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IBLF: नौकरी करते हुए घर और ऑफिस में सामंजस्‍य बिठाना आसान नहीं:अपूर्वा पुरोहित 

मेरी यह किताब बताती है कि आखिर महिलाएं काम और घर के बीच में कैसे तालमेल बैठा सकती हैं. वह अपने हस्बैंड को कैसे समझा सकती हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

दिल्‍ली में हुए बिजनेस वर्ल्‍ड ग्रुप के इवेंट IBLF(indian Business litreture festival) के शानदार आयोजन के बाद अब मुंबई में आयोजित हो रहा है। इस कार्यक्रम के एक सेशन में अपनी बात रखते हुए लेडी यू आर द बॉस किताब की लेखक अपूर्वा पुरोहित ने कहा कि मैंने काम छोड़ने वाली महिलाओं की स्थिति को लेकर जब उनसे बात की तो पता चला कि वो कई तरह की परेशानियों के कारण नौकरी छोड देती हैं। इसमें उनके परिवार और नौकरी के बीच का तालमेल न बैठना एक बड़ी वजह रहती है। 

कैसे लिखी अपनी पहली किताब 
अपूर्वा पुरोहित बताती हैं कि मैंने अपनी पहली किताब आज से 10 साल पहले लिखी थी. आज इंडस्ट्री में जितनी भी महिलाएं कामकाज के लिए आगे आ रही हैं उनमें ज्यादातर कामकाज छोड़ देती हैं. हम देख रहे हैं कि अगले दशक में दो तिहाई से ज्यादा महिलाएं इंडस्ट्री को छोड़ देती हैं. अंत में अगर आप सर्च करने की कोशिश करते हैं कि इंडस्ट्री में कितनी वुमन सीईओ हैं तो आप देखते हैं कि केवल 3% महिलाएं हैं जो कि आज सीईओ जैसे पदों पर बैठी हुई हैं. इसने मुझे बड़ी चिंता में डाला और उसके बाद मैंने तय किया कि मैं उन महिलाओं से मिलूंगी और यह जानूंगी कि आखिर वह लोग इस काम को क्यों छोड़ रहे हैं. 


मुलाकात में क्‍या आया सामने 
अपूर्वा बताती हैं कि समस्‍या के सामने आने के बाद मैंने बहुत सारे लोगों से बातचीत की, मुलाकात की और उसमें कई बातें सामने आई. मैने उन लोगों से भी मुलाकात की जिनमें से ज्यादातर लोगों ने मेरे साथ भी काम किया था. मैं उनसे मिली तो बाद में यह निकल कर सामने आया कि वह लोग काम तो करना चाहते हैं लेकिन सोसाइटी उन्हें पीछे की ओर धकेल रही है. सोसाइटी उनसे कहती है कि या तो आप अपने वैवाहिक जीवन को निभा सकती हैं या फिर अपने कारोबार को आगे बढ़ा सकती हैं.

मेरी कई ऐसी महिलाओं से मुलाकात हुई जिन्होंने मुझसे कहा कि वह अपने छोटे बच्चों को घर पर रोता हुआ नहीं छोड़ सकती हैं इसलिए मैं इस नौकरी को छोड़ रही हूं. कई लोगों ने यह भी कहा कि उनकी इनलॉज उनसे कहते हैं कि भगवान का दिया हुआ हमारे पास सब कुछ है तो फिर नौकरी की क्या जरूरत है, जिसके बाद मैंने अपनी पहली किताब लिखी और यह देखा कि जिन महिलाओं ने नौकरी छोड़ी है उनमें ज्यादातर में कई बातें कॉमन है. कई लोगों ने क्लेम किया कि उनके हस्बैंड बहुत लेजी हैं कई लोगों ने कहा कि उनकी सास उनके बॉस जैसी है. बुक ने बहुत अच्छा परफॉर्मेंस किया और अभी उसका तीसरा रिप्रिंट हुआ है. पिछले कई सालों से वह बेस्टसेलर में बनी हुई है.

आखिर क्‍या कहती है दूसरी किताब 
इस यात्रा के अपने दूसरे पड़ाव में मैंने यह देखा कि जो महिलाएं सीनियर लेवल पर पहुंच जाती हैं जिसमें वाइस प्रेसिडेंट, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जैसे पदों पर पहुंच जाती हैं वह भी आगे काम करना छोड़ देती हैं. मैंने देखा कि पहला पड़ाव पार करने के बाद आखिर दूसरे पड़ाव में पहुंच चुकी महिलाएं क्‍यों नौकरी छोड़ रही हैं. इसके बाद मैंने फिर उनसे बात की जिसके बाद मैंने देखा कि उनको इंटरनल बायसनेस और दूसरे कई ऐसे कारण हैं जिनके कारण उनको नौकरी छोड़नी पड़ती है. इन लोगों से बात करने के बाद मुझे यह भी पता चला कि कई सारी परेशानियां है, जिसके कारण वह फाइनल सीईओ लेवल तक नहीं पहुंच पाती हैं. मेरी दूसरी किताब उन्हीं महिलाओं के लिए है और उन्हें वह कहती है कि आप लोगों को उन इंटरनल बॉयसनेस से बाहर आने की जरूरत है जिसके कारण आप गिव आप कर रहे हैं. आप लोगों में वह क्षमता है जिससे आप फाइनल पोजीशन तक पहुंच सकते हैं. और मुझे लगता है कि लीडर्स और सोसाइटी के लोगों को यह सोचना चाहिए कि आखिर महिलाएं वापस वर्कफोर्स में कैसे आए. 

अच्‍छे लीडर कैसे बनें 
मेरी दूसरी किताब का दूसरा खंड बताता है कि आप एक अच्छे लीडर कैसे बन सकते हैं. आप एक अच्छे प्रबंधक कैसे बन सकते हैं. अगर आप अपने जीवन में टॉप लेवल को पाना चाहते हैं तो आपको कई सारी चीजों को नजरअंदाज करना होगा. आपको फोकस करना होगा अपनी उस टॉप पोजीशन के लिए जिसको आप पाना चाहते हैं. फोकस और कुछ नहीं है बल्कि एक तरह से मैं कह सकती हूं कि यह सैक्रिफाइस है. कोई भी बिजनेस अब तक सफल नहीं होता जब तक आप उसमें एक अच्छा कल्चर नहीं बनाते हैं.


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