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अब उपभोक्ता अदालतों में नहीं लगेगें सालों, सरकार करने जा रही है ये उपाय
दरअसल सरकार इस बात से चिंतित है कि इनमें किसी भी मामले को निपटने में बहुत समय लग जाता है. यहां पेंडिंग मामलों की लंबी सूची को देखते हुए सरकार उसे सुलझाने के लिए एक उपाय करने जा रही है.
ललित नारायण कांडपाल 1 year ago
क्या आपने भी किसी कंपनी के खिलाफ उसके खराब प्रोडक्ट या सर्विस को लेकर उपभोक्ता अदालत में शिकायत की है. क्या ऐसा हो रहा है कि आपका केस भी बीते लंबे समय से चल रहा है. अगर हां तो आने वाले दिनों में अगर सरकार की कोशिश जल्द रंग लाई तो आपका मामला भी जल्द सुलझ जाएगा. दरअसल केन्द्र सरकार अब उपभोक्ता अदालत के मामलों में होने वाली देरी में सुधार को लेकर कदम उठाने जा रही है. सरकार इसके लिए एक निजी संस्था को नियुक्त करने जा रही है जो उपभोक्ता मामलों में होने वाली देरी के कारणों का पता लगाएगी.
PMO चाहता है 30 दिन में निपटे मामला
दरअसल उपभोक्ता अदालत को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय की मंशा ये है कि उपभोक्ता से जुड़े मामले ज्यादा से ज्यादा 30 दिनों में निपट जाने चाहिए. उपभोक्ता से जुड़े मामलों को फास्ट ट्रैक पर चलाया जाना चाहिए, जिससे इन मामलों को जल्दी से जल्दी सुलझाया जा सके. पीएमओ का ये भी मानना है कि इनकी संख्या में भी इजाफा होना चाहिए. लेकिन मौजूदा समय में कई बार मामलों में काफी समय लग जाता है, जिसका खामियाजा उपभोक्ता को भुगतना पड़ता है.
निजी एजेंसी करेगी सर्वे
सरकार इस देरी के मसले को सुलझाने के लिए एक निजी एजेंसी के हाथों में ये काम सौंपने की तैयारी कर रही है. ये निजी एजेंसी सरकार को सुझाव देगी कि आखिर उपभोक्ता मामलों में होने वाली देरी की असली वजह क्या है. उन उपायों को जानकर ये एजेंसी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपेगी. हालांकि मैन पॉवर की कमी भी इसका एक महत्वपूर्ण कारण है. एजेंसी ये भी देखेगी कि आखिर किस सेक्टर से जुड़े मामले उपभोक्ता अदालत में ज्यादा पहुंच रहे अगर जरूरत पड़ती है तो सरकार इसके लिए कानून में बदलाव करने पर भी सोच सकती है.
तय होनी चाहिए जवाबदेही
इस बार सरकार इस समस्या के स्थायी समाधान को लेकर काम कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार ये मानती है कि कई मामलों में अनावश्यक देरी की जाती है. दूसरी सबसे बड़ी बात ये भी है कि अगर देरी होती है तो किसी की जवाबदेही तय नहीं होती है. कोई इसके लिए एकाउंटेबल नहीं होता है कि आखिर देरी की वजह क्या रही. इसलिए सरकार अब इस सिस्टम को भी इसमें लाने पर विचार कर रही है. उपभोक्ता आयोग की स्थापना 1998 में हुई थी ताकि मामलों को जल्दी से जल्दी निपटाया जा सके. इस आयोग के अध्यक्ष या तो सिटिंग या फिर रिटॉयर्ड जस्टिस होते हैं. हमारे देश में इस वक्त 678 जिला उपभोक्ता आयोग और 35 राज्य उपभोक्ता आयोग हैं.
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