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सरकार की सख्ती से चीनी कंपनियों के उड़े होश, अब उठा रहीं ये कदम
चीनी कंपनियों को लेकर बढ़ रही चिंता के मद्देनजर सरकार ने कुछ नियम तैयार किए हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
चीन और उसकी कंपनियां दुनियाभर में बदनाम हैं. चीन की कई कंपनियों पर अमेरिका जासूसी का आरोप लगा चुका है. भारत में भी पड़ोसी की कंपनियों पर सरकार की कड़ी नजर है. पिछले कुछ सालों में लगभग सभी प्रमुख चीनी स्मार्टफोन कंपनियां (Chinese Smartphone Companies) हमारी जांच एजेंसियों के रडार पर आई हैं. इन कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग, सीमा शुल्क और आयकर चोरी जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं. ऐसे में अब ये कंपनियां विवाद सुलझाने के लिए बीच का रास्ता तलाश रही हैं. कुछ कंपनियां प्रोडक्ट सप्लाई के प्राइमरी सोर्स के रूप में हर राज्य में भारतीय वितरकों को नियुक्त कर रही हैं.
बनाए हैं सख्त नियम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में मौजूद चीनी कंपनियों को पिछले कुछ समय से जांच का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उनके लिए बाजार में बना रहना मुश्किल हो रहा है. इसलिए वीवो और ओप्पो जैसी कंपनियां प्रोडक्ट सप्लाई के प्राइमरी सोर्स के रूप में हर राज्य में भारतीय वितरकों को नियुक्त कर रही हैं. दरअसल, भारत में चीनी स्मार्टफोन कंपनियों को लेकर बढ़ती चिंता के मद्देनजर सरकार ने इन कंपनियों के लिए कुछ सख्त नियम लागू किए हैं. जिसमें चीनी स्मार्टफोन ब्रैंड्स का प्रबंधन भारतीय होना प्रमुख है. यानी कि कंपनी के प्रमुख अधिकारियों, जैसे कि CEO, COO, CFO और CTO भारतीय नागरिक होने चाहिए.
पहली वाली व्यवस्था बदली
इसके अलावा, सरकार यह भी चाहती है कि चीनी कंपनियां का वितरक भारतीय हो. इसके जरिए सरकार का उद्देश्य भारत में डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रक्चर को लोकल बनाना है. पहले चीनी स्मार्टफोन कंपनियों के पास हर राज्य में एक या दो चीनी स्वामित्व वाली और प्रबंधित वितरण कंपनियां थीं, जिन्हें एजेंट कहा जाता था. एजेंट स्थानीय वितरकों के माध्यम से खुदरा विक्रेताओं तक सामान पहुंचाते थे. लेकिन अब सरकार के साथ टकराव को दूर करने के लिए प्रोडक्ट सप्लाई के प्राइमरी सोर्स के रूप में हर राज्य में भारतीय वितरकों को नियुक्त किया जा रहा है.
अब तक इन्होंने उठाया कदम
अब, Vivo ने दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में एजेंट व्यवस्था खत्म करते हुए इन राज्यों के लिए भारतीय वितरकों को नियुक्त किया है. कंपनी अन्य राज्यों में भी ऐसा करेगी. वहीं, Oppo ने दिल्ली में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. जबकि Xiaomi और Realme पहले से ही भारत में डिस्ट्रीब्यूशन के लिए भारतीय कंपनियों की मदद ले रही हैं. सरकार ने चीनी कंपनियों को यह भी स्पष्ट किया है कि उन्हें स्थानीय Contract Manufacturers का इस्तेमाल करना होगा. एक रिपोर्ट बताती है कि ओप्पो, वीवो और रियलमी ने डिक्सन टेक्नोलॉजीज और कार्बन ग्रुप जैसे भारतीय अनुबंध निर्माताओं के साथ स्मार्टफोन निर्माण शुरू कर दिया है, या शुरू करने की प्रक्रिया में हैं.
इस तरह मिलेगा फायदा
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह बदलाव भारत के लिए फायदेमंद है, इससे कई फायदे देखने को मिलेंगे. उदाहरण के तौर पर, रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे, स्मार्टफोन की कीमतों में कमी आ सकती है. इसके अलावा भारत में स्मार्टफोन इंडस्ट्री को भी मजबूती प्रदान करेगा. गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में, भारत में मौजूद चीनी स्मार्टफोन कंपनियों की बढ़ती शक्ति और प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं. इन कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग, सीमा शुल्क चोरी और आयकर चोरी जैसे कई गंभीर आरोप भी लगे हैं. जिसके बाद जांच एजेंसियों ने इन कंपनियों पर छापेमारी की है.
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