में कमी होनी शुरू हो गई. ये 10 प्रतिशत से 9.50 % तक आ गई. उसके बाद 2005-06 से 2009-2010 के बीच इसे 8.50 प्रतिशत कर दिया गया था. 2010-11 में इसमें फिर इजाफा हुआ और ये 9.50 % तक पहुंच गई.
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