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रिजर्व बैंक ने त्यौहारों से पहले दी राहत, रेपो रेट को लेकर आई ये खबर
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए RBI गवर्नर ने कहा कि रेपो रेट को एक बार फिर उसी दर पर बरकरार रखा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
रिजर्व बैंक ने रेपो रेट का ऐलान कर दिया है. रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए उसे 6.50 पर ही स्थिर रखा है. RBI के इस कदम ने कर्ज लेने वाले करोड़ों लोगों को बड़ी राहत दी है. ये राहत इस मायने में भी मिली है कि त्योहारी सीजन में अब न तो ईएमआई का बोझ बढ़ेगा और न ही उसका असर बाजार में महंगाई के तौर पर देखने को मिलेगा.
क्या बोले आरबीआई गवर्नर
RBI MPC की बैठक के आखिरी दिन यानी आज रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ब्याज ने ब्याज दरों पर लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि सितंबर के महीने में महंगाई में कमी आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि महंगाई की ऊंची दर अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है. उनहोंने कहा कि ऐसे में महंगाई को काबू करना आरबीआई की पहली प्राथमिकता है. मौद्रिक नीति समिति की बैठक 4 अक्टूबर को शुरू हुई थी. इस तीन दिवसीय बैठक में Repo Rate, महंगाई (Inflation), GDP ग्रोथ सहित कई आर्थिक मुद्दों पर चर्चा हुई. एमपीसी समिति की बैठक में मौजूद सभी सदस्यों ने इसे स्थिर बनाए रखने पर सहमति जताई.
जीडीपी ग्रोथ रेट में नहीं होगा कोई बदलाव
शक्तिकांत दास ने जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जीडीपी की ग्रोथ रेट पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अगर हम सभी फैक्टर्स पर ध्यान दें तो इस साल ग्रोथ रेट के 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है. जबकि अगर वर्ष 2024-25 के वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में ये ग्रोथ रेट 6.6 प्रतिशत रह सकती है.
महंगाई में आई है कमी
रिजर्व बैंक ने पिछली तीन बार से रेपो रेट को स्थिर रखा हुआ है. इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव न होने के बाद लोन की ब्याज दरों में अब कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि जानकार पहले ही इसके स्थिर रहने की आशंका जता चुके हैं. इसकी संभावना इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि अगस्त 2023 में खुदरा महंगाई दर जुलाई के मुकाबले घटकर 6.83% आ गई है. अगले हफ्ते सितंबर के खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी होंगे और बाजार को उम्मीद है कि नतीजे संतोषजनक रहेंगे. वैसे, मानसून की मनमानी और वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल एक बड़ी चुनौती जरूर बनी हुई है.
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