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'जहर' बेचकर भी कैसे करोड़ों कमा रहीं कंपनियां, ये रिपोर्ट पढ़कर खुल जाएंगी आंखें
भारत में पान मसाला का बाजार 41 हजार करोड़ रुपए का है और जल्द इसके 53 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
तंबाकू, पान मसाला खाने वालों और उनके परिवार को भले ही लाख परेशानियों से गुजरना पड़े, लेकिन इसे बनाने वाली कंपनियां दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही हैं. उन्हें हर साल मोटी कमाई होती है और ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. कब चूंकि देश में तंबाकू को प्रमोट करना बैन है, इसलिए इन कंपनियों ने पान मसाला, इलायची के नाम पर लोगों के बीच अपनी उपस्थिति बनाई हुई है. इन कंपनियों की कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके विज्ञापन करोड़ों रुपए लेने वाले स्टार्स करते हैं. ये कंपनियां बड़े-बड़े अवॉर्ड समारोह की प्रायोजक बनती हैं, छोटे से विज्ञापन के लिए विदेशों में शूटिंग से भी इन्हें परहेज नहीं होता.
कितना बड़ा है बाजार?
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पान मसाला का बाजार 41 हजार करोड़ रुपए का है और इस साल के अंत तक इसके 53 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है. जबकि हमारा चॉकलेट का मार्केट 16 हजार करोड़ और बिस्किट का बाजार 37 हजार करोड़ रुपए का है. यानी यह जानते हुए भी कि पान मसाला, तंबाकू सेहत के लिए हानिकारक है लोग जमकर इसकी खरीदारी करते हैं और इसके बाजार को बढ़ाने में योगदान देते हैं. भारत बड़े पैमाने पर पान मसाला एक्सपोर्ट करता है. यानी हमारे यहां तैयार पान मसाला दूसरे देशों में भी खूब चबाया जाता है.
भारत नंबर 1 एक्सपोर्टर
पान मसाले के एक्सपोर्ट में भारत नंबर 1 है. UAE, अमेरिका और भूटान में भारत के पान मसाले की सबसे ज्यादा डिमांड है. जॉब्स की बात करें तो पान मसाला और तंबाकू इंडस्ट्री 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार देती है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के बावजूद यह इंडस्ट्री लगातार बढ़ रही है. 2011 में सरकार ने तंबाकू के दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उसके प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था. यानी तंबाकू के विज्ञापन नहीं किए जा सकते. सरकार का मानना था कि जब टीवी या अखबारों में तंबाकू के विज्ञापन दिखेंगे ही नहीं, तो इनकी तरफ आकर्षित करने वालों की संख्या भी घट जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
कंपनियों ने निकाला तोड़
तंबाकू के प्रमोशन पर बैन का तोड़ कंपनियों ने जल्द ही ढूंढ निकाला. उदाहरण के तौर पर तंबाकू बेचने वालीं कंपनियां सादा पान मसाला भी लेकर आ गईं और उसी नाम से उनका प्रचार करना शुरू कर दिया. इसी तरह शराब के विज्ञापनों पर भी रोक है, लिहाजा कंपनियां क्लब सोडा, मिनिरल वॉटर के नाम पर प्रचार कर रही हैं. ये कंपनियां अपने पुराने प्रोडक्ट को लोगों को भूलने ही नहीं दे रहीं. इस तरह, सरकारी बैन महज नाम का बैन बनकर रह गया है. टेक्निकल भाषा में इस तरह के प्रमोशन को सेरोगेट विज्ञापन कहते हैं.
फूड आइटम की तरह बिक्री
आजकल तंबाकू और पान मसाला अलग-अलग पैक बिकता है. पान मसाला तो फूड आइटम की तरह बेचा जा रहा है, जिसे Fassi ही रेगुलेट करती है. टीवी पर सादा पान मसाला का विज्ञापन करके कंपनियां कह सकती हैं कि वो तंबाकू सेवन को प्रोत्साहित नहीं करतीं, लेकिन सादा पान मसाला भी कम खतरनाक नहीं है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इसे बनाने में कई प्रकार के रसायन का इस्तेमाल किया जाता है, जो गंभीर बीमारियों की वजह बन सकते हैं.
फैलती हैं बीमारियां
तंबाकू उन लोगों के लिए भी हानिकारक हैं, जो इससे दूर रहते हैं. उदाहरण के तौर पर TB जैसी कई बीमारियां हवा के जरिए फैलती हैं, ऐसे में जब तंबाकू खाने वाले यहां-वहां थूकते हैं, तो उनकी बीमारियों के अन्य लोगों तक पहुंचने की आशंका बढ़ जाती है. तंबाकू खाने वाला व्यक्ति 10 मिनट में औसतन 20 से 30 बार थूकता है. सोचिए, यदि उसे TB या कोई और गंभीर बीमारी है, तो वो कितने लोगों को बीमार कर सकता है? इसके तंबाकू खाने वाले शहर की खूबसूरती को भी खराब करते हैं. रेलवे को हर साल लोगों का थूक साफ करने पर 12 सौ करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं.
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