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इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल संसद में सोमवार को होगा पेश, आपके बिजली बिल का क्या होगा?
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन के बाद इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटर कमीशन को ज्यादा ताकत मिलेगी. उनके पास ये अधिकार होगा कि वो समय समय पर बिजली की दरों में बदलाव कर सकेंगे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: Electricity Amendment Bill: इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2022 को संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में ही पेश किया जाएगा. इसकी जानकारी ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने खुद दी है. मॉनसून सेशन 18 जुलाई से शुरू हो चुका है और 12 अगस्त को खत्म होगा. इस बिल के जरिए पेमेंट की व्यवस्था को तेज और बेहतर बनाया जाएगा, रेगुलेटर्स को और शक्तियां मिलेंगी साथ ही सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलेगा
बिजली के क्षेत्र में बड़ा रिफॉर्म
इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2022 को हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट से हरी झंडी मिली है. ये बिल पास हो जाता है तो इलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में ये एक बड़ा रिफॉर्म होगा, कई बदलावों के जरिए कंपनियों से लेकर कंज्यूमर तक पर इसका असर पड़ेगा. आइए इस बिल के कुछ बातों पर नजर डालते हैं
किसको फायदा?
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन के बाद इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटर कमीशन को ज्यादा ताकत मिलेगी. उनके पास ये अधिकार होगा कि वो समय समय पर बिजली की दरों में बदलाव कर सकेंगे.
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन के जरिए सरकार चाहती है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को बढ़ाया जाए, ताकि कंज्यूमर को एक ही क्षेत्र में कई DISCOMS यानी बिजली वितरण कंपनियां मिल जाएंगी. कंज्यूमर DISCOMS की सर्विस क्वालिटी को देखते हुए अपनी पसंद से उनका चुनाव कर सकेंगे. निजी सेक्टर की भागीदारी बढ़ने से इस सेक्टर में पूंजी निवेश बढ़ेगा, नई नई तकनीक आएंगी, जिसका फायदा कंज्यूमर को भी होगा. हालांकि कई राज्यों को इस बात पर ऐतराज रहा है कि निजी कंपनियां सिर्फ कॉर्पोरेट या शहरी ग्राहकों पर ही फोकस करेंगी, ग्रामीण क्षेत्रों पर उनका फोकस कम होगा.
बिजली दरों की सीमा भी तय
इस बिल में न्यूनतम टैरिफ की सीमा का प्रावधान किया गया है, ताकि पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां बेहद सस्ती दरों पर बिजली न बेच पाएं और अधिकतम टैरिफ की सीमा भी तय की गई है ताकि कंज्यूमर पर ज्यादा बिजली बिल की मार न पड़े. इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के फंक्शन को भी मजबूत करने के लिए संशोधन किए गए हैं ताकि ग्रिड की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और देश में एक प्रभावशाली पावर सिस्टम तैयार हो सके.
बिजली कंपनियों का बकाया चुनौती
हालांकि आपको बता दें कि बिजली कंपनियों का बकाया एक बड़ा मुद्दा है, जिसे सुलझाना भी ऊर्जा मंत्रालय के लिए बड़ी चुनौती है. वितरण कंपनियों पर जेनरेशन कंपनियों का 1 लाख करोड़ रुपये बकाया है, जबकि राज्यों के ऊपर बिजली वितरण कंपनियों का 60,000 करोड़ रुपये और सब्सिडी के तौर पर 75000 करोड़ रुपये की देनदारी है. सबसे पहले साल 2014 में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को लाया गया था, तब पीयूष गोयल ऊर्जा मंत्री थे. इसके बाद साल 2018 में आर के सिंह ऊर्जा मंत्री बने, वो संशोधन का प्रस्ताव लेकर आए, फिर साल 2020 में जब देश भर में लॉकडाउन लगा था, तब इस बिल को लाया गया, फिर से साल 2021 में भी लाया गया.
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