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मोदी सरकार को आखिर क्यों नजर नहीं आ रहा कोरोना का बढ़ता खौफ?
चीन में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि खतरा केवल चीन तक सीमित नहीं रहेगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
क्या कोरोना वायरस की विदाई हो गई है? इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है. भारत सहित कई देशों में जहां इसका प्रभाव काफी कम हो गया है. वहीं, चीन में लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं. पिछले कुछ समय से चीन में स्थिति खराब बनी हुई है और वहां हालात अब तेजी से बिगड़ रहे हैं. 2019 में चीन के वुहान में ही सबसे पहले कोरोना का पता चला था और फिर यह रॉकेट की स्पीड से पूरी दुनिया में फैल गया था. ऐसे में चीन के बिगड़ते हालात केवल उसके लिए ही चिंता का विषय नहीं हैं. यह पूरी दुनिया, खासकर भारत के लिए खतरे की घंटी की हैं.
देर से जागने के लगे थे आरोप
चीन, भारत का पड़ोसी है और दोनों देश लंबी सीमा साझा करते हैं. लिहाजा, अगर कोरोना महामारी वहां पहले जैसी स्थिति में लौट रही है, तो यहां भी उसका असर देखने को मिल सकता है. लेकिन ताज्जुब की बात है कि सरकार स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रही. कोरोना की शुरुआत के समय भी मोदी सरकार पर देरी से जागने के आरोप लगे थे. यह भी कहा गया था कि अगर सरकार समय रहते जरूरी कदम उठाती, तो मौत के आंकड़े को कम किया जा सकता था. हालांकि, न सरकार ने उस समय अपनी गलती मानी और न इस बार वह पहले से ही एहतियातन कोई कदम उठाने को तैयार नजर आती है.
THERMONUCLEAR BAD—Hospitals completely overwhelmed in China ever since restrictions dropped. Epidemiologist estimate >60% of & 10% of Earth’s population likely infected over next 90 days. Deaths likely in the millions—plural. This is just the start—pic.twitter.com/VAEvF0ALg9
— Eric Feigl-Ding (@DrEricDing) December 19, 2022
पूरी दुनिया को किया अलर्ट
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले 90 दिनों में चीन की करीब 60 फीसदी आबादी कोरोना संक्रमित हो सकती है. उनका यह भी कहना है कि खतरा केवल चीन तक सीमित नहीं रहेगा. अमेरिका के महामारी विशेषज्ञ डॉ एरिक डिंग ने इस खतरे की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि चीन में जो होता है वह सिर्फ चीन में नहीं रहता, तीन साल पहले यह हमने वुहान से सीखा था. 2022-23 की इस लहर के वैश्विक परिणाम छोटे नहीं होंगे. एरिक यह साफ कहना चाह रहे हैं कि चीन में बिगड़ते हालत पूरी दुनिया को पहले वाली स्थिति में ले जा सकते हैं. गौर करने वाली बात ये है कि 2019 में वुहान में कोरोना का पहला मामला सामने आने के कुछ ही महीने बाद भारत में भी संक्रमण का पहला केस दर्ज किया गया था. इस हिसाब से चीन बढ़ते संक्रमण को भारत सरकार को गंभीरता से लेना ही होगा.
...तो होगा कोरोना विस्फोट
देश में कोरोना प्रोटोकॉल लगभग समाप्त हो गया है. मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग को लोग भूलते जा रहे हैं. ऐसे में चीन से आया एक संक्रमित व्यक्ति कोरोना विस्फोट का कारण बन सकता है. क्रिसमस और फिर नए साल पर होने वाली पार्टियों के लिए बड़े पैमाने पर भीड़ जुटेगी. नए साल पर मंदिरों में भी भक्तों का जनसैलाब उमड़ेगा. यानी कोरोना के पैर पसारने के लिए अनुकूल माहौल होगा. क्या सरकार और उसके स्वास्थ्य विभाग को यह समझ में नहीं आ रहा? सरकार तो दूरदृष्टि रखती है, उसे भविष्य में आने वाले खतरों का आभास पहले से ही हो जाता है, क्योंकि उसके पास परिस्थिति का आकलन और विश्लेषण करने के लिए विशेषज्ञों की टीम होती है. तो फिर चीन में बढ़ता कोरोना का कहर उसे क्यों नजर नहीं आ रहा? या फिर वो मान बैठी है कि कोरोना वायरस इस बार चीन की दहलीज पार नहीं करेगा.
कांग्रेसी नहीं अमेरिकी चेतावनी
कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने कोरोना महामारी की शुरुआत में सरकार को चेताया था, लेकिन उनकी चेतावनी को नजरंदाज कर दिया गया. अब चेतावनी देने वाला कोई कांग्रेसी नहीं बल्कि अमेरिकी डॉक्टर है. कम से कम अब तो मोदी सरकार को चेतना चाहिए और कोरोना पाबंदियों-सख्तियों को चीन में हालात सामान्य होने तक अमल में लाना चाहिए. सरकार कह सकती है कि उसने जनता को अपनी सुरक्षा के लिए पर्याप्त जागरूक कर दिया है. उन्हें बता दिया है कि मास्क कितना जरूरी है. यह बात सही भी है, लेकिन सरकार को भी यह समझना चाहिए कि भारत में केवल जागरुकता से कुछ नहीं होता. यदि होता तो ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामले निम्न स्तर पर पहुंच चुके होते. जागरुकता में जब तक सख्ती नहीं मिलाई जाती, लोगों को कुछ समझ नहीं आता. लिहाजा, बेहतर होगा सरकार पिछली गलती न दोहराए.
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