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Weekend Special: क्या LIC के लिए वास्तव में सबसे बड़ी समस्या है Adani Group?

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने न केवल अडानी समूह को परेशान किया है, बल्कि समूह की कंपनियों में पैसा लगाने वाले निवेशक भी परेशान हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अडानी समूह (Adani Group) पर आई आफत का असर भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) पर भी पड़ा है. दरअसल, LIC ने अडानी समूह की कंपनियों में बड़ा निवेश किया हुआ है और समूह की कंपनियों की हालत स्टॉक मार्केट में लगातार कमजोर होती जा रही है. स्थिति ये आ गई है कि LIC को अपने निवेश के बारे में स्पष्टीकरण देना पड़ा है. अब चूंकि, LIC के पास देश के लोगों का पैसा है, ऐसे में उसके संकट में आने का मतलब है उस पैसे का भी संकट में आना. लेकिन क्या वास्तव में लोगों का पैसा खतरे में पड़ गया है?

बाकी निवेश का वैल्यूएशन भी घटा 
LIC केवल देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ही नहीं है, बल्कि वह भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ी संस्थागत निवेशक भी है. उसने केवल अडानी ग्रुप ही नहीं बल्कि कई कंपनियों में पैसा लगाया है. एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि LIC का अन्य निवेश भी गिरावट के दौर से गुजर चुका है. पिछले छह महीनों में इसके वैल्यूएशन में कमी आई है, जबकि बेंचमार्क सेंसेक्स इसी अवधि में 2.7 प्रतिशत बढ़ा है.

36 कंपनियों में है हिस्सेदारी 
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी 36 कंपनियां हैं जिनमें एलआईसी की हिस्सेदारी है, और इन कंपनियों के शेयरों की कीमतें बीते छह महीनों में 20 फीसदी से ज्यादा गिर चुकी हैं. यानी LIC के लिए ये स्थिति नई नहीं है. वह स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव और घाटे-मुनाफे से अच्छी तरह वाकिफ है. चूंकि, इस मामले में अडानी समूह का नाम जुड़ा है, इसलिए बवाल का स्तर कुछ ज्यादा ही हो गया है.  

छह महीनों में आई इतनी गिरावट
बाजार के जानकारों मानना है कि एलआईसी के निवेश को शॉर्ट टर्म अवधि में नहीं आंका जाना चाहिए या इसमें तत्काल सुधार की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. क्योंकि एलआईसी एक लॉन्गटर्म निवेशक है और आमतौर पर वह अपने निवेश यानी शेयरों को कई वर्षों तक रखती है. रिपोर्ट में Ace Equity के डेटा के हवाले से बताया गया है कि अडानी समूह के अलावा दूसरी कंपनियों जैसे कि फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन, पीरामल एंटरप्राइजेज, ओमैक्स, इंडस टावर्स, लौरस लैब्स, जेट एयरवेज (इंडिया), सनटेक रियल्टी, बॉम्बे डाइंग, जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर, अरबिंदो फार्मा और जेपी इंफ्राटेक आदि में एलआईसी के निवेश का मूल्य पिछले छह महीनों में 58 फीसदी से 28 फीसदी के बीच गिर चुका है.   

Adani की इन कंपनियों में लगा पैसा
एलआईसी की अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी टोटल गैस, अडानी पोर्ट्स और विशेष आर्थिक क्षेत्र और अडानी एंटरप्राइजेज में हिस्सेदारी है. इनके हालिया प्रदर्शन को देखते हुए ये सभी कंपनियां एलआईसी के पोर्टफोलियो में टॉप लूजर्स में शामिल हैं. परसेंटेज की बात करें तो एलआईसी की अडानी पोर्ट्स में 9.14 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जबकि अडानी टोटल गैस में 5.96 प्रतिशत, अडानी एंटरप्राइजेज में 4.23 प्रतिशत, अडानी ट्रांसमिशन में 3.65 प्रतिशत और अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.28 प्रतिशत.

इनमें LIC की सबसे बड़ी हिस्सेदारी   
एलआईसी के कुल निवेश में अडानी समूह का किस्सा एक फीसदी से भी कम है. यानी LIC ने सबसे ज्यादा पैसा अडानी ग्रुप में नहीं लगाया है. LIC की सबसे बड़ी 10 हिस्सेदारी आईडीबीआई बैंक (49.24 प्रतिशत), एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस (45.24 प्रतिशत), स्टैंडर्ड बैटरीज (19.99 प्रतिशत), मोडेला वूलेन्स (17.31 प्रतिशत), आईटीसी (15.29 प्रतिशत), एनएमडीसी (15.29 प्रतिशत), महानगर टेलीफोन निगम (13.25 फीसदी), ग्लॉस्टर (12.85 फीसदी), लार्सन एंड टुब्रो (12.50 फीसदी) और सिम्पलेक्स रियल्टी (12.38 फीसदी) जैसे कंपनियों में है. इनमें से कुछ के शेयर पिछले छह महीनों में ऊपर गए हैं, तो कुछ नीचे भी आए हैं.

इसलिए घबराने की जरूरत नहीं
एलआईसी ने बाजार की 36 कंपनियों में 10 लाख करोड़ के अधिक का निवेश किया है. यदि अडानी में बीमा कंपनी के निवेश की तुलना करें तो ये 1 फीसदी से भी कम है. यानी खतरा उतना बड़ा नहीं है, जितना दिखाया जा रहा है. वैसे भी घाटा या मुनाफा तब तक नहीं कहा जा सकता, जब तक LIC अडानी समूह के शेयर नहीं बेचती. आज अडानी के शेयर के दाम गिर रहे है, तो एलआईसी के निवेश की वैल्यूएशन भी कम हो रही है, लेकिन कल जब इन शेयरों में तेजी आएगी, तो वैल्यूएशन भी बढ़ेगा. LIC लंबी अवधि की निवेशक है, इसलिए अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव को अभी LIC के लिए नुकसान बताना या लोगों के पैसे डूबने जैसी बातें करना सही नहीं.


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