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ऐसा क्या हुआ कि इस बार ट्रैक्टर की बिकवाली पहुंची 9 लाख!
अगर चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर तक के आंकड़ों की करें तो ट्रैक्टर की बिक्री में 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः इस साल गांवों की अर्थव्यवस्था ने काफी जोर पकड़ लिया है. किसान हाईटेक हो रहे हैं और खेती में जुताई के लिए बैलों से ज्यादा अब मशीनों पर निर्भर हो रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रैक्टर की बिक्री ने इस साल रिकॉर्ड उछाल लिया है. अभी तक इसने 23 फीसदी की तेज ग्रोथ हासिल कर ली है.
नवंबर तक बिक गए इतने ट्रैक्टर
अगर चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर तक के आंकड़ों की करें तो ट्रैक्टर की बिक्री में 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इस साल नवंबर तक ट्रैक्टर की घरेलू बिक्री 7,00,000 यूनिट के करीब पहुंच चुकी है. इस तरह से बचे चार महीनों में अनुमान है कि ट्रैक्टर की बिक्री 9 लाख यूनिट तक पहुंच सकती है.
15 ट्रैक्टर होते हैं एक्सपोर्ट
देश से करीब 15 फीसदी टैक्टर एक्सपोर्ट भी होते हैं. इसमें से अगर इन आंकड़ों को हटा भी दें तो भी ट्रैक्टर की बिक्री के शानदार नंबर दिख रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि किसानों ने खेतों की जुताई के लिए बैलों को रखना बंद कर दिया है. करीब 4.74 करोड़ बैलों की आबादी 2019 की जनगणना में थी.
एक दशक में दोगुनी हुई बिक्री
पिछले एक दशक में ट्रैक्टर की बिक्री दोगुनी हो गई है. एक दशक पहले भारत में ट्रैक्टर की बिक्री 4.80 लाख यूनिट थी जो अब 8.99 लाख यूनिट पर पहुंच चुकी है. कोरोनाकाल में भी ट्रैक्टर की बिक्री घटी नहीं थी. ग्रामीण इलाकों में आबादी बढ़ने के बाद भी देश में एग्रीकल्चर सेक्टर ने तेज ग्रोथ जीडीपी में दिखाई.
क्यों बढ़ रही है ट्रैक्टर की बिक्री
ट्रैक्टर की बिक्री बढ़ने के कई कारण हैं. बैलों को पालने और उन्हें खरीदने-बेचने यहां तक की चारा भी काफी महंगा हो गया है. एक बैल को पालने की साल भर की लागत 40 हजार से 1 लाख रुपये तक होती है. वहीं मजदूर मिलने में गांव वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में किसान इन समस्याओं से निजात पाने के लिए मशीनों से जुताई, कटाई और थ्रेसिंग पर जोर दे रहे हैं. ट्रैक्टर के अलावा अन्य मशीनें जैसे रोटावेटर, हार्वेस्टर, कंपलाइयर आदि की बिक्री काफी बढ़ गई है.
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