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आज से मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक शुरू, जानिए क्यों आपकी EMI का बोझ बढ़ना तय है!

दुनिया को महंगाई ने ऐसे जकड़ रखा है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इसके चंगुल से छिटकने को बेताब है

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

मुंबई: हिंदी का एक शब्द है 'अपरिहार्य', जिसका अर्थ होता है, ऐसा काम जिसको टाला न जा सके, जिसका त्याग संभव न हो. बीते कई महीनों से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल हो रहा है, अंग्रेजी में इसे 'inevitable' कहते हैं. 

आज से MPC की बैठक शुरू 
आज से रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक शुरू है. जो तीन दिन तक चलेगी, 30 सितंबर को नतीजो का ऐलान होगा. MPC पॉलिसी कमेटी की ये एक ऐसी परीक्षा है जिसका नतीजा पहले से ही घोषित है. तमाम पोल, सर्वे और एक्सपर्ट पहले ही मान चुके हैं कि MPC रेपो रेट में कुछ ना कुछ इजाफा जरूर करेगा जो कि 25-50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है. इसके पीछे वजह से समझ लीजिए. अमेरिका में ब्याज दरें 8.3 परसेंट पर हैं, लक्ष्य है 2 परसेंट का, इस ऐतिहासिक महंगाई को रोकने के लिए अमेरिकी फेड ने लगातार तीन बार ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया. जो ब्याज दरें जीरो पर थी, अब वो 3 - 3.25 परसेंट के बीच आ चुकी हैं. लेकिन कहानी अभी यहीं खत्म नहीं हुई है, फेड चेयरमैन ने साफ कह दिया है 2024 तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला यूं ही जारी रहेगा.

ब्याज दरों का बढ़ना पहले से तय!
दरअसल, दुनिया को महंगाई ने ऐसे जकड़ रखा है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इसके चंगुल से छिटकने को बेताब है, और इसका एक ही तरीका है कि ब्याज दरों को इस स्तर पर लाकर खड़ा कर दो कि उसके आकार के सामने महंगाई का कद छोटा हो जाए. चाहे वो अमेरिकी फेडरल रिजर्व हो, यूरोपियन सेंट्रल बैंक हो या फिर चीन का केंद्रीय बैंक या फिर भारत का रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया. सब ने एक सुर में ब्याज दरों को बदस्तूर बढ़ाना जारी रखा है, क्योंकि इसके अलावा महंगाई रोकने का उनके पास कोई विकल्प नहीं है, ब्याज दरों में बढ़ोतरी को टालना मतलब महंगाई की चुनौती को और बड़ा करना, इसलिए इसको टाला नहीं जा सकता, इसलिए ये 'अपरिहार्य' है, और रिजर्व बैंक भी इससे अछूता नहीं है. अगस्त में रिटेल महंगाई दर 7% आई थी,  जबकि लक्ष्य 4 परसेंट (+/-2%) है. लेकिन अभी ये लक्ष्य पहुंच से काफी दूर लगता है. इसलिए रिजर्व बैंक ने भी अपनी पिछली पॉलिसी में चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान  6.7 परसेंट रखा है. जिसे नीचे लाने के लिए ब्याज दरों में फिर से बड़ी बढ़ोतरी की जरूरत होगी. 

कितनी बढ़ेगी ब्याज दर
भारतीय रिजर्व बैंक भी फेड के साथ ही कदम से कदम मिलाकर चल रहा है, जैसा कि अबतक देखने को मिला है. मई से रेपो रेट बढ़ने की शुरुआत हुई थी, तब से लेकर अबतक रेपो रेट में 140 बेसिस प्वाइंट का इजाफा हो चुका है, और रेपो रेट 4 परसेंट से बढ़कर 5.40 परसेंट पर पहुंच चुका है. RBI ने जून और अगस्त में रेपो दर में 0.50 परसेंट का इजाफा किया था, मई में रिजर्व बैंक की अचानक बैठक में भी रेपो रेट 0.40 परसेंट बढ़ाया दिया गया था. रिजर्व बैंक इस पार ब्याज दरों में बढ़ोतरी तो करेगा लेकिन वो कितनी होगी, इसे लेकर अलग अलग रिपोर्ट्स और दावे हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद विदेशी मुद्रा बाजार में चल रही घटनाओं को देखते हुए इस बार मॉनिटरी पॉलिसी पर सबकी कड़ी नजर रहेगी. इस रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि आज से शुरू हो रही है MPC की बैठक में रेपो रेट में फिर से 0.50 परसेंट की की बढ़ोतरी की जा सकती है. अगर ऐसा हुआ तो रेपो रेट 5.9 परसेंट पर पहुंच जाएगा, जो कि तीन साल की सबसे ऊंची दर होगी.

अब और बढ़ेगा EMI का बोझ 
पिछले साल तक बैंक आपको अबतक 6.7 परसेंट पर होम लोन दे रहे थे, क्योंकि रेपो रेट 4 परसेंट पर था, लेकिन वही बैंक अब आपको 8-8.25 परसेंट पर होम लोन दे रहे हैं, क्योंकि रेपो रेट बढ़कर 5.4 परसेंट हो चुका है. अगर रेपो रेट में और इजाफा होता है तो जाहिर है बैंक ब्याज दरें बढ़ाएंगे और आपकी EMI का बोझ लंबे समय तक चलेगा. आमतौर पर बैंक जब ब्याज दरें बढ़ाते हैं तो EMI नहीं बल्कि उसे चुकाने की अवधि को बढ़ा देते हैं. 

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