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सोशल मीडिया पर छाया छत्तीसगढ़ का 'राष्ट्रीय रामायण महोत्सव'
महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राम सबके हैं, निषादराज के हैं, शबरी के हैं, सब उनमें आत्मीयता महसूस करते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायगढ़ जिले में आयोजित इस महोत्सव का 1 जून को शुभारंभ किया. राष्ट्रीय रामायण महोत्सव से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लोग जुड़ रहें है. गुरुवार को दिनभर सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय रामायण महोत्सव ही छाया रहा. विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रामायण महोत्सव नंबर 1 पर ट्रेंड करता रहा. लोग राज्य सरकार के इस आयोजन की जमकर सराहना कर रहे हैं.
देश-विदेश के कलाकार शामिल
छत्तीसगढ़ में पहली बार ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ 1 से 3 जून तक रायगढ़ के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित किया जा रहा है. इस राष्ट्रीय महोत्सव में देश के 12 राज्यों सहित कंबोडिया और इंडोनेशिया के रामायण दलों द्वारा रामकथा पर भक्तिपूर्ण प्रस्तुति दी जाएगी. इन रामायण दलों की प्रस्तुति में सर्वव्यापी भगवान श्रीराम की रामकथा के विविधतापूर्ण राष्ट्रीय-वैश्विक स्वरूपों की झलक देखने को मिल रही है. रामायण के अरण्य काण्ड पर रामायण दलों की प्रतियोगिता भी शुरू हो चुकी है.
कुमार विश्वास भी देंगे प्रस्तुति
महोत्सव में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कलाकार भजन संध्या में अपनी संगीतमय प्रस्तुति देंगे. रामलीला मैदान में तीन दिनों तक रामकथा की अविरल भावधारा बहेगी. इस राष्ट्रीय महोत्सव में केरल, कर्नाटक, ओड़िसा, असम, गोवा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखण्ड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के रामायण दल शामिल हो रहे हैं. राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के अंतिम दिन हिंदी के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास अपनी विशेष प्रस्तुति ‘अपने-अपने राम म्यूजिक नाइट’ से भगवान श्रीराम की महिमा का बखान करेंगे.
CM ने कहा - राम सबके हैं
इस महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राम सबके हैं, निषादराज के हैं, शबरी के हैं, सब उनमें आत्मीयता महसूस करते हैं. भगवान राम साकार भी हैं, निराकार भी हैं. राम को मानने वाले उन्हें दोनों स्वरूपों में मानते हैं. हमारी सुबह राम से होती है, शाम रामायण से. हमारा प्रदेश कौशल्या माता का प्रदेश है. कहां भगवान राम का राजतिलक होना था, लेकिन वे वनवास गए. निषादराज से मिले, शबरी से मिले. ऋषि मुनियों से मिले. कितनी कठिनाई झेली पर अपनी मर्यादा नहीं खोई. उन्होंने वनवास का 10 साल यहां गुजारा. CM ने आगे कहा कि श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में कई बरस गुजारे थे. हमारा रिश्ता वनवासी राम के साथ कौशल्या के राम से भी है इसलिए वे हमारे भांजे हैं, इसलिए हम भांजों के पैर छूते हैं. छत्तीसगढ़ का कुछ न कुछ अंश भगवान राम के चरित्र में देखने को मिलता है. हमारा रिश्ता राम से केवल वनवासी राम का नहीं है. बल्कि हमारा रिश्ता शबरी के राम, कौशल्या के राम के रूप में भी है.
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