होम / एक्सप्लेनर / कैसे हैं उस देश के हाल, जिसने सबसे पहले बिटकॉइन को दी थी मान्यता? पढ़ें यहां
कैसे हैं उस देश के हाल, जिसने सबसे पहले बिटकॉइन को दी थी मान्यता? पढ़ें यहां
बिटकॉइन को लीगल टेंडर बनाने के समय राष्ट्रपति नाइब बुकेले ने इसे क्रांतिकारी कदम बताया था. उन्होंने कहा था कि इससे न केवल विदेशी निवेश बढ़ेगा, बल्कि नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
दुनिया में सबसे पहले जिस देश ने क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को वैध मुद्रा यानी लीगल टेंडर घोषित किया था, आज उसकी हालत खराब होती जा रही है. अल सल्वाडोर को उम्मीद थी कि बिटकॉइन को लीगल टेंडर बनाकर उसकी अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, मगर हुआ इसके एकदम उलट. अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने इस साल अल सल्वाडोर की क्रेडिट रेटिंग कम कर दी है. बात केवल इतनी ही नहीं है, उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज भी नहीं मिल रहा है.
2021 में की थी घोषणा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अल सल्वाडोर की सरकार ने आर्थिक हालात सुधारने के लिए IMF से 8 हजार करोड़ रुपए का कर्ज मांगा है, लेकिन IMF ने इसके लिए एक शर्त रखी है. इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था का कहना है कि कर्ज तभी दिया जाएगा, जब अल सल्वाडोर बिटकॉइन का लीगल टेंडर का दर्जा खत्म कर देगा. बता दें कि इस देश ने 2021 में बिटकॉइन को वैध मुद्रा घोषित किया था. लेनदेन में आसानी के लिए 'शिवो वॉलेट' नाम से एक ऐप भी शुरू किया गया. जिसे डाउनलोड करने वाले को बतौर बोनस 2400 रुपए दिए गए, लेकिन इसका खास फायदा नहीं हुआ.
800 करोड़ के 400 करोड़ हुए
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार ने लालच और दबाव दोनों से काम लिया, लेकिन लोगों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. बिटकॉइन को लीगल टेंडर बनाने के समय राष्ट्रपति नाइब बुकेले ने इसे क्रांतिकारी कदम बताया था. उन्होंने कहा था कि इससे न केवल देश में विदेशी निवेश बढ़ेगा, बल्कि नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. न विदेशी निवेश आया और न ही रोज़गार बढ़े. उल्टा बिटकॉइन में लाखों गंवाने वालों को नौकरी के लिए देश छोड़कर जाना पड़ा. सरकार ने बिटकॉइन खरीदने में करीब 800 करोड़ खर्च किए थे, जिसकी कीमत आज घटकर 400 करोड़ रह गई है.
अर्थव्यवस्था डूबने की आशंका
अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति का सपना देश में बिटकॉइन सिटी बनाने का था, जहां किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता हो. इसके लिए सरकार 8 हजार करोड़ रुपए खर्च करने वाली थी. लेकिन फिलहाल उनका ये सपना पूरा होने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही. वहीं, जिस तरह से बिटकॉइन के चक्कर में देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है, उसे देखते हुए IMF को आशंका है कि अल सल्वाडोर की अर्थव्यवस्था डूब सकती है.
टैग्स