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Adani Group पर किसने दिखाई सबसे ज्यादा मेहरबानी, कांग्रेस या BJP? मिल गया जवाब 

अडानी समूह पर आए संकट के बहाने विपक्ष मोदी सरकार पर भी हमलावर हो गया है. संसद में भी इस मुद्दे पर घमासान हो चुका है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट को लेकर अडानी समूह (Adani Group) खबरों में है. इस रिपोर्ट के बहाने कांग्रेस को भी अडानी और मोदी सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार कहते आए हैं कि मोदी सरकार ने गौतम अडानी को फायदा पहुंचा है और उनके राज में ही अडानी समूह तेजी फलाफूला है. आरोप तो यह भी लगते रहे हैं कि केंद्र की भाजपा सरकार ने अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने वाली नीतियां बनाई हैं या उसके अनुसार नीतियों में बदलाव किया है. 

कांग्रेसी सरकारों में मिला फायदा
अब जब Hindenburg ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह पर गंभीर आरोप लगाए हैं और उनकी कंपनियों मार्केट कैप लगातार कम होता जा रहा है, तो विपक्ष फिर से फायरिंग मोड में आ गया है. वैसे तो विपक्ष का काम ही सरकार पर आरोप लगाना होता है, लेकिन यहां मामला अब थोड़ा गंभीर बन गया  है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि गौतम अडानी को किसने फायदा पहुंचाया, किसने नहीं और इसके लिए वक्त को थोड़ा रिवाइंड करना पड़ेगा. कांग्रेस भले ही लाख दावे करे कि मोदी राज में अडानी को भरपूर फायदा हुआ, लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस की सरकारों के समय अडानी ने सबसे ज्यादा ग्रोथ हासिल की है.

ऐसे शुरू हुई सफलता की कहानी
गौतम अडानी की सफलता की कहानी शुरू होती है 1985 से, जब केंद्र में राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार थी. उस समय सरकार ने आयात को सरल बनाने के लिए PVC सहित 150 वस्तुओं को सामान्य लाइसेंस की श्रेणी में रख दिया था, जिसका सीधा फायदा अडानी समूह को मिला था. दरअसल, उस दौर में अडानी ग्रुप की प्लास्टिक फिल्म निर्माण की एक इकाई थी, उसमें PVC प्रमुख रॉ मटेरियल था. राजीव गांधी के फैसले से अडानी ने जमकर मुनाफा कमाया. गुजरात में भी उन दिनों कांग्रेस की सरकार थी और उसने भी अडानी समूह पर कम रहमत नहीं बरसाई.  

इस तरह कमाया मोटा मुनाफा
गुजरात राज्य निर्यात निगम के साथ अडानी समूह ने सौदा किया था, जिसमें निगम ने उसे PVC आयात करने के लिए पूरी तरह अधिकृत कर दिया था. इसके बाद अडानी ग्रुप ने विदेशों से PVC मंगाकर उसे भारतीय बाजार में मोटे मुनाफे पर बेचा. इसके बाद तो जैसे अडानी समूह की तरक्की होती चली गई. 1988 में समूह ने अडानी एंटरप्राइजेज की स्थापना की, उस समय कंपनी का प्रमुख काम विदेशों से आयात और निर्यात था. 1994 में अडानी समूह देश का सबसे बड़ा कोयला ट्रेडर और कोल माइनिंग कांट्रेक्टर बन गया. 

मनमोहन सरकार ने दिया ठेका
23 जून 2006 को मनमोहन सरकार द्वारा मोदी समूह को गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर विशेष आर्थिक जोन यानी SEZ विकसित करने की अनुमति दी गई थी. जून 2011 तक अडानी ग्रुप टाटा और रिलायंस जैसे कंपनियों को पीछे छोड़ चुका था और देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों में शामिल हो गया था. कांग्रेस सरकार में गौतम अडानी की कंपनियों को ठेके देने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता. राजस्थान की गहलोत सरकार ने अडानी ग्रुप को 1600 हेक्टर जमीन लीज पर दी है. समूह को राजस्थान में पचास हजार करोड़ का प्रोजेक्ट भी मिला है.

ममता बनर्जी भी नहीं रहीं पीछे
कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अडानी समूह को कोसती रही हैं, लेकिन दिसंबर 2021 में उन्होंने राज्य सचिवालय में अडानी से मुलाकात की और उन्हें बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में आमंत्रित किया. इसके बाद अप्रैल 2022 में अडानी ग्रुप ने राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में 10 हजार करोड़ के निवेश की घोषणा की. अब जब अडानी समूह पर संकट आया है, तो सभी एकजुट होकर इसके लिए मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं.   


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