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HIV, कोविड से भी खतरनाक है प्रदूषण! 10 साल घट रही दिल्ली वालों की उम्र
प्रदूषण के मामले में दुनिया भर में भारत का दूसरा स्थान है. इस प्रदूषण की वजह से दिल्ली में लोगों की औसत उम्र भी कम हो रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: हर साल की तरह इस साल भी दिवाली खत्म होते ही दिल्ली और आस-पास के इलाकों में सांस लेना मुश्किल हो चुका है, हवा का प्रदूषण स्तर बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. प्रदूषण को काबू करने के लिये दिल्ली सरकार ने कई प्रतिबंध भी लगाये हैं. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कुछ परियोजनाओं को छोड़कर, पूरे दिल्ली-NCR में निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. एयर क्वालिटी में गिरावट को रोकने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तीसरे चरण के कार्यान्वयन को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया गया है.
प्रदूषण रोकने की खानापूर्ति
लेकिन ये समस्या हर साल आती है, इसके पीछे वजह कभी पराली बताई जाती है तो कभी पटाखे. बावजूद इसके प्रदूषण को लेकर भारत में सजगता और जागरूकता नहीं के बराबर है. जब प्रदूषण की समस्या बढ़ती है तो सरकारें आनन फानन में कुछ प्रतिबंध और नियम बनाकर अस्थायी रूप से बस मामले को रफा-दफा करने की खानापूर्ति में जुट जाती हैं, लेकिन प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा तब आता है जब आप इससे होने वाली गंभीर बीमारियों और उसके असर पर डालते हैं. एक अच्छी सेहत के लिए आपके आसपास प्रदूषण का स्तर जिसे AQI बोलते हैं, 0-50 होना चाहिए, अगर ये 100 भी है तो संतोषजनक है, लेकिन दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में ये 300-400 के बीच है, इससे कई गंभीर बीमारिया होती हैं.
HIV, स्मोकिंग, कोविड से खतरनाक प्रदूषण
एक शोध में सामने आया है कि कोविड के मुकाबले प्रदूषण की वजह से ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं, जिसमें ये दावा किया गया है कि हर साल प्रदूषण की वजह से 1 करोड़ लोगों की मौत होती है, जबकि कोविड से 26 लाख लोगों की मौत हुई है. पूरी दुनिया में कोविड को लेकर जिस तरह से सतर्कता और प्रतिबंध और कदम उठाए गये, वैसे कदम दुनिया में कहीं भी प्रदूषण को लेकर नहीं उठाए गये. शिकागो यूनिवर्सिटी के एक और शोध में पता चला है कि हर 1000 व्यक्ति पर 973 लोग सांस के जरिये विषैले तत्व लेते हैं. वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) दर्शाता है कि पार्टिकुलेट मैटर (PM) प्रदूषण संचारी रोगों (communicable diseases), जैसे कि तपेदिक और HIV/AIDS, सिगरेट की लत और, कुछ मामलों में, यहां तक कि युद्ध की तुलना में जीवन प्रत्याशा को कम करता है.
दिल्ली वालों की उम्र 10 साल हो रही कम
प्रदूषण के मामले में दुनिया भर में भारत का दूसरा स्थान है. इस प्रदूषण की वजह से दिल्ली में लोगों की औसत उम्र भी कम हो रही है. यूविर्सिटी ऑफ शिकागों की एक ताजा रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में लोगों की जीवन प्रत्याशा (जीवन जीने की औसत उम्र) प्रदूषण की वजह से 10 साल कम हो रही है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-गंगा का मैदान दुनिया में सबसे प्रदूषित क्षेत्र होने के अलावा, इसकी वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों को पूरा करने में नाकाम रही है, जिसके चलते औसत भारतीय जीवन प्रत्याशा के पांच साल खो देगा. भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर इसलिये है क्योंकि दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 तो भारत में ही हैं.
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