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क्या यह The Great Indian Layoff Festival की शुरुआत है?

क्या अपने फायदे के लिए मासूम कर्मचारियों की छंटनी जायज है? जानिए इससे उनपर क्या असर पड़ता है?

उर्वी श्रीवास्तव 1 year ago

नई दिल्ली: हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब IMF और World Bank ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के संबंध में एक निराशाजनक भविष्य का अनुमान लगाया है. इसका बहुत कुछ संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और यूरोप जैसी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के धीमा होने के कारण है. इस स्थिति का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. वैश्विक छंटनी भी इसी का एक परिणाम है. हमने हाल में ही देखा कि ट्विटर जैसी वैश्विक कंपनी बिक गई और उसे ईलॉन मस्क ने खरीद लिया. ईलॉन मस्क के ट्विटर का मालिक बनते ही इसमें काम कर रहे लगभग 90 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

The Great Indian Layoff Festival की शुरुआत?
इस घटना के बाद दिमाग में यह उचित सवाल आया कि क्या The Great Indian Layoff Festival की शुरुआत हो चुकी है?  जुकरबर्ग की 'मेटा' ने 11,000 कर्मचारियों को एक झटके में निकाल दिया और ऐसा करके उन्होंने छंटनी को एक वैश्विक घटना बना दिया. यह एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा है जो अत्यधिक कुशल और अधिक सैलरी देने वाले नियोक्ताओं को भी परेशान करता है.

ये क्यों हो रहा है?
आइए, सबसे पहले ये समझते हैं कि आखिर ये क्यों हो रहा है? दुनिया एक बार फिर से आर्थिक मंदी की प्रवृत्ति की ओर बढ़ रही है. जिसमें विकास की गति कम हो गई है. इसके अलावा, कंपनियों ने बहुत अधिक फंड इकट्ठा कर लिया था, लेकिन विकास की रफ्तार धीमी होने के कारण वे अब इसे बनाए नहीं रख पा रहे. नतीजतन, कंपनियां कुछ कर्मचारियों को निकाल रही हैं ताकि वे लाभ कमा सकें. इसके पीछे एक और कारण यूक्रेन पर रूस का आक्रमण भी हो सकता है, जिसके कारण कई कंपनियों को व्यापार में घाटा होने लगा.

Amazon के केस से समझें पूरा मामला
आइए, इसे हम Amazon के केस से समझते हैं. Q3FY22 में कंपनी की परिचालन आय 4.9 बिलियन डॉलर थी, जो Q3FY23 में घटकर आधी होकर 2.5 बिलियन डॉलर हो गई. महंगाई और मंदी के दौर में अमेजन को यह देखना था कि कौन से उत्पाद उसके खजाने को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं. निष्कर्ष के रूप में Amazon का Alexa सामने आया, जिसपर कंपनी 5 बिलियन डॉलर के घाटे में थी. उन्होंने भारत में 6.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, फिर भी वे अभी तक मुनाफा नहीं कमा पा रहे. इसका कारण इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उत्पादों पर फ्लिपकार्ट जैसे अन्य प्लेयर्स का मार्जिन कम है. फूड बिजनेस में भी Amazon को फायदा नहीं हो पा रहा. इसके अलावा, सरकार का ONDC प्लेटफॉर्म और सख्त ई-मार्केट प्लेसेस नियम भी Amazon के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. इन सभी कारकों ने मिलकर बड़े पैमाने पर छंटनी को बढ़ावा दिया है.

यह एक Bad Idea क्यों है?
एक एम्प्लॉयर के तौर पर कंपनियों के लिए छंटनी अच्छी बात नहीं होती. यह कंपनी के कल्चर और उनकी नैतिकता को लेकर निगेटिविटी फैलाती है. यहां तक कि इसमें कर्मचारियों को सामान्य तौर पर 30 से 90 दिन की नोटिस पीरियड के लिए भी नहीं कहा जाता और मुआवजे के तौर पर न्यूनतम रुपये दिए जाते हैं. कई मामलों में तो एक रुपया भी नहीं दिया जाता है. यह सहानुभूति और जिम्मेदारी की कमी को दर्शाता है.

क्या होता है नुकसान?
ऐसी स्थिति से कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति तो प्रभावित होगी ही, साथ ही उनका मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित होगा. पिछली बार हमने 2001 में भी यह स्थिति देखी थी, जब 1,00,000 श्रमिकों ने अपनी नौकरी खो दी थी, जो वर्तमान में 2,00,000 का सिर्फ आधा हिस्सा है. अब समय आ गया है कि कंपनियां इससे पीछे हटें और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए विवेकपूर्ण ढंग से नियुक्तियां करें.

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