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AI से सिर्फ इनवेस्टिगेशन ही नहीं बल्कि प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ा या जा सकता है.
डॉक्टर हर्ष महाजन ने कहा कि मेरा मानना है कि रेडियोलॉजिस्ट जो आज काम कर रहे हैं उनसे बेहतर वो काम कर पाएंगे जो रेडियोलॉजिस्ट एआई के साथ काम करेंगे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
BW Healthcare के Heathcare Excellence Summit And Awards में आयोजित हुए एक पैनल डिस्कशन में इस क्षेत्र के कई नामी लोगों ने भाग लिया. एआई की भूमिका को लेकर जहां कुछ लोगों ने कहा कि इससे मेडिकल जगत में रेवोल्यूशन आने की उम्मीद है वहीं दूसरी ओर कुछ एक्सपर्ट प्रीवेंटिव और प्रीडिक्टिव केयर को लेकर अपनी बात कही. लेकिन सभी ने हेलथकेयर में एआई की भूमिका को अहम बताया. इस पैनल में जहां महाजन इमेजिंग के फाउंडर और सीईओ डॉ. हर्ष महाजन, फुजीफिल्म इंडिया के सीनियर वीपी चंद्रशेखर सिब्बल और Agilas Diagnostic के CEO & MD आनंद के शामिल हुए.
एआई रेडियोलॉजी से संभव है कई काम
महाजन इमेजिंग के फाउंडर और सीईओ डॉ. हर्ष महाजन ने कहा कि आज दुनिया के सभी हिस्सों में दिखाई दे रहा है. अहम बात ये है कि रेडियोलॉजी तीन दशक पहले से डिजिटल हो गई थीउन्होंने कहा कि मैं आपको बताना चाहूंगा कि 2018 में लैंडसेट में भारत में सबसे पहले एआई को लेकर जो स्टडी सामने आई थी उसमें हमारे ग्रुप की बड़ी भूमिका थी.
डॉक्टर महाजन ने कहा कि मेरा मानना है कि रेडियोलॉजिस्ट जो आज काम कर रहे हैं उनसे बेहतर वो काम कर पाएंगे जो रेडियोलॉजिस्ट एआई के साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा कि हाल ही में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च सामने आई थी जिसमें कहा गया था एआई चेस्ट एक्सरे की मिस्ड फाइडिंग का भी पता लगाने में सक्षम है. उस स्टडी को बड़े लेवल पर किया गया था. इससे सिर्फ फाइडिंग को ही बेहतर नहीं बनाया जा सकता है बल्कि प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाया जा सकता है.आज अगर हम एक दिन में 30 से 35 एमआरआई कर रहे हैं तो एआई के आने के बाद वो केवल एक असिस्टेंट की तरह ही काम करेगा. सिर्फ यही नहीं उम्मीद ये भी रहेगी कि कभी मेरे व्यस्त समय में मेरे काम को शेयर करेगा.
मास स्क्रीनिंग से बदल रही है तस्वीर
फुजीफिल्म इंडिया के सीनियर वीपी चंद्रशेखर सिब्बल ने कहा कि आज अगर किसी भी चीज की स्क्रीनिंग करनी है तो उसके लिए एआई एक अहम साधन बन रहा है. आज कई तरह की स्क्रीनिंग इसके जरिए हो रही है. आज इसके जरिए जो भी फाइडिंग हो रही है अब वो भले ही कैल्शियम लेवल की जांच हो, अब वो भले ही ब्रेस्ट इंवेस्टिगेशन हो, हम देश में मास स्क्रीनिंग कर रहे हैं.
हमारी वैन्स जा रही हैं और एक्सरे कर रहे हैं. देख रहे हैं कि उनमें किसी तरह का इनफेक्शन है या नहीं. भारत जैसे देश के लिए ये एक बहुत बड़ी चीज है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि एआई इस पूरे सेक्टर में रेवोल्यूशन लाने वाला है. बहुत सारे डेवलपमेंट हो रहे हैं, विशेषतौर पर स्क्रीनिंग के मामले में कई विकास हो रहे हैं. भारत जैसे देश में सबसे ज्यादा समस्या इस बात की है कि हमारे वहां कैंसर उस वक्त डिटेक्ट होता है जब वो तीसरे या चौथे स्टेज में होता है. जबकि जापान और यूएस जैसे देशों में एक रेग्यूलर स्क्रीनिंग का सिस्टम होता है. इसके कारण वो अर्ली स्टेज में डिटेक्ट हो जाता है और उसका इलाज शुरू हो जाता है. इससे उसका नंबर कम हो जाता है.
प्रीवेंटिव और प्रीडिक्टिव टेस्टिंग दोनों अलग-अलग हैं
Agilas Diagnostic के CEO & MD Anand K ने कहा कि अगर हम प्रीवेंटिव टेस्टिंग की बात करें तो आज वो भारत की कुल पैथोलॉजी जांच का 20 प्रतिशत है. ये सालाना 14 से 15 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ भी रही है. ये इंडस्ट्री का तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट है. अगर हम प्रीवेंटिव टेस्टिंग और प्रीडेक्टिव टेस्टिंग की बात करें तो दोनों में अंतर है. आज भारत में प्रीवेंटिंव टेस्टिग हो रही है.
प्रीवेंटिव टेस्टिंग वो होती है जो एक हेल्थी आदमी की होती है और किसी आदमी के अंदर बीमारी की जांच के लिए की जाती है. लेकिन जहां तक बात एआई जनरेटिव डिटेक्शन की बात है तो उसमें हम लोग बीमारी को लेकर एक अलग अप्रोच से काम करते हैं. हालांकि अभी ये बहुत दूर है. इसलिए जीनोमिक्स एक बड़ी भूमिका निभाता है. हाल ही में प्रीडिक्टिव एक्शन को लेकर अभी भी कई तरह की आशंकांए हैं. हाल ही में सामने आई एक स्टडी निकलकर सामने आई जिसमें बताया गया कि आखिर 8 में से एक आदमी पर जब इसकी जांच हुई लोगों की जब प्रीडिक्टिव जांच हुई तो पता चला कि उनमें कुछ परेशान है, इस तरीके से उनके इलाज को और आसानी से करने में काफी मदद मिली.
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