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Madhya Pradesh Election: नेता जीतें या हारें, इनके तो आ गए ‘अच्छे दिन’; करोड़ों की हुई कमाई
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कांटे का मुकाबला होने की उम्मीद है. इसलिए नेताओं ने मतदाताओं को लुभाने के लिए दिल-खोलकर खर्चा किया है.
नीरज नैयर 6 months ago
मध्य प्रदेश को चंद दिनों बाद चुनावी समर (Madhya Pradesh Election 2023) से गुजरना है. इस बार यहां मुकाबला कांटे का माना जा रहा है. भाजपा के सामने जहां अपना गढ़ बचाए रखने की चुनौती है. वहीं, कांग्रेस के लिए खुद को जीवित रखने के लिए जीत जरूरी है. इसलिए दोनों पार्टियों के नेता चुनावी मौसम के ‘भगवान’ यानी मतदाताओं को लुभाने की हर संभव कोशिश में जुटे हैं. साल की शुरुआत से ही नेताओं ने अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया था. इसके लिए बड़े पैमाने पर धार्मिक आयोजन करवाए गए. कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, प्रदीप मिश्रा और पंडोखर सरकार से लेकर जया किशोरी तक, ने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में कथाएं कीं. इन आयोजनों पर नेताओं ने भारी भरकम खर्चा किया और अब प्रचार सभाओं पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है.
कथावाचकों पर हुई धनवर्षा
शिवराज सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने भोपाल में 2 दिनों तक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा का आयोजन कराया था. इससे पहले, उन्होंने प्रदीप मिश्रा को कथा के लिए राजधानी आमंत्रित किया था. उनकी तरह BJP और कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने भी कथावाचकों के जरिए मतदाताओं को साधने का प्रयास किया. आचार सहिंता लगने से पहले तक इन कथावाचकों का शेड्यूल मध्यप्रदेश में पूरी तरह बुक था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वोट की आस में इन नेताओं ने कितना खर्चा किया होगा. चलिए इस ‘अंदाजे’ को थोड़ा और अच्छे से समझने की कोशिश करते हैं. प्रदीप मिश्रा की फीस को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन बताया जाता है कि वह एक कथा के लिए 8 से 26 लाख रुपए लेते हैं. प्रदीप मिश्रा धर्म की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं, जाहिर है उनके ठहरने की व्यवस्था भी शाही होती होगी, यानी उस पर भी भारी-भरकम खर्चा. इसके अलावा, आयोजन स्थल और पंडाल आदि का किराया. वहीं, धीरेंद्र शास्त्री एक कथा के लिए 2 लाख रुपए फीस लेते हैं, जो आयोजन की अवधि के हिसाब से बढ़ भी सकती है. इसके अलावा, चढ़ावे की राशि भी उन्हीं के खाते में जाती है. वहीं, जया किशोरी एक कथा वाचन के लिए साढ़े 9 लाख रुपए फीस लेती हैं. इसमें से 4 लाख 25 हजार रुपए एडवांस और बाकी कथा के बाद लिए जाते हैं.
रिकॉर्ड तोड़ धार्मिक आयोजन
एक रिपोर्ट के अनुसार, अशोकनगर में 19 से 25 सितंबर 2022 तक पंडित मिश्रा की कथा के आयोजन का खर्चा 1.5 रुपए से ज्यादा था. जबकि 24 से 30 नवंबर तक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा के आयोजन पर करीब 2 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. इसी तरह, भोपाल में आयोजित जया किशोरी की कथा पर 1 करोड़ की राशि खर्च की गई थी. पिछले साल सितंबर से लेकर इस साल फरवरी तक ही भोपाल संभाग में 500 से ज्यादा कथाओं का आयोजन हो चुका था. फेडरेशन ऑफ एमपी टेंट एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मीडिया प्रभारी रिंकू भटेजा के मुताबिक, इस साल बड़े पैमाने पर धार्मिक आयोजन के लिए पंडाल, लाइट-साउंड आदि के लिए बुकिंग मिली. 3 से 4 दिनों तक चलने वाली एक कथा पर कम से कम 30 से 40 लाख रुपए का खर्चा आता है. आयोजन कितना बड़ा है, इसके हिसाब से लागत कम या ज्यादा हो सकती है.
हर दिन 3 करोड़ का कारोबार
कुल मिलाकर कहें, तो चुनावी जंग में किस्मत आजमा रहे, नेताओं का भविष्य चाहे जो हो, बाबाओं से लेकर कारोबारियों तक का भला जरूर हो गया है. धार्मिक आयोजनों पर हुए खर्चे को भी यदि शामिल कर लिया जाए, तो 2023 के विधानसभा चुनाव को प्रदेश के इतिहास का सबसे महंगा चुनाव कहा जा सकता है.
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