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थोक महंगाई में कमी के बावजूद आखिर क्यों कम नहीं हो रही है खुदरा कीमतें? ये है बड़ा कारण
त्योहारी सीजन को शुरू होने में ज्यादा दिन नहीं हैं, इसके बाद भी अभी तक कंपनियों की तरफ से खाने-पीने व अन्य उपभोक्ता सामान की कीमतों में जारी महंगाई का दौर लोगों को विचलित कर रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः देश में थोक महंगाई दर में कमी के बावजूद अभी तक रिटेल में कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. केवल खाद्य तेलों को छोड़ दें तो बाकी रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम अभी भी आसमान पर हैं. इससे भारतीय उपभोक्ता फिलहाल निराश हैं. त्योहारी सीजन को शुरू होने में ज्यादा दिन नहीं हैं, इसके बाद भी अभी तक कंपनियों की तरफ से खाने-पीने व अन्य उपभोक्ता सामान की कीमतों में जारी महंगाई का दौर लोगों को विचलित कर रहा है.
अभी भी 6 फीसदी के ऊपर बनी हुई है महंगाई दर
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर अभी भी 6 फीसदी के ऊपर बनी हुई है और इसके अगले साल मार्च तक इसी तरह बने रहने की संभावना है. यह फरवरी के अंतिम सप्ताह से नीचे आएगी. वहीं थोक महंगाई दर फिलहाल 6 फीसदी के नीचे आ गई है. सोमवार को शाम तक आने वाले महंगाई के आंकड़ें भी इसी तरह के होंगे और इसमें ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा.
कंपनियां कर रही हैं अपने घाटे की भरपाई
फिलहाल देश की प्रमुख कंपनियां चाहे वो एफएमसीजी में हो या फिर ऑटो में अथवा किसी और सेक्टर में सबने जो कीमतों में बढ़ोतरी पिछले साल की थी, वो अभी भी जारी रखे हुए हैं, क्योंकि वो फिलहाल अपने घाटे की भरपाई कर रही हैं. पहली तिमाही के नतीजों में ज्यादातर सभी कंपनियों ने अपनी मार्जिन आय में कमी का खुलासा किया था. मारुति, टाटा मोटर्स लिमिटेड, लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड और आईटीसी लिमिटेड जैसी कंपनियों की बैलेंस शीट में भी इस बात का उल्लेख किया गया है.
फिलहाल नहीं होगी कीमतों में कटौती
बार्कलेज बैंक पीएलसी के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि चूंकि डब्ल्यूपीआई और सीपीआई के बीच की खाई कम हो रही है, इसलिए कंपनियां वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में गिरावट का लाभ खुदरा उपभोक्ताओं को देने के लिए अनिच्छुक होंगी क्योंकि वे अपने मार्जिन को फिर से हासिल करने की कोशिश करेंगी.
मार्च में इतनी रह सकती है महंगाई दर
इसका मतलब है कि खुदरा कीमतों को केंद्रीय बैंक के 2% -6% के लक्ष्य बैंड के भीतर वापस आने में अधिक समय लग सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक को इस महीने के अंत में अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में और कड़ा करना होगा. आरबीआई, जिसने मई से 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी के साथ पूर्व-महामारी के स्तर पर ब्याज की कीमतें कर दी हैं, उसको उम्मीद है कि मुद्रास्फीति मार्च में औसतन 6.7% होगी.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नेतृत्व वाली मौद्रिक नीति सख्त होने के कारण मंदी की आशंकाओं के बीच वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में नरमी देखी जा रही है। ब्लूमबर्ग के एक सर्वेक्षण के अनुसार, थोक मुद्रास्फीति अगले एक वर्ष में 5 फीसदी से कम हो गई है, जो दो साल से अधिक समय में पहली बार उपभोक्ता कीमतों से नीचे गिर गई है.
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