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यूपी की इकोनॉमी कैसे बनेगी 1 Trillion! मयूर माहेश्वरी ने बताया प्लान
किसी भी राज्य के लिए लैंड, लेबर, टेक्नोलॉजी और कैपिटल ये चार चीजें जरूरी होती हैं जो निवेश की धुरी होती हैं. केन्द्र और राज्य का जो सामंजस्य है उससे प्रदेश को बहुत फायदा हो रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन बनाने को लेकर अपना संकल्प दोहरा रहे हैं. इसी को लेकर राज्य सरकार कई स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर कैसे प्रदेश की अर्थव्यवस्था 1 ट्रिलियन बनेगी? इसे लेकर यूपीसीडा (UPSIDA) के सीईओ मयूर माहेश्वरी से बात की BW Hindi के एडिटर अभिषेक मेहरोत्रा ने. पेश है उस बातचीत के कुछ अंश:
सवाल: बड़ा प्रश्न ये है कि देश बदल रहा है की तर्ज पर 2023 में प्रदेश में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे?
जवाब: देखिए आप खुद इस प्रदेश के निवासी हैं और आप बदलाव देख रहे हैं. बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे हो, यूपी डिफेंस कॉरिडोर हो, ओडीओपी (ODOP) योजना हो या ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट. ये सब काम एक रणनीति के तहत हो रहा है, जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें. इसकी एक बानगी के तौर पर बताता हूं कि पहले जनता को अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए सरकार के पास जाना पड़ता था, लेकिन आज सरकार जनता के पास जा रही है. हमारा मकसद ये है कि लोगों को सरकारी ऑफिसों के चक्कर लगाने ही न पड़ें. हमने कोविड काल का सदुपयोग करते हुए सभी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया. हमारी अभी 32 सेवाएं ऑनलाइन हो चुकी हैं और 15000 लोग उसका इस्तेमाल करते हुए 95 प्रतिशत संतुष्टि भी दिखा चुके हैं. हम आगे भी यूजर का फीडबैक लेते हुए इसमें और आगे बढ़ना चाहेंगे.
सवाल: पहले ये कॉरपोरेशन (UPSIDC) था, और अब अथॉरिटी (UPSIDA) में बदल चुका है. इससे इसके काम करने के तरीके में क्या बदलाव आया है?
जवाब: देखिए पहले यह निगम था और जैसा कि आप जानते हैं कि इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी इंडस्ट्रियल एक्ट 1976 के तहत गठित हुआ था. इसके तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा यमुना यह सभी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी है. जबकि यूपीएसआईडीसी इन सबसे पुरानी थी. इसका सफर 1961 में शुरू हुआ था. उस वक्त कॉरपोरेशन के तहत चला करती थी, लेकिन बदलते समय के साथ सरकारों ने सभी के लिए जवाबदेही और काम करने के तरीके में बदलाव किए और सभी को अथॉरिटीज में बदल दिया गया. सभी के लिए पॉलिसी फ्रेमवर्क बना दिया गया. जो कि सभी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी पर लागू होता है. इनके तहत काम करने वाले लोगों को एक से दूसरे में ट्रांसफर किया जाता है. आज इनमें काम करने वालों का स्किल सेट पहले से ज्यादा है और वह हर स्तर पर है. यह निवेशकों को भी मदद करता है. उसके चलते निवेशक को अलग-अलग तरह के नियम-कायदों में नहीं उलझना पड़ता. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में एक जैसी ही व्यवस्था चलती है.
पूरी बातचीत यहां देखें
सवाल: जब हम विकास की बात करते हैं तो हमें नोएडा से बनारस तक तो विकास दिखता है, लेकिन बुंदेलखंड पर आकर ये रुक जाता है. आप लोग बुंदेलखंड को लेकर किस तरह से ध्यान दे रहे हैं और निवेशक उसमें कितनी रुचि दिखा रहे हैं?
जवाब: देखिए बुंदेलखंड पर विकास रुक नहीं जाता, बल्कि इस सरकार में वहां से विकास शुरू हो रहा है. उदाहरण के तौर पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस, जिसका काम पूरा हो चुका है. महत्वकांक्षी योजना यूपी डिफेंस कॉरिडोर भी बुंदेलखंड से शुरू हो रही है और अलीगढ़ तक आ रही है. आज बुंदेलखंड विकास की धुरी बन चुका है. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि बांदा, चित्रकूट जैसे इलाकों में जहां लोग पहले जाने से डरते थे आज वहां ये स्थिति हो गई है कि हमें निवेशकों के लिए और जमीन इकट्ठा करनी पड़ रही है. आज जमीनों की नीलामी हो रही है, बड़े-बड़े निवेशक आ रहे हैं. बुंदेलखंड में हमारा सोलर कॉरिडोर विकसित हो रहा है. बुंदेलखंड में हर घर में जल देने की योजना आगे बढ़ रही है. आप जल्द ही देखेंगे कि टूरिज्म सेक्टर भी वहां ग्रो करेगा, जब किसी इलाके में इंडस्ट्री पनपती है तो वहां सर्विस सेक्टर भी आता तो ऐसे में आप देखेंगे कि रोजगार भी वहां बढ़ेगा.
सवाल: यूपी डिफेंस कॉरिडोर में जमीन अधिग्रहण
जवाब: देखिए इसकी शुरुआती परिकल्पना ये है कि देश डिफेंस के उत्पादों में आत्मनिर्भर बनेगा. इसी को लेकर ये प्रोजेक्ट यूपी को मिला था. इसमें बुंदेलखंड से अलीगढ़ तक 6 नोड हैं, जिसमें जमीन अधिग्रहण हो चुका है. अलीगढ़ नोड में तो लैंड बिक भी चुकी है. आपने सुना भी होगा कि ब्रह्मोस ने अपनी एक यूनिट शुरू भी कर दी है. इसी तरीके से ड्रोन तकनीक, डिफेंस ऑफसेट, डिफेंस टेक्सटाइल, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग का इकोसिस्टम यूपी में तेजी से विकसित हो रहा है. इनके जरिए हम डिफेंस के इक्विपमेंट बनाएंगे और यूपी को डिफेंस कैपिटल बनाएंगे.
सवाल: यूपी ग्लोबल समिट को लेकर हम देख रहे हैं कि सरकार के कई मंत्री कई राज्यों में जा रहे हैं और तेजी से काम चल रहा है. इसे लेकर इंडस्ट्री से किस तरह का फीडबैक आपको मिल रहा है?
जवाब: देखिए मुख्यमंत्री ने हमको एक ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य दिया है. मुख्यमंत्री का साफ कहना है कि इसमें उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के नेतृत्व में हमारे 8 डेलीगेशन 16 देशों में गए. अभी मुख्यमंत्री भी मुंबई गए थे, जहां उन्हें जबरदस्त रिस्पॉस मिला. पहले निवेश के लिए हमारा टॉरगेट 10 लाख करोड़ था, लेकिन उत्साह को देखते हुए उसे 17 लाख करोड़ कर दिया गया है. मुझे पूरा विश्वास है कि हम 20 लाख करोड़ तक का निवेश लाने में कामयाब रहेंगे. ये ऐतिहासिक होगा और किसी भी प्रदेश के लिए ये अब तक का श्रेष्ठ होगा.
सवाल: इंवेस्टमेंट मीट में एमओयू तो बहुत साइन होते हैं, लेकिन वो जमीन पर नहीं उतर पाते.
जवाब: आपने बिल्कुल सही कहा, लेकिन मैं आपके इस सवाल का जवाब तथ्यात्मक तौर पर देना चाहूंगा. हमने 2018 में इनवेस्टर समिट किया था, उसका हमने एक रिव्यू किया था तो उसमें ये निकलकर सामने आया कि अकेले यूपीसीडा वाले इलाके में 700 से ज्यादा इंडस्ट्री ग्राउंड पर आई हैं. 15000 करोड़ रुपये का निवेश आया था. हमने वहां जमीनों का लैंड ऑडिट किया और जो जमीन खाली थीं, उनको कैंसिल करके नए निवेशकों को जमीन दी. आज हमारी अथॉरिटी रेवेन्यू सरप्लस है. हमने उन्हें वो इकोसिस्टम दिया जिसमें वो हमारे पास आए बिना जमीन ले सकते थे. कोविड में जहां एक ओर बिजनेस बंद हो रहे थे वहीं हमारे यूपी में हमने तिगुने से ज्यादा लैंड अलॉट किए. वो सारी यूनिट आज संचालित हो चुकी हैं. हमारे पास सरप्लस पावर है और 20 हजार एकड़ पर्याप्त लैंडबैंक है. हम 25 सेक्टोरल पॉलिसी के साथ नए बिजनेस समिट में जा रहे हैं. आप जानते हैं यूपी में बेहतर ह्यूमन रिसोर्स मौजूद है.
सवाल: वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना कितने जिलों तक पहुंच पाई है और उसका क्या फायदा आप देख रहे हैं?
जवाब: जनवरी 2018 में यूपी के हुनरमंद लोगों को विश्व पटल पर ले जाने के लिए एक योजना शुरू की गई. एक जिला, एक उत्पाद. PM मोदी ने जी20 के सभी बड़े लीडर्स को जो उत्पाद बतौर गिफ्ट दिए थे, उन्हें हमारे लोकल हुनरमंद लोगों द्वारा तैयार किया गया था. उन्हें विश्व स्तर पर ये पहचान मिलना अपने आप दर्शाता है कि ये योजना कितनी सफल हुई है. हमने इसमें सोर्सिंग, टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ब्रैंडिंग और मार्केटिंग हर लेवल पर मदद की है. हम चाहते हैं कि इसमें जो 62 प्रोडक्ट हैं उनमें इन सभी के साथ वैल्यू एडिशन हो. हमने कॉमन फैसिलिटी सेंटर के जरिए उन्हें ट्रेनिंग दी है जिसका नतीजा आज हम देख रहे हैं.
सवाल: अयोध्या को लेकर आप किस तरह से प्लानिंग कर रहे हैं?
जवाब: देखिए सरकार का मकसद है अपनी परंपराओं को आधुनिकता के साथ आगे बढ़ाना. हम सभी जानते हैं कि अयोध्या एक आध्यात्मिक शहर है और वह हम सभी के लिए है. अब वहां नया राम मंदिर बन रहा है. यह हर सेक्टर के लिए अवसर पैदा करेगा. अब वह होटल हॉस्पिटैलिटी सेक्टर हो, टूरिज्म हो, या उद्योग, सभी इस डेवलपमेंट का इंतजार कर रहे हैं. सभी इस बदलाव के साक्षी बनेंगे और सरकार वहां एक नई मॉडल सिटी बनाना चाहती है. क्योंकि इन सभी चीजों को इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी जो कि विश्वस्तरीय होना चाहिए. मुख्यमंत्री का इसे लेकर एक विजन भी है. उन्होंने सोलर सिटी की भी परिकल्पना की है, जो कि पूरी तरह से ग्रीन टाउनशिप होगी और ग्रीनफील्ड के तरीके से विकसित की जाएगी. उसमें दुनिया की बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे आध्यात्मिक शहर सभी बेहतरीन चीजों को अपनी ओर आकर्षित करे.
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