होम / साक्षात्कार / WEF 23: WEF भारत के लिए ये ज्यादा उपयोगी हो ऐसी समझ हमारी नहीं है : स्वदेशी जागरण मंच
WEF 23: WEF भारत के लिए ये ज्यादा उपयोगी हो ऐसी समझ हमारी नहीं है : स्वदेशी जागरण मंच
ये जो कैपिटेलिस्ट फोर्सेज हैं ये वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जाती हैं और उनके अनुसार ये अपनी समझ को विकसित करने का मंच है.
ललित नारायण कांडपाल 1 year ago
स्विट्जरलैंड के दावोस में चल रहे विश्व इकोनॉमिक फोरम में दुनियाभर के कारोबारियों से लेकर विश्व स्तर के नेता पहुंचे हुए हैं. भारत की ओर से भी कई केन्द्रीय मंत्री इसमें भाग लेने पहुंचे हुए हैं जबकि कई और जा सकते हैं. लेकिन भारत के सबसे बड़े सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आर्थिक शाखा का इस पर क्या कहना है ये जानने के लिए हमने स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन से बात की और जानना चाहा कि आखिर उनका इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर क्या मानना है. उनका कहना है कि ये भारत के लिए ज्यादा उपयोगी हो ऐसी समझ हमारी नहीं है हां ये फोरम अपनी समझ विकसित करने का एक माध्यम है जिसे हम गलत नहीं मानते हैं.
दुनियाभर की फोर्सेज का प्वाइंट ऑफ व्यू समझना जरूरी
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन बताते हैं कि ये जो फोरम है ये बिजनेस का ग्लोबल फोरम है, इसमे अधिकांश कॉरपोरेट, एमएनसी, भाग लेते हैं. उनका कहना है कि कैपिटल रिसोर्स और एमएनसी अपने बारे में विचार करें तो उनके लिए ये ठीक हो सकता है लेकिन भारत के लिए ये ज्यादा उपयोगी हो ऐसी समझ हमारी नहीं है. वो आगे कहते हैं कि फिर भी दुनिया में जो कंफीग्रेशन होती हैं उसमें भागीदारी करना उसमें गलत नहीं है. दुनिया में जो फोर्सेंज हैं वो क्या कर रही हैं, उनके बारे में जानकारी लेना और वहां अपनी समझ को विकसित करना उस दृष्टि से ये भारत के इंगेजमेंट के बारे में हो सकता है. लेकिन इसमें जो फोर्सेज काम कर रही होती हैं उनके पाइंट ऑफ व्यू को समझना जरूरी है.
क्या इससे भारत को कुछ हासिल होता है
अश्विनी महाजन कहते हैं कि देखिए इसमें हासिल होने जैसा कुछ नहीं होता है. आप अपनी समझ विकसित कर सकते, क्योंकि इसमें समझौते नहीं होते हैं. इसमें कुल मिलाकर आप ट्रेड या इकोनॉमी से जुड़े मामलों को लेकर अपनी समझ विकसित कर सकते हैं. आप जान सकते हैं कि इस वक्त दुनिया में किस बारे में विचार चल रहा है.
क्या कभी हमें इसका निवेश के तौर पर फायदा होता है
देखिए जो भी निवेश होते हैं आंतरिक और बाहरी वो आर्थिक मुददों के आधार पर होते हैं. अफ्रिका जैसे देश हैं या बनाना रिपब्लिक हैं जहां लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति ठीक नहीं है जहां निवेशक बहुत आकर्षित नहीं होते हैं, अगर वो भी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम मे चले जाएंगे तो उन्हें कोई निवेश नहीं मिलने वाला है. जैसे मेला होता है और वहां सबलोग जाते हैं ये एक अंतरराष्ट्रीय मेला है, एक दूसरा मेला भी लगता है दुनिया में जिसे वर्ल्ड सोशल फोरम कहा जाता है. ये जो सारी कैपिटेलिस्ट फोर्सेज हैं ये वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जाती हैं और जो सोशलिस्ट जो लेफटिस्ट फोर्सेंस हैं या कई बार वो लोग जो रोजगार, बेरोजगारी जैसे विषयों को लेकर सामाजिक सरोकार रखते हैं वो भी वर्ल्ड सोशल फोरम में जाती हैं. ये केवल समझ विकसित करने का मंच हैं.
टैग्स