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भारत में जेनेरिक मेडिसिन और उपकरणों से सस्ते इलाज की बड़ी संभावनाएं हैं : डॉ. अजय स्वरूप
डॉक्टर अजय स्वरूप ने कहा कि भारत वो देश है जहां HTA अपने शुरूआती दौर में है और हम आज भी नई चीजों को सीख रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम अफोर्डेबल हेल्थकेयर दे सकते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
BW Heathcare के दिल्ली में आयोजित हुए समिट और अवॉर्ड कार्यक्रम में गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट डॉ अजय स्वरूप ने भारत के हेल्थकेयर सिस्टम को लेकर कई अहम बातें बताई. उन्होंने कहा कि हमारे हेल्थकेयर सिस्टम की शुरुआत आयुर्वेद से होती है और वहां से आज हम मॉडर्न हेल्थकेयर सिस्टम की ओर आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने देश के सामने मौजूद चुनौतियों से लेकर उसकी उपलिब्ध के बारे में अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि हमारे देश में जेनेरिक मेडिसिन और लोकल मेड उपकरणों के जरिए सस्ते इलाज की बड़ी संभावना है.
आयुर्वेद से शुरू होता है भारत का हेल्थकेयर
डॉक्टर अजय स्वरूप ने कहा कि मैं एक सामान्य क्लीनिकल डॉक्टर हूं और अब मैं गंगाराम जैसे प्रतिष्ठित अस्पताल में एक एडमिनिट्रेटर हूं. मैं यहा आपको किसी भी तरह का पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन देने नहीं आया हूं. मैं आज आप लोगों को यहां पर बस बताना चाहता हूं कि हम कहां थे कहां आए हैं और हमारा टारगेट क्या है. भारत अपने आयुर्वेद और सिद्ध और यूनानी दवाओं के लिए जाना जाता है. इनका जिक्र हमें अपने प्राचीन वेदों में भी मिलता है. 2500 बीसी में भारत में आयुर्वेद सामने आया था. हमारे देश में सुश्रुत को एक प्राचीन प्लास्टिक सर्जन के तौर पर जाना जाता है. आप इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे जब ये जानेंगे कि वो जिन उपकरणों का इस्तेमाल करते थे आज के मुकाबले वो कितने अलग थे.
मौजूदा हेल्थकेयर की ये हैं चुनौतियां
डॉक्टर अजय स्वरूप ने कहा कि आज हम हेल्थकेयर सिस्टम में कई तरह के बदलाव देख रहे हैं. मैं आज आप लोगों के सामने कुछ चुनौतियों को रखना चाहता हूं. आज यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे देशों में बेहतर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिनसे कई ऐसे देश अलग-अलग चीजों को सीख रहे हैं. भारत वो देश है जहां HTA अपने शुरूआती दौर में है हम आज भी कई ऐसी चीजों को सीख रहे हैं. एक ऐसे देश में जहां विविधता बड़ी संख्या में हो गांवों की श्रृंखला का सिस्टम बड़ा व्यापक हो, वहां हम एफोर्डेबल हेल्थकेयर मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं.
हेल्थ इंश्योरेंस एक बड़ी भूमिका में दिखाई दे रहा है. वहीं सरकार एक बड़ी संख्या के लोगों को हेल्थ कवरेज प्रोवाइड कर रही है. इसी कड़ी में भारत सरकार ने 2018 में आयुष्मान भरत स्कीम को लॉन्च किया था. हेल्थ टेक्नोलॉजी एसेसमेंट एजेंसी के लिए सीमित बजट और संसाधनों में भारत में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है. ऐसा देखने में आया है कि महिलाएं और बुजुर्ग पब्लिक हेल्थकेयर सिस्टम का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. पब्ल्कि हेल्थकेयर सिस्टम को देश के सोसियोइकोनॉमिक लोगों की जरूरत को देखते हुए बनाया गया है. हेल्थ जैसे विषय का राज्य का सब्जेक्ट होना भी बड़ी अलग बात लगती है.
रेग्यूलेटरी सिस्ब्टम को लेकर कही ये बात
जैसा कि भारत अपने हर स्तर पर भ्रष्टाचार का सामना कर रहा है, ऐसे में जरूरी ये है कि एवीडेंस बेस्ड रिसर्च की जाए और ट्रांसपेरेंट तरीके से काम हो. भारत का रेग्यूलेटरी सिस्टम देश के डायवर्सिफाई हेल्थकेयर सिस्टम के कारण काफी प्रभावित है. हमारे देश में ना कि इंपोर्टेड इक्यूपमेंट और ट्रीटमेंट की बजाए लोकल स्तर पर बनी मेडिकल इक्विपमेंट और लो कॉस्ट ट्रीटमेंट की बड़ी संभावना है. जेनेरिक मेडिसिन के हमारे सामने क्लीनिकल एवीडेंस सामने हैं. भारत दूसरे लो इनकम देशों के मुकाबले डाटा को लेकर बड़ी परेशानी का सामना कर रहा है. इसके कारण डिजिटलाइजेशन नहीं हो पा रहा है. लेकिन इसे डेटा के स्टोरेज से बेहतर सिस्टम बनाया जा सकता है. हमारे देश में मरीजों के क्लीनिकल प्रैक्टिस की कमियों को दूर करने के लिए, दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल को रोकने के लिए, इलाज को समझने के लिए, स्पष्ट गाइडलाइन की बहुत जरूरत है.
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