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कैसे आसमान से जमीन पर आ गई Go First, क्या रही बर्बादी की सबसे बड़ी वजह? 

गो फर्स्ट भारत की पांचवीं सबसे बड़ी एयरलाइन है. कंपनी धीरे-धीरे विस्तार की रणनीति पर आगे बढ़ रही थी. 2020 तक उसकी आर्थिक सेहत लगातार ठीक बनी हुई थी.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

जेट एयरवेज जहां फिर से आसमान में उड़ान भरने की तैयारियों में लगी है. वहीं, वाडिया समूह (Wadia Group) के स्वामित्व वाली गो फर्स्ट (Go First) एयरलाइन बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. कंपनी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में वॉलेंटरी इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के लिए एप्लिकेशन दी है. Go First का कहना है कि उसके पास न पैसा और न विमान उड़ाने के लिए तेल. लिहाजा, वो ऑपरेशन जारी रखने की स्थिति में नहीं है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जेट एयरवेज का वापसी के लिए संघर्ष और Go First की आर्थिक बदहाली निवेशकों को एविएशन सेक्टर में निवेश करने से रोक सकती है.  

बर्बादी के ये हैं कारण   
Go First बजट एयरलाइन है और सस्ते में हवाई सफर कराने के लिए फेमस रही है. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि कंपनी आसमान से सीधे जमीन पर आ गिरी. Go First की बर्बादी के कई कारण हैं, मसलन एविएशन सेक्टर में प्रतियोगिता काफी ज्यादा बढ़ गई है. राकेश झुनझुनवाला की एयरलाइन 'Akasa Air' की एंट्री ने सबको प्रभावित किया है. Akasa भी बजट एयरलाइन है, ऐसे में उसने सस्ते एयर टिकट देने वाली कंपनियों के बाजार को सबसे ज्यादा प्रभावित किया. इसके अलावा, Go First अपनी पूरी विमान क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रही थी, जिससे उसके घाटे का ग्राफ बढ़ता गया.   

50% विमान ही उड़ सके   
वाडिया समूह (Wadia Group) के स्वामित्व वाली गो फर्स्ट का भी मानना है कि पूरी विमान क्षमता इस्तेमाल नहीं कर पाने से उसकी मुश्किलें बढ़ती गईं और वह गंभीर वित्तीय संकट में फंस गई. कंपनी इसके लिए अमेरिकी इंजन कंपनी को भी कुसूरवार मानती है. दरअसल, प्रैट एंड व्हिटनी विमानों के इंजन बनाती है और इस मामले में दुनिया की लीडिंग कंपनी है. गो फर्स्ट का कहना है कि अमेरिकी फर्म ने ऑर्डर के मुताबिक इंजन नहीं दिए, जिसके चलते उसके बेड़े के 50% विमानों का परिचालन ठप रहा. यानी वो उड़ान भरने की स्थिति में नहीं रहे. अब ज्यादा विमान उड़ेंगे ही नहीं, तो कमाई कैसे होगी.

कंपनी का आरोप
GO First का आरोप है कि Pratt & Whitney’s International Aero Engines यानी P&W की तरफ से सप्लाई लगातार प्रभावित रही. उसे 27 अप्रैल, 2023 तक कम से कम 10 स्पेयर लीज्ड इंजन और 10 अतिरिक्त इंजन देने को कहा गया था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. इतना ही नहीं. उसकी ओर से भेजे जा रहे इंजनों के विफल होने की संख्या बढ़ती रही. नतीजतन उड़ानें बंद करनी पड़ीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, गो फर्स्ट के बेड़े में लगभग 90%  प्रैट एंड व्हिटनी के इंजन वाले A320 नियो विमान हैं. स्पेयर पार्ट्स की अनुपलब्धता और P&W की ओर से रेट्रो फिटेड इंजनों की आपूर्ति में देरी के कारण कई विमानों को सेवा से बाहर करना पड़ा था.

बिगड़ती गई स्थिति 
गो फर्स्ट भारत की पांचवीं सबसे बड़ी एयरलाइन है. कंपनी धीरे-धीरे विस्तार की रणनीति पर आगे बढ़ रही थी. 2020 तक उसकी आर्थिक सेहत लगातार ठीक बनी हुई थी. लेकिन कोरोना संकट और प्रैट एंड व्हिटनी से इंजनों की आपूर्ति समय पर नहीं मिलने के चलते उसकी सेहत खराब होती गई. गो फर्स्ट को बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के चलते लीज पर लिए गए विमानों को वापस करना पड़ा. कंपनी की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ईंधन कंपनियों ने उसे कैश एंड कैरी वाले वर्ग में रख दिया. जिसका मतलब है हर दिन उड़ान के लिए ईंधन का भुगतान, जो कंपनी के लिए मुमकिन नहीं था. वैसे, प्रमोटर कंपनी वाडिया समूह ने एयरलाइन में लगातार पैसा लगाया. एक रिपोर्ट के मुताबिक, समूह ने करीब 6500 करोड़ रुपए का निवेश किया, लेकिन संचालन ठप होने की वजह से स्थिति लगातार बिगड़ती गई और एयरलाइन को दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन करना पड़ा.


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